सोनी गालिब के लिए प्रधान का पद कांटों के ताज से कम नहीं
पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राज्य के पार्टी प्रधानों की वीरवार को जारी की गई सूची में जिला लुधियाना देहात के नियुक्त किए गए प्रधान करन गालिब को बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गई है।
संवाद सहयोगी, जगराओं : पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राज्य के पार्टी प्रधानों की वीरवार को जारी की गई सूची में जिला लुधियाना देहात के नियुक्त किए गए प्रधान करन गालिब को बड़ी जिम्मेवारी सौंपी गई है। करन कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता स्व. गुरचरन सिंह गालिब के पुत्र है। गुरचरन सिंह गालिब किसी की पहचान के मोहताज नहीं थे। उनके निधन के बाद पिता की राजनीतिक विरासत को करन गालिब ने बाखूबी संभाले रखा है। अपनी राजसी सूझबूझ के चलते वह जिला प्रधान के पद पर पहुंच गए है। सोनी गालिब की इस नियुक्ति पर जहां पूरे इलाके में कांग्रेसी लीडरशिप और वर्करों में भारी उत्साह है वहीं गालिब को अपने इस पद की गरिमा बरकरार रखने के लिए सख्त मेहनत करनी पडे़गी। अगर जिला लुधियाना देहात के राजसी माहौल पर नजर दौड़ाई जाए तो यह कहना भी गलत नहीं है कि यह ताज कांटों से कम नहीं है। लुधियाना देहात प्रधान को छह विधानसभा क्षेत्रों जगराओं, दाखा, गिल, साहनेवाल, रायकोट और पायल के वर्करों को एक साथ लेकर चलना होगा। अब अगर सोनी गालिब के खुद के क्षेत्र जगराओं पर ही नजर दौड़ाई जाए तो इस समय जगराओं में कांग्रेस की पैठ बहुत अच्छी नहीं है। जगराओं कांग्रेस तीन गुटों में बंटी हुई है, जिस कारण आपसी गुटबंदी के चलते इस बार के अधिकतर पंचायती चुनाव भी कांग्रेस हार गई। वैद नसीब चंद जैसे दिग्गज और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अपने घरों में बैठे हुए है। जगराओं में पूर्व मंत्री दर्शन सिंह बराड़, जोकि इस समय बाघापुराना से विधायक है का अपना गुट है। पूर्व सांसद गुरचरन सिंह गालिब का अपना और मजबूत गुट पहले से ही कायम है, जिसकी अगुवाई अब खुद करन गालिब करते है। तीसरा गुट पूर्व मंत्री और जगराओं क्षेत्र के पार्टी प्रभारी मलकीत सिंह दाखा का बन गया है। इसी तरह से दाखा क्षेत्र में पूर्व विधायक गुरदीप सिंह भैणी उनके पुत्र मेजर सिंह भैणी और खंगूड़ा परिवार का गुट आमने सामने है। साहनेवाल में गायक कलाकार और कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ हार जाने वाली बिट्टी भी अपने कुनबे को नहीं संभाल पा रहीं। रायकोट क्षेत्र से पूर्व विधायक गुरचरन बोपाराय और अमर सिंह बोपाराय भले ही दोनों भाई एक साथ कभी-कभार नजर आते है, लेकिन इन दोनों के अलग गुट बन चुके है। यही हालात अन्य दो क्षेत्रों में भी है। अब ऐसे हालातों में आने वाले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को जिताने के लिए सोनी गालिब को पहले अपना सारा कुनबा एक साथ करना होगा।
खामोश बैठे गुट को एक मंच पर लाना आसान नहीं
जगराओं क्षेत्र में खामोश होकर बैठा दर्शन सिंह बराड़ का गुट, वैद नसीब चंद जैसे वरिष्ठ नेताओं और अपने दूसरे विपक्षी गुट को एक साथ एक मंच पर लाना आसान काम नहीं है। इसमें कोई शक नहीं है कि करन गालिब मेहनती, मिलनसार और पार्टी के लिए समर्पित नेता है, लेकिन वह चारों ओर एक दूसरे के तरफ पीठ कर खडे़ हुए इतने बडे़ कुनबे को कैसे एक साथ एक मंच पर ला सकेंगे यह आने वाला समय ही बताएगा।