नशा तस्करी बंद हुई तो अाराेपित छापने लगे जाली नोट, 2.40 लाख की नकली करंसी बरामद
आरोपितों ने ये उपकरण एक किराये के कमरे में लगाए थे। अब पुलिस ने रिमांड के दौरान उनकी निशानदेही पर 2.40 लाख की नकली करंसी बरामद की है। सभी नोट 100-100 के हैं। पुलिस के मुताबिक फिलहाल उनका एक साथी फरार है।
लुधियाना, जेएनएन। थाना मेहरबान के अधीन आती चौकी मत्तेवाड़ा की पुलिस ने 11 अक्टूबर को गांव हवास के पास से दो युवकों को 100-100 रुपये के नौ नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया था। आरोपितों की पहचान चांद कालोनी निवासी संजीव राय और गांव लादियां निवासी सुनील कुमार के रूप में हुई थी। इनके पास से नोट तैयार करने के लिए लगाया गया प्रिंटर, स्कैनर और कटर भी बरामद किया गया था।
आरोपितों ने ये उपकरण एक किराये के कमरे में लगाए थे। अब पुलिस ने रिमांड के दौरान उनकी निशानदेही पर 2.40 लाख की नकली करंसी बरामद की है। सभी नोट 100-100 के हैं। पुलिस के मुताबिक फिलहाल उनका एक साथी फरार है। ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कमलजीत कौर ने बताया कि आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद उनका तीन दिन का रिमांड लिया गया था।
पूछताछ में पता चला कि आरोपित मेहरबान इलाके में ही एक कमरा किराये पर लेकर वहां नकली नोट छाप रहे थे। इसमें उनका एक और साथी दलबीर सिंह उर्फ दल्ली निवासी रिशीनगर भी शामिल था, जो फरार चल रहा है। रिमांड के दौरान पुलिस ने संजीव राय से 1.47 लाख और सुनील कुमार से 93 हजार रुपये बरामद किए हैं। पुलिस यह पता लगा रही है कि आरोपितों ने अभी तक कितने नकली नोट छापे और इन्हें कहां-कहां चलाया है।
यूट्यूब से वीडियो देख बनाने सीखे नकली नोट
पुलिस ने बताया कि सुनील पहले नशा तस्करी करता था। उसके खिलाफ दो थानों में मामले भी दर्ज हैं। सितंबर 2019 में संगरूर पुलिस ने उसे चोरी के मामले में भी गिरफ्तार किया था और वह अब जमानत पर बाहर आया था। कोरोना काल में जब नशा तस्करी की चेन टूटी तो उसने संजीव और दलबीर को साथ लेकर नकली नोट छापने शुरू किए थे। उन्होंने यह आइडिया यूट्यूब से लिया था और उसी को देखते हुए कलर ¨प्रटर और स्कैनर के जरिये नोट बनानने शुरू किए थे।
साधारण कागज का इस्तेमाल किया तो पकड़े गए
जब आरोपितों को 11 अक्टूबर को नाके पर रोका गया तो उनके पास 100-100 के नौ नोट मिले थे। पुलिस को शुरुआती जांच में ही ये नोट नकली लगे थे, क्योंकि इन्होंने नोट में साधारण कागज का ही इस्तेमाल किया था, जबकि सरकारी टकसाल पर नोट बनाने के लिए विशेष कागज का इस्तेमाल किया जाता है। वह कागज काफी पतला होता है।
मजदूरों को बनाते थे निशाना, दलबीर के पास भी है जाली करंसी
पुलिस ने बताया कि ये लोग ग्रामीण क्षेत्रों के कम पढ़े-लिखे और व्यस्त एरिया के दुकानदारों को अपना निशाना बनाते थे। कारण, ग्रामीणों को इसकी जानकारी नहीं होती थी और व्यस्त दुकानदारों के पास 100 रुपये का नोट चेक करने का समय नहीं होता था। इसके अलावा ये लोग सब्जी की फड़ी वालों के पास भी ये नोट चला देते थे। दलबीर के पास अभी और भी नोट हो सकते हैं।