कैप्टन की गुड बुक से बाहर हुई कोटली फैमिली!
सचिन आनंद, खन्ना कहते हैं कि धुआं तभी उठता है जब कहीं कोई ¨चगारी सुलगती है। कुछ इसी तरह की ¨चगारी
सचिन आनंद, खन्ना
कहते हैं कि धुआं तभी उठता है जब कहीं कोई ¨चगारी सुलगती है। कुछ इसी तरह की ¨चगारी इन दिनों कांग्रेस के भीतर भी सुलग रही है। लंबे समय से चली आ रही एक शंका को इस स्वतंत्रता दिवस पर ईसड़ू में हुई कांग्रेस की शहीदी कांफ्रेंस में और भी बल मिला है। इससे एक बड़ा सवाल राजनीतिक हलकों में उठ खड़ा हुआ है कि क्या मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत ¨सह का कोटली परिवार एक बार फिर कैप्टन की गुड बुक में से बाहर निकल गया है?
सूत्रों की मानें तो खन्ना विधानसभा और कोटली परिवार से कैप्टन की दूरी की चर्चा कांग्रेस के हलकों में अब आम हो चली है। कैप्टन अम¨रदर ¨सह विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान खन्ना की सब्जी मंडी में आए थे तो खन्ना को जिला बनाने के साथ कईं बड़े वादे कर गए थे। वादों पर भरोसा कर लोगों ने कांग्रेस के गुरकीरत ¨सह कोटली को विधायक बनाया, लेकिन उसके बाद ना कैप्टन लौटे और ना ही उनके वादों के पूरा करने की कोई खबर आई। बताते हैं कि कैप्टन लॉबी की कोटली परिवार से दूरी के दो बड़े कारण हैं। पंजाब मंत्रीमंडल के पहले विस्तार के दौरान मंत्री नहीं बनाए जाने से खफा गुरकीरत कोटली ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई थी और विस्तार समारोह से भी गैरहाजिर रहे थे।
जानकार बताते हैं कि इस दौरान कैप्टन को बाईपास कर गुरकीरत का राहुल गांधी से मिलना भी कैप्टन को अखर रहा है। इसके बाद हाल ही में कोटली का ऑल इंडिया कांग्रेस सचिव बनने पर भी कैप्टन लॉबी खुश नहीं बताई जाती। उनका मानना है कि कैप्टन के कद को छोटा दिखाने के लिए इस पद को लेकर कोटली परिवार ने लॉ¨बग की है। इससे कैप्टन से सीधी टक्कर लेने की रणनीति भी माना जा रहा है। यही कारण है कि सीएम बनने के बाद दोनों शहीदी कांफ्रेंसों में कैप्टन घोषणा करने के बावजूद नहीं आए और खन्ना से जुड़े मसलों को लेकर सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है। जबकि, पूर्व सीएम प्रकाश ¨सह बादल लगातार 10 साल ईसड़ू में शहीदी कांफ्रेंस में शिरकत करते रहे हैं। पिछले कार्यकाल में कैप्टन भी यहां आते रहे, लेकिन उस वक्त खन्ना की विधायक हरबंस कौर दूलो थीं। पहले भी रही है रिश्तों में कड़वाहट
कैप्टन और कोटली परिवारों के रिश्तों में कड़वाहट कोई आज की बात नहीं है। 2002 में कैप्टन पहली बार सीएम बने तो गुरकीरत के पिता तेज प्रकाश ¨सह कोटली ट्रांसपोर्ट मंत्री बने। रा¨जदर कौर भट्ठल ने पार्टी के भीतर कैप्टन के खिलाफ लॉ¨बग की तो कोटली परिवार ने खुलकर भट्ठल का साथ दिया। इसके बाद भट्ठल को तो उपमुख्यमंत्री का पद मिल गया, लेकिन तेजप्रकाश का मंत्री पद छिन गया। उनकी जगह तेजप्रकाश की बहन गुरकंवल कौर मंत्री बनी। रिश्तों में नजदीकी सरकार के जाने के बाद आई, जब कैप्टन के समर्थन से कोटली परिवार के रवनीत ¨सह बिट्टू पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान बने। लेकिन, सरकार के दोबारा आते ही दोनों परिवारों के बीच फिर से दरार नजर आने लगी है। इसके साथ ही कैप्टन ने हमेशा पूर्व सीएम बेअंत ¨सह के बरसी समारोह से भी दूरी बनाकर रखी। कैप्टन ही जानते हैं क्यों नहीं आए : कोटली
इस बाबत संपर्क करने पर खन्ना के विधायक गुरकीरत ¨सह कोटली ने कहा कि ईसड़ू कांफ्रेंस में कैप्टन क्यों नहीं आए, इस बारे में कैप्टन ही बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है कि कैप्टन उनसे नाराज हैं। मंत्रीमंडल विस्तार के दौरान भी वे कैप्टन के खिलाफ नहीं गए। कोटली ने कहा कि कैबिनेट विस्तार समारोह में नहीं जाना कोई खास बात नहीं है।