सरकारों का गुणगान, स्थानीय मुद्दे नदारद
नगर निगम चुनाव की सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं। राजनीतिक दल चुनाव मैदान में कूद चुके हैं। सुबह होते ही मोहल्लों में लाउड स्पीकर पर या तो केंद्र की मोदी सरकार के गुणगान सुनने को मिल रहे हैं या फिर राज्य की कैप्टन सरकार के।
जासं, लुधियाना : नगर निगम चुनाव की सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं। राजनीतिक दल चुनाव मैदान में कूद चुके हैं। सुबह होते ही मोहल्लों में लाउड स्पीकर पर या तो केंद्र की मोदी सरकार के गुणगान सुनने को मिल रहे हैं या फिर राज्य की कैप्टन सरकार के। निगम चुनाव में सीवरेज, सड़क व सफाई जैसे स्थानीय मुद्दों की कोई बात ही नहीं कर रहा। उम्मीदवार वोट मांगते वक्त भी स्थानीय मुद्दों की बात करने के बजाय अपने सरकार की उपलब्धि गिनवाना शुरू कर देते हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं में पहले टिकट को लेकर पोस्टर वार चला। उन पोस्टर्स में भी पार्टी के स्थानीय नेताओं से लेकर बड़े नेताओं तक को खुश करने की कोशिशें की गई। जब नेताओं को टिकट मिला तो उसके बाद उन्होंने डोर टू डोर प्रचार में अपनी सरकारों के कामकाज को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। अभी भी शहर में लगे उम्मीदवारों के पोस्टर और बैनरों से स्थानीय मुद्दे गायब हैं। किसी भी राजनीतिक दल के पास शहर के विकास का रोड मैप नहीं है।
भाजपा गिना रही मोदी सरकार की योजनाएं
भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार केंद्र की मोदी सरकार की अलग-अलग योजनाओं को लोगों के सामने रख रहे हैं। स्वच्छ भारत, उज्ज्वला योजना से लेकर लुधियाना को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने जैसे मुद्दों की चर्चा लोगों से कर रहे हैं। वहीं अकाली दल के नेता पिछली सरकार के दौरान हुए विकास कार्यो, पेंशन व अन्य योजनाओं का हवाला देकर वोट माग रहे हैं।
काग्रेसी भी राज्य में अपनी सरकार का दे रहे हवाला
काग्रेसी उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार से भी स्थानीय मुद्दे गायब हैं। उम्मीदवारों के पोस्टरों व बैनरों पर भी कहीं भी शहर के मुद्दे नहीं हैं। काग्रेसी उम्मीदवार राज्य में कैप्टन सरकार होने का हवाला दे रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कई काग्रेसी नेता निगम चुनाव में किसानों की कर्ज माफी के नाम पर वोट माग रहे हैं।