आठ पुराणों में से एक है श्रीमद्भागवत पुराण : श्री व्यास
समराला रोड स्थित श्री गुग्गा माड़ी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्री व्यास अकामानंद जी महाराज जी ने कहा कि भागवत पुराण हिंदुओं के 18 पुराणों में से एक है।
जागरण संवाददाता, खन्ना
समराला रोड स्थित श्री गुग्गा माड़ी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्री व्यास अकामानंद जी महाराज जी ने कहा कि भागवत पुराण हिंदुओं के 18 पुराणों में से एक है। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है।
स्वामी जी ने कहा कि सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा था। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्री हरि का रूप हैं। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं। दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी का कल्याण संभव है। इस मौके पर प्रधान प्रेम चंद बख्शी, नीना शाही, ज्ञान चंद लटावा, दर्शन लाल, सुभाष सिंगला, पूजा गोयल, सुनील भनोट, पं देशराज शास्त्री जी ने व्यास जी का विधिवत पूजन किया।