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पलायन कर रहे मजदूरों को आश्वासन, गुरुओं की धरती पर नहीं सोएगा कोई भूखा

मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले अन्य राज्यों से आए मजदूर अब अपने प्रदेशों के लिए पलायन करने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 06:15 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 06:15 AM (IST)
पलायन कर रहे मजदूरों को आश्वासन, गुरुओं की धरती पर नहीं सोएगा कोई भूखा
पलायन कर रहे मजदूरों को आश्वासन, गुरुओं की धरती पर नहीं सोएगा कोई भूखा

जागरण संवाददाता, लुधियाना : शहर में मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले अन्य राज्यों से आए मजदूर अब अपने गृह प्रदेशों के लिए पलायन करने लगे हैं। क‌र्फ्यू के कारण ट्रेन और रोड ट्रांसपोर्ट बंद है। लोगों को अपने घर जाने के लिए जब कुछ साधन नहीं मिल रहा है तो वह अब पैदल ही उत्तर प्रदेश और बिहार का रुख करने लगे हैं, लेकिन अब पुलिस व स्वयं सेवी संस्थाओं ने लुधियाना से पलायन कर रहे मजदूरों व उनके परिवारों को रोकना शुरू कर दिया है। पुलिस व एनजीओ लोगों को आश्वासन दे रही हैं कि यहां से पैदल मत निकलो, यहीं पर रहो। यह गुरुओं की धरी है इस पर कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोएगा। ग्यासपुरा में पुलिस व स्वयं सेवी संस्थाओं के सदस्यों ने करीब दो दर्जन लोगों को रोका और उन्हें वापस भेज दिया। इसके अलावा पुलिस ढंडारी, ग्यासपुरा व कंगनवाल में रहने वाले दूसरे राज्यों के मजदूरों व उनके परिवारों को लंगर दे रही है। साथ ही उनसे पलायन न करने की अपील कर रही है। उधर प्रशासन ने भी मजदूरों के पलायन को रोकने की कवायद शुरू कर दी।

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शहर में रहने वाले दूसरे प्रदेशों के मजदूरों ने अपने-अपने इलाके के लोगों के साथ संपर्क साधना शुरू कर दिया, ताकि एक साथ यहां से अपने घरों की तरफ निकला जा सके। शनिवार तड़के करीब 150 मजदूरों का जत्था परिवारों के साथ लुधियाना से अपने घर उत्तर प्रदेश गोंडा के लिए रवाना हुआ। जब तक प्रशासन और एनजीओ उन्हें रोकने की कोशिश करते तब तक वह लुधियाना की सीमा पार कर चुके थे। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ करीब दो दर्जन लोग ट्रांसपोर्ट नगर के पास बाबा दीप सिंह नगर में रहते थे। यह सभी शनिवार दोपहर को लुधियाना से अलीगढ़ के लिए निकले, जिन्हें एनजीओ के सदस्यों ने रोक लिया और भरोसा दिया कि वह यहीं पर रहें। लोगों का कहना है कि उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है। जिस पर एनजीओ सदस्यों ने उन्हें अपना फोन नंबर दिया और खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी ली।

दूध, राशन, सब्जी की सप्लाई रही सामान्य

दूध, राशन व सब्जी की सप्लाई अब सामान्य होने लगी है। जिला प्रशासन ने दुकानदारों और रेहड़ी वालों को पास जारी कर दिए, जिसके बाद करियाना वालों ने भी होम डिलीवरी शुरू कर दी। इसके अलावा शहर में स्वीगी ने भी सप्लाई देनी शुरू कर दी। दूध की सप्लाई के लिए भी अब सभी दोधियों को पास जारी कर दिए गए हैं। जबकि दवाइयों की सप्लाई के लिए भी सभी केमिस्टों को होम डिलीवरी देने की योजना बना दी है।

वेतन भी नहीं मिला कैसे करेंगे गुजारा

पलायन कर रहे मजदूर सोनू कुमार, कर्ण कुमार, कमलेश कुमार, भूरा सिंह, रजनी देवी, कविता देवी का कहना है कि वह सभी मथूरा के हैं। उन्होंने बताया कि जहां वह काम करते थे वहां से अब पैसे नहीं मिल रहे। अब उनके पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में वह कमरे का किराया व खाने की व्यवस्था कहां से करेंगे। इसलिए उन्होंने फैसला किया है कि वह अपने गांव चले जाएं। इसी तरह अलीगढ़ के चार परिवार भी उनके साथ निकल रहे थे, लेकिन ग्यासपुरा में कुछ लोगों ने उन्हें रोक दिया। पार्षद जसपाल सिंह ग्यासपुरा ने बताया कि जो लोग यहां से पलायन कर रहे थे उनको समझा कर रोका है और उन्हें भरोसा दिया है कि उनको खाने के लिए राशन दे दी जाएगी। जब कोरोना वायरस का संक्रमण रुक जाएगा उसके बाद अगर वह जाना चाहेंगे तो उन्हें भेज दिया जाएगा। स्वयं सेवी संस्था के सदस्य चंदभान चौहान, मुकेश कुमार, शहजाद ने कहा कि इनके खाने की व्यवस्था उनकी तरफ से की जाएगी। पुलिस भी दे रही रुकने का संदेश

एसीपी ट्रैफिक गुरदेव सिंह धार्मिक संस्थाओं के साथ मिलकर मजदूरों को खाना मुहैया करवा रहे हैं। एसीपी जहां भी मजदूरों को खाना दे रहे हैं वहां पर वह उन्हें समझा रहे हैं कि वह लुधियाना छोड़कर न जाएं। यह गुरुओं की धरती है। यहां पर किसी को भूखा सोने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें। सिर्फ जब खाना बांटा जाएगा उसी वक्त बाहर निकलें।

छठे दिन भी सड़कों पर दिखे लोग, पुलिस बनी रही मूकदर्शक

क‌र्फ्यू के बीच छट्ठे दिन लोगों की आमद लगातार बढ़ रही है। क‌र्फ्यू में इस तरह के हालात होने से वायरस फैलने का रिस्क बढ़ गया है। शनिवार को भी बढ़ी संख्या लोग सड़कों पर दिखे। नाके पर आज पुलिस कर्मचारी तो मौजूद थे, मगर वह अपने मोबाइल पर भी बिजी रहे, जबकि ट्रैफिक मार्शल ही लोगों को रोककर उनसे पूछताछ कर रहे थे। दूसरी सबसे बड़ी समस्या बाहरी जिलों से आए पैदल और साइकिलों पर चल रहे मजदूर भी हैं। जो नाके पार कर इकट्ठे होकर उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ जा रहे हैं।


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