'पबजी' बच्चों को मानसिक रूप से बना रहा कमजोर
शहरी बच्चों के बाद अब ग्रामीण क्षेत्र में पबजी गेम(प्लेयर अननोन बेटर ग्राउंड) का जुनून फैलता जा रहा है।
संस, श्री माछीवाड़ा :
शहरी युवाओं और व बच्चों के बाद अब ग्रामीण क्षेत्र में पबजी गेम (प्लेयर अननोन बेटर ग्राउंड) का जुनून बढ़ता जा रहा है। इस गेम को खेलने की वजह से बच्चे मनोरोगी हो रहे हैं। जिसे लेकर परिजन चिंतित हैं।
पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में पहले बच्चे और नौजवान प्राचीन विरासती खेल गिल्ली डंडा, फुटबाल, हॉकी, कबड्डी खेलते दिखाई देते थे। लेकिन, जब से उनकी जिदगी में मोबाइल फोन आया है उस दिन से यह विरासती खेल लुप्त होती जा रही है। और मोबाइल पर खेले जाने वाली गेम उनकी मानसिकता पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं।
16 से 18 घंटे गेम खेल रहे युवा
माछीवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्र में एक 20 वर्षीय युवक पर पबजी गेम का जुनून इस कदर सवार है कि वह 24 घंटे में 16 से 18 घंटे तक यह गेम खेलता दिखाई देता है। हालत यह है कि यदि उसके परिजन उसे रोक कर उसका मोबाइल ले लेते हैं तो वह गुस्से में आ कर अपना फोन दीवार पर मार तोड़ देता है। पबजी खेलने से रोकने के कारण यह युवा अत तक दो मोबाइल फोन तोड़ चुका है। परिजनों अनुसार वह अपने लड़के के पबजी गेम के जुनून से इतने दुखी हैं कि उन को कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा कि वह अपने लड़के से इस बुरी आदत से छुटकारा कैसे दिलाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई और ऐसे मामले हैं जहां बच्चे और युवा मोबाइल पर गेम खेलने में ज्यादा समय बीता रहे हैं।
बच्चों पर नजर रखें : डॉ. हरप्रीत
मोहन देई ओसवाल अस्पताल लुधियाना के विशेषज्ञ डॉ. हरप्रीत सिंह ने बताया कि उन के पास पबजी गेम खेलने के आदी काफी मरीज आ रहे हैं जो कि चिता का विषय है। उन्होंने कहा कि बच्चों को इस से बचाने के लिए परिजन विशेष ध्यान दें। ख्याल रखे कि उन का बच्चा मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल तो नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि मोबाइल पर गेम खेलने से बच्चे जहां मनोरोगी हो रहे हैं वहां शारीरिक तौर पर भी कमजोर हो रहे हैं। इससे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। यदि कोई बच्चा या युवा इस गेम का आदी हो गया है तो मनो चिकित्सक से उसका उपचार करवाएं।