वीरा अग्ग न पराली नूं लगा, ओए गल मन लै
वीरा अग्ग न पराली नूं लगा, ओए गल मन लै..वीरा ऐहनूं खेत विच ही बाह.. ओए गल मन लै। शुक्रवार को पराली न जलाने का संदेश देने वाले इस म्यूजिकल प्ले को जब पीएयू के किसान मेले में ओपन एयर थिएटर में बैठे किसानों ने देखा तो वह सन्न रह गए।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : वीरा अग्ग न पराली नूं लगा, ओए गल मन लै..वीरा ऐहनूं खेत विच ही बाह.. ओए गल मन लै। शुक्रवार को पराली न जलाने का संदेश देने वाले इस म्यूजिकल प्ले को जब पीएयू के किसान मेले में ओपन एयर थिएटर में बैठे किसानों ने देखा तो वह सन्न रह गए। कम्यूनिकेशन सेंटर के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. अनिल शर्मा के निर्देशन में हुए इस पंद्रह मिनट के म्यूजिकल प्ले में पीएयू के स्टूडेंट ने पराली जलाने की वजह से आबोहवा व इंसानों और जानवरों पर पड़ रहे बुरे प्रभावों को इतने प्रभावशाली ढंग से बयां किया कि किसान कुछ समय के लिए तो भावुक हो गए। प्ले को देखने के लिए किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस नाटक की स्क्रिप्ट डॉ. अनिल शर्मा ने तैयार की थी और गीत के बोल पलविंदर सिंह व अनिल शर्मा ने लिखे, जबकि आवाज दी पैवी ने। जैसे ही प्ले खत्म हुआ, तो ओपन एयर थिएटर तालियों से गूंज उठा। वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों, निर्देशक प्रसार शिक्षा डॉ. जसकरण सिंह माहल, पीएयू के निर्देशक खोज डॉ. नवतेज सिंह बैंस भी मौजूद रहे। म्यूजिकल प्ले में ये स्टूडेंट शामिल रहे
म्यूजिकल प्ले में जश्न, शरण धालीवाल, पलविंदर बासी, सौरव, तुषार, हरमन, संदीप कौर, प्रभदीप सिंह, जीवन जोत सिंह, मनताज सिंह, अर्श औलख, पर्व बांसल, हरजीत सिंह व जोबन सिंह शामिल थे।
मेले में उमड़े किसान, वीसी ने कृषि विविधिकरण का संदेश दिया
उधर, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के दूसरे दिन किसानों की भारी भीड़ उमड़ी। भारतीय कृषि खोज परिषद लुधियाना इकाई के निर्देशक डॉ.सुजेय रक्षित बतौर मुख्यातिथि पहुंचे। वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने पानी, पराली व कर्जे के मसले पर किसानों के साथ अपने विचार साझा किया। उन्होंने कहा कि आने वाली नस्लों के लिए प्राकृति संसाधनों को संभाल कर रखने की जिम्मेवारी हमारी है, लेकिन जिस तरह से पानी बहाया जा रहा है, उससे आने वाले एक दशक के भीतर पंजाब में पानी की गंभीर समस्या पैदा होगी। ठीक वैसे ही किसानों ने यदि पराली जलाना बंद नहीं किया, तो वह दिन दूर नहीं है जब हमारी आबोहवा ऐसी हो जाएगी कि सांस लेना भी मुश्किल होगा। वीसी ने किसानों से अपील की कि पीएयू के वैज्ञानिकों के परामर्श के अनुसार पराली का प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि पीएयू के वैज्ञानिक किसानों को चौबीसों घंटे अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर हैं। मक्की की खेती कृषि विविधिकारण में अहम: डॉ.सुजेय रक्षित
यदि पंजाब के किसान कृषि विविधिकरण अपनाना चाहते हैं, तो उसमें मक्का काफी लाभदायक होगा। यह कहना रहा भारतीय कृषि खोज परिषद लुधियाना इकाई के निर्देशक डॉ.सुजेय रक्षित का। वे शुक्रवार को किसान मेले बतौर मुख्यातिथि पहुंचे थे। पंजाब के कई जिलों में मक्की की खेती हो भी रही है, लेकिन इसे और बढ़ाया जा सकता है। भारतीय कृषि खोज परिषद की ओर से मक्की की कई नई वैरायटी तैयार की गई है।
बेहतरीन शोधों के लिए वैज्ञानिक हुए सम्मानित
किसान मेले के दौरान पीएयू के उन वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में बेहतर शोध की। इनमें वैज्ञानिक अभिषेक शर्मा को विषाणु रोधक सब्जियों की किस्मों के विकास के लिए सम्मानित किया गया, जबकि डॉ. अमरीक सिंह को प्रसार शिक्षा के लिए सम्मानित किया गया। वहीं डॉ. अजमेर सिंह को जल संरक्षण के लिए किए गए कार्यो के लिए पुरस्कृत किया गया, जबकि डॉ. अमरजीत सिंह संधू को किसानों में जागरुकता फैलाने, डॉ जसविंदर सिंह बराड़ को अमरूद व नींबू जाति के फलों के प्रबंधन के लिए सम्मानित किया गया।
रोपड़ के किसानों ने मेले में पीएयू के खिलाफ की नारेबाजी, आरोप लगाए
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किसान मेले के दौरान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के ओपन एयर थिएटर में जिस वक्त वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों किसानों को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान एक दर्जन से अधिक किसानों ने पीएयू के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों का आरोप था कि पीएयू के रोपड़ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने उन्हें पीआर 126 का मिलावटी बीज दिया, जिसकी वजह से उनकी फसलें खराब हो गई। उसी की शिकायत करने के लिए वह वीसी से मिलने आए थे, लेकिन यूनिवर्सिटी के दूसरे अधिकारी उन्हें वीसी से मिलने से बार बार रोका। भड़के किसानों को एक बार तो वीसी डॉ. ढिल्लों ने आश्वासन देकर शांत करवा लिया, लेकिन जैसे ही भाषण समाप्त हुआ और किसानों को सम्मानित किया जाने लगा तो रोपड़ से आए सभी किसान दोबारा उठ खड़े हुए और स्टेज के सामने आकर फिर से नारेबाजी करने लगे। गांव संघरारी के अजीत सिंह, गांव गतारपुर के किसान प्रितपाल सिंह, गतारपुर के किसान प्यारा सिंह, भूपिंदर सिंह, शाहपुर से कमलजीत सिंह व अमृत सिंह, ककराली गांव से तीर्थ सिंह व बूटा सिंह ने आरोप लगाया कि तेरह किसानों ने मई में कृषि विज्ञान केंद्र रोपड़ से पीआर 126 का बीज लिया था। जब किसानों ने बीज की बोरी खोली तो उसमें तीन किस्म के बीज निकले, लेकिन तब उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जब फसल बड़ी हुई तो उनके खेतों में तीन तरह की फसल नजर आई। किसी खेत में फसल पककर तैयार है, तो किसी में अभी केवल धान में बीज पड़े हैं, जबकि किसी खेत में धान में बीज ही नहीं पड़े। ऐसे में उन्हें भारी नुकसान होगा। किसानों की बात सुनने के लिए वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया। जहां उन्होंने मुआवजा देने संबंधी मांग पत्र सौंपा। हालांकि किसानों का आरोप है कि वीसी के साथ हुई मीटिंग में भी उनकी नहीं सुनी गई। ऐसे में अब वह कोर्ट व मुख्यमंत्री के दरबार में जाएंगे। हालांकि, यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि आरोप लगाने वाले किसानों की शिकायत को ध्यान से सुना गया है। उसकी जांच भी करवाई जाएगी।
पराली न जलाकर पर्यावरण प्रहरी बने किसानों पर किताब का विमोचन
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किसान मेले के दौरान पंजाब के ऐसे किसानों पर आधारित किताब का भी विमोचन किया गया, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रहरी बनकर वर्षो से पराली को आग नहीं लगाई और पराली का इस्तेमाल खेती में किया। पीएयू की ओर से इस किताब में पचास किसानों की कहानी को प्रकाशित किया गया है। किताब का नाम 'पराली की उचित संभाल करने वाले उद्यमी किसान' दिया गया है। इनमें गांव रजिया के सतनाम सिंह, भोईवाली के किसान गुरदेव सिंह, जगतार सिंह बराड़, गुरप्रीत सिंह, गांव वीरेवाला कलां के रविपाल सिंह, गांव बलौचा के जतिंदर सिंह, जड़ियां के बलबीर सिंह, सुरजीत सिंह, हरदीप सिंह कर्मूवाला,, बीर सिंह, गुरदीप सिंह, जसविंदर सिंह, गुरदयाल सिंह सलोपुर, बाज सिंह संधू, अंग्रेज सिंह, जसबीर सिंह जज, प्रदूमण सिंह, धर्मवीर सिंह, रणजीत सिंह थिंद, स्वर्ण सिंह चंदी, जसप्रीत सिंह गिल, दविंदर सिंह, हरदीप सिंह सेखो, जैदीप सिंह संघा, जगमोहन सिंह, जसकंवरदीप सिंह, सुखजीत सिंह, अमित शर्मा, बीर दलविंदर सिंह, हुकम सिंह, निर्मल सिंह दुलट, बलेव सिंह, गुनदीप सिंह ग्रेवाल, गुलजार सिंह के नाम शामिल है।