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खेती विधेयक पर उबाल, फूंका पीएम मोदी का पुतला

केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए खेती विधेयकों के खिलाफ किसानों में उबाल बढ़ता जा रहा है। रविवार को लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने खन्ना में एसडीएम दफ्तर के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। किसानों ने अपना संघर्ष और तेज करने की चेतावनी दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 01:33 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 01:33 AM (IST)
खेती विधेयक पर उबाल, फूंका पीएम मोदी का पुतला
खेती विधेयक पर उबाल, फूंका पीएम मोदी का पुतला

जागरण संवाददाता, खन्ना : केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए खेती विधेयकों के खिलाफ किसानों में उबाल बढ़ता जा रहा है। रविवार को लॉकडाउन के बावजूद किसानों ने खन्ना में एसडीएम दफ्तर के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। किसानों ने अपना संघर्ष और तेज करने की चेतावनी दी है।

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भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के ब्लाक अध्यक्ष अमृत बेनिपाल ने कहा कि खेती संबंधी बिल ओर बिजली संशोधन का किसान डटकर विरोध करेंगे। कोई नही चाहता कि यह राज्यसभा में पास हो।

किसान नेता तेजिदर सिंह राजेवाल ने कहा कि सभी किसान संगठन इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हैं। अगर सरकार पारित भी कर देगी तो भी इसे पंजाब में लागू नहीं होने देंगे। राजिदर सिंह कोट पनेच ने की किसानों की हर लड़ाई अब वे लड़ने के लिए तैयार है। इसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। विधेयक किसानों की मर्जी मुताबिक संशोधन किए बगैर वे चुप नहीं बैठेंगे। विरोध की यह आग दिल्ली तक जाएगी। अकाली दल हर स्तर पर करेगा कृषि विधेयकों का विरोध : चन्नी

जागरण संवाददाता, खन्ना : खन्ना के अकाली नेताओं और वर्करों की बैठक रविवार को हुई। इस दौरान केंद्र में खेती विधेयक के पारित होने और इस पर अकाली दल की कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। खन्ना नगर कौंसिल के पूर्व प्रधान इकबाल सिंह चन्नी ने कहा कि अकाली दल हर स्तर पर खेती विधेयकों का विरोध करेगा। किसानों के लिए संघर्ष करने के लिए हाईकमान के हर आदेश का पालन किया जाएगा।

चन्नी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे ने साबित कर दिया है कि अकाली दल किसानों के साथ डटकर खड़ा है और इसके लिए कोई भी कीमत वह अदा कर सकता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में पंजाबी को राज भाषा के रूप में खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले की भी निदा की। उन्होंने इस फैसले को भी वापिस लेने की मांग की।

इस अवसर पर जीत सिंह अलौड़, मोहन सिंह जटाणा, बूटा सिंह रायपुर, हरजंग सिंह गंढूआ, हरमेल सिंह, दविदर सिंह हरेओं, सुखविदर सिंह मांगट, दिलमेघ सिंह खटड़ा. गुरदीप सिंह रोमाणा, गुरदीप सिंह म्टि्ठू, कश्मीरा सिंह भुमद्दी, स्वर्णजीत सिंह माजरी, गुरदीप सिंह, फतेह सिंह बूथगढ़, जरनैल सिंह भुमद्दी, सुरजीत सिंह रसूलड़ा, हरवीर सिंह सोनू, लखवीर सिंह भट्टी, अजमेर सिंह इकोलाही, बाबा प्रीतम सिंह, गुरजंट सिंह बीजा, नंबरदार धनराज सिंह, मलकीत सिंह भट्टियां, सुखदेव सिंह कलकत्ता, मलकीत सिंह बोपाराय, सुखविदर सिंह पिकी, गुरदीप सिंह लिबड़ा, करम सिंह गोह, हरिदर सिंह चावा, बलप्रीत सिंह बाली, नंबरदार जसवीर सिंह मानकमाजरा, दीपा मानकमाजरा, साधू सिंह रसूलड़ा, रणजीत सिंह मंडियाला, गौरव चकोही, तरलोचन सिंह इकोलाहा, जसकरन सिंह मोहनपुर, राजिदर सिंह घुंघराली भी मौजूद रहे।


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