अकाली उम्मीदवारों को वोट डाल फंस गए भाजपाई
किसानी मुद्दे पर एक दूसरे से दशकों पुराना गठबंधन तोड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी वीरवार को खन्ना नगर कौंसिल में एक ही पाले में खड़े दिखाई दिए।
जागरण संवाददाता, खन्ना : किसानी मुद्दे पर एक दूसरे से दशकों पुराना गठबंधन तोड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी वीरवार को खन्ना नगर कौंसिल में एक ही पाले में खड़े दिखाई दिए। खन्ना नगर कौंसिल के प्रधान और उप प्रधान के चुनाव में अकाली दल द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के पक्ष में भाजपा के दो पार्षदों ने भी वीरवार को मतदान कर दिया। इस मसले पर भाजपा बुरी तरह फंसी तो पार्टी ने इससे पल्ला ही झाड़ लिया।
गठबंधन टूटने के बाद खन्ना नगर कौंसिल चुनाव अकाली दल और भाजपा अलग-अलग और एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे। अकाली दल के छह और भाजपा के दो पार्षद बन कर कौंसिल में पहुंचे। वीरवार को हुए चुनाव में अकाली दल ने प्रधान पद के लिए रीटा रानी और उप प्रधान के लिए रूबी भाटिया को उम्मीदवारों के तौर पर खड़ा किया। इस पर भाजपा की दोनों महिला पार्षदों मीनाक्षी देवगण और डा. राखी अरोड़ा मनोचा ने उन्हें वोट दे दिया। भाजपा की इस गलती से कांग्रेस को वार करने का मौका मिल गया। हालांकि यहां यह भी साफ था कि भाजपा वोट डालती या नहीं, उम्मीदवार कांग्रेस के ही जीतने थे। इसी स्थिति को भांपते हुए आम आदमी पार्टी के दोनों पार्षदों ने न्यूट्रल रहने का फैसला किया। भाजपा भी ऐसा कर सकती थी।
शिअद-भाजपा अब भी एक ही हैं : सोनी
ब्लाक समिति खन्ना के चेयरमैन कांग्रेसी नेता सतनाम सिंह सोनी ने कहा कि किसानों के आंदोलन को देखते हुए अकाली दल और भाजपा एक दूसरे से अलग होने का ड्रामा कर रहे हैं। वीरवार की घटना से यह साबित हो गया है। दोनों एक साथ हैं और केवल किसानों और आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं। पोल खुलने के बाद अब जनता इन्हें जवाब देगी।
यह पार्टी का फैसला नहीं है : टिकू
भाजपा जिला प्रधान पवन कुमार टिकू ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि भाजपा के पार्षदों ने अकाली दल के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया है। उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह पार्षदों का फैसला हो सकता है। पार्टी ने ऐसा कोई फैसला नहीं किया है। वे इसके बारे में पता करेंगें। उसके बाद ही कुछ बताया जा सकता है।