जेलर साहब को ले डूबा सिंगिंग स्टार का मोह... पढ़ें लुधियाना की और भी रोचक खबरें
गायक करण औजला फिल्मों की तर्ज पर पूरे लाव लश्कर के साथ लुधियाना सेंट्रल जेल के सुपरिंटेंडेंट से मिलने जेल पहुंच गए। जेलर बोले यह गायक की उनके दफ्तर में पर्सनल विजिट थी। उधर विभाग को यह नागवार गुजरा और मामले की जांच शुरू कर दी।
लुधिायना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। पंजाबी स्टार गायकों की लाइफ स्टाइल अलग ही होती है। उनकी लोकप्रियता के कारण हर कोई उनके करीब पहुंचने से पीछे नहीं रहता है। स्टार गायक किसी स्थान पर पहुंचते हैं तो उसके करीब पहुंचने और सेल्फी लेने वालों का हुजूम उमड़ पड़ता है। गायक के प्रशंसकों के अलावा अफसरों में भी स्टार मोह कूट-कूटकर भरा होता है। गायक के कार्यक्रम में वह आगे की कुर्सी में शुमार होने से पीछे नहीं हटते। अब कोई गायक खुद मिलने पहुंचे तो अफसर मना कैसे कर सकता है। सूबे के जाने-माने गायक करण औजला फिल्मों की तर्ज पर पूरे लाव लश्कर के साथ लुधियाना सेंट्रल जेल के सुपरिंटेंडेंट से मिलने जेल पहुंच गए। बात उड़ी तो जेल सुपरिंटेंडेंट ने सफाई दी कि औजला से उनके पुराने संबंध हैं। यह उनकी दफ्तर में पर्सनल विजिट थी। उधर, विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और अफसर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
नेताजी की जफ्फी पड़ी महंगी
कोरोना काल में किसी को जफ्फी डालना भी काफी महंगा पड़ सकता है। पहले तो लोग हाथ मिलाने से भी कतराने लगे थे, लेकिन अब फिर कोरोना का डर खत्म होता जा रहा है। वैसे भी अगर किसी नेता के करीब जाना है तो तमाम नियमों को ताक पर रख कर जफ्फी डालनी पड़ती है। एक मंत्री जी के बेटे लुधियाना के अस्पताल में पहुंच गए। सेहत विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उनसे मिलने पहुंच गए। जान-पहचान वाले बहुत करीब खड़े हुए। नेताजी भी सभी से गर्मजोशी से मिले और उन्हें पंजाबियों वाली जफ्फी भी डाली। बाद में पता चला कि नेताजी कोरोना पाजिटिव हो गए हैं। अब अस्पताल स्टाफ में हड़कंप मच गया। कइयों को कोरोना जैसे लक्ष्ण भी महसूस हुए। कुछ कर्मचारियों ने टेस्ट करवाया तो वह भी कोरोना पाजिटिव पाए गए। अब सभी पछता रहे हैं।
दिग्गजों ने चढ़ी भाजपा दफ्तर की सीढ़ियां
घंटाघर स्थित भाजपा दफ्तर में आजकल वह चेहरे भी नजर आने लगे हैं जो लंबे समय से इससे दूर रहे। हालांकि वह भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ताओं में शुमार हैं लेकिन दफ्तर की सक्रिय गतिविधियों से खुद को दूर रखे हुए थे। इनमें पंजाब व्यापार मंडल के शीर्ष पदाधिकारी भी हैं। कुछ तो पूर्व पार्षद भी हैं। कारण भले कुछ भी रहे हों लेकिन अब इन दिग्गज नेताओं की लगातार सक्रियता एक सकारात्मक संदेश दे रही है। भाजपा के एक शीर्ष नेता का कहना है कि प्रत्येक नेतृत्व की अपनी एक सोच होती है। उनकी कुछ पुराने नेताओं के साथ सोच नहीं मिलती थी। कई बार मनमुटाव होता था। इस सब के बीच जिले की राजनीति में मझे हुए इन नेताओं का लौटना भाजपा के लिए अच्छे संकेत हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव में शिअद के बिना अकेले चुनावी अखाड़े में उतरने वाली भाजपा को इन नेताओं के अनुभव का फायदा जरूर मिलेगा।
विकास पर चढ़ा चुनावी रंग
पंजाब में विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने बचे हैं। ऐसे में प्रदेश में होने वाले विकास कार्यों पर भी चुनावी रंग चढ़ने लगा है। हर सत्ताधारी विधायक चाहता है कि चुनाव से पहले उसके हलके में विकास कार्यों की झड़ी लग जाए ताकि लोगों को लगे कि नेताजी ने कितना काम करवा दिया है। अब विधायक लगातार अफसरों पर दबाव बढ़ाने लगे हैं। वह चाहते हैं कि हलके के विकास कार्य जल्द पूरे किए जाएं। नगर निगम के विकास कार्यों पर भी इसका असर दिख रहा है। कमिश्नर साहब ने सभी विभागों के अफसरों को दो टूक कह दिया कि विकास कार्यों को निर्धारित समय पर पूरा करना उनकी जिम्मेदारी है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो खुद को सस्पेंड समझें। साहब के कड़े रुख को देखते हुए अफसर भी सकते में आ गए हैं। क्या करें, ऊपर का दबाव है।