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World Mother's Day: ऐसी होती है मां, बेटे की दोनों किडनी खराब हुईं तो अपनी एक दान देकर बचा ली जान

मनप्रीत कहते हैं कोई मां की ममता का कर्ज नहीं चुका सकता है। मेरे लिए मां ही भगवान है। जब मेरी दोनों किडनी खराब हो गईं तो मां ने अपनी एक दान करके मेरी जान बचा ली। वह कहते हैं मेरी मां ही मेरे लिए भगवान हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 07:43 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 07:43 PM (IST)
World Mother's Day: ऐसी होती है मां, बेटे की दोनों किडनी खराब हुईं तो अपनी एक दान देकर बचा ली जान
बेटे मनप्रीत, बहू रजिया और पौत्र के साथ स्वर्णजीत कौर। जागरण

जगराओं (लुधियाना), [बिंदु उप्पल]। अपने बच्चों की खुशियों के लिए मां कुछ भी कर सकती है। उसके जैसा दूसरा दुनिया में कोई नहीं। जगराओं की स्वर्णजीत कौर इसकी ताजा मिसाल हैं। 26 साल की उम्र में उनके बेटे मनप्रीत की दोनों किडनी खराब हो गईं। अपने बच्चे को मुश्किल में देख उन्होंने बिना कुछ सोचे अपनी एक किडनी दान देकर उसकी जान बचा ली। आज मां-बेटा दोनों स्वस्थ हैं। अब 29 साल हो गए मनप्रीत कहते हैं कोई मां की ममता का कर्ज नहीं चुका सकता है। मेरे लिए मां ही भगवान है। जब मेरी दोनों किडनी खराब हो गईं तो उन्होंने उनकी तंदरूस्ती के लिए अपनी पूरी जान लगा दी। मां ने मेरे लिए जो किया, उसका कर्ज मैं अगले जन्म भी नहीं उतार सकता हूं। 

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मनप्रीत कहते हैं कि करीब तीन साल पहले डीएमसी अस्पताल के किडनी विभाग के प्रमुख डॉ. बलदेव सिंह औलख ने उन्हें बताया था कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं। जीवन बचाने का एक ही रास्ता है किडनी ट्रांस्प्लांट। तब वर्ष 2018 में मां स्वरणजीत कौर ने अपनी एक किडनी देने की पहल की। डॉक्टरों ने किडनी ट्रांस्प्लांट के लिए मां के खून की जांच की तो उनका ब्लड  ग्रुप भी ओ-पॉजिटिव निकला। उन्होंने अपनी एक किडनी देकर उनकी जान बचा ली। 

वर्ल्ड मदर्स डे दिवस पर मां स्वर्णजीत कौर की लंबी उम्र की कामना करते हुए मनप्रीत ने कहा कि मैं आज मां की बदौलत ही जिंदा हूं। मेरी शादी मेरी बचपन की दोस्त रजिया से हुई है जो कि फैशन डिजाइनर है। मेरा तीन माह का बेटा दिलशान है। मनप्रीत ने मातृत्व दिवस पर अपनी मां स्वरणजीत कौर, पिता दर्शन सिंह बरसाल (सरकारी स्कूल ब्वॉयज में लाइब्रेरियन) छोटे भाई जसकिरत सिंह व पत्नी रजिया का सहयोग के लिए धन्यवाद किया। मनप्रीत ने कहा कि इनका प्यार और दुलार ही उनकी जिंदगी में सबसे बड़ी चीज है। मनप्रीत सीटी यूनिवर्सिटी के होटल मैनेजमेंट विभाग में कार्यरत हैं।  

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बेटे के लिए अंगदान करना कोई बड़ी बात नहींः स्वर्णजीत कौर 

बेटे पर जान न्यौछावर करने वाली स्वर्णजीत हाउसवाइफ हैं। उनका कहना है कि बेटे के लिए अंग दान करने में कौन सी बड़ी बात है। आज इसी बेटे ने मुझे उपहार स्वरूप पोता दिया है जिसको मैं अपनी गोद में खिलाती हूं। उन्होंने कहा कि हर मां अपने बच्चों की सलामती चाहती है और मैं भी अपने दोनो बेटों के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हूं। उन्होंने कहा कि किडनी ट्रांस्पलांट करवाने के बाद हम दोनों स्वस्थ हैं। हमारे खान-पान पर कुछ बंदिशें जरूर लगी हैं लेकिन वह भी स्वास्थ्य के हिसाब से हैं। उनकी हर तीन महीने के बाद फुल बॉडी जांच होती है। बेटे को भी रेगुलर मेडिसन लेनी पड़ती है। 

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