देवी हैं अज्ञेया, अनंता, अलक्ष्या, अजा व एका : पं. मोहन परगाई
नवरात्र के छठे दिन मंदिर देवी दवाला में नवदुर्गा के कात्यायनी स्वरूप का पूर्ण श्रद्धा एवं विधि के साथ ध्यान व पूजन किया गया।
जागरण संवाददाता, खन्ना
नवरात्र के छठे दिन मंदिर देवी दवाला में नवदुर्गा के कात्यायनी स्वरूप का पूर्ण श्रद्धा एवं विधि के साथ ध्यान व पूजन किया गया। सुबह की पूजा के अवसर पर यशपाल गुप्ता, दर्शना गुप्ता एवं मितुल गुप्ता द्वारा यजमान संकल्प लिया गया और विभिन्न प्रकार की सामग्री भेंट की। इस स्वरूप की महिमा के बारे में पं. मोहन ने बताया कि महार्षि कात्यायन के आश्रम में प्रगट होने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। वास्तव में देवी नित्य एवं अजन्मा होती हुई भी भक्तों के कल्याण के लिए पुन: प्रगट होती हैं। अज्ञात होने के कारण देवी को अज्ञेया, अंत न मिलने के कारण अनंता, लक्ष्य न दिख पड़ने के कारण अलक्ष्या, जन्म समझ में न आने के कारण अजा, अकेली ही सर्वत्र होने के कारण एका और विश्वरूप में सजी होने के कारण नैका कहा जाता है। संध्या के समय मंदिर में दुर्गा स्तुति का रोजाना पाठ किया गया और इसके बाद मां की आरती उतारी गई और प्रसाद बांटा गया। इस बार सप्तमी एवं अष्टमी के संयोग के कारण मां भक्त अपनी श्रद्धानुसार 23 या 24 अक्तूबर को कंजक पूजन कर सकेंगे। सात दिवसीय व्रतधारी 24 अक्तूबर को ही श्री दुर्गा अष्टमी मनाएंगे।