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लुधियाना की रूपाली ने मनाली में साइकिल से तय किया 75 किमी लंबा सफर, अटल टनल होते हुए पहुंची रोहतांग

रूपाली बेरी व अनुप्रिता झा ने मनाली से साइकिल पर अटल टनल होते हुए रोहतांग और फिर वहां से मनाली तक का 75 किलोमीटर लंबा सफर तय किया। यह दूरी तय करने में उन्होंने चार घंटे सात मिनट का समय लिया।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 02:35 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 02:55 PM (IST)
लुधियाना की रूपाली ने मनाली में साइकिल से तय किया 75 किमी लंबा सफर, अटल टनल होते हुए पहुंची रोहतांग
रूपाली बेरी अपनी दोस्त व अभिनेत्री अनुरिता झा के साथ मनाली टूर के दौरान।

लुधियाना, जेएनएन। लुधियाना की बेटी रूपाली बेरी पर साइकिलिंग का ऐसा जूनून है कि वह शहर में 30 से 35 किलोमीटर साइकिल चलाना उनके लिए आम सी बात है। यही नहीं मैदानी क्षेत्र में तो वह 200-200 किलोमीटर तक की साइकिलिंग कर चुकी हैं। वह पर्वतीय क्षेत्रों के चुनौती पूर्ण रास्तों पर साइकिलिंग करना चाहती थी तो इसके लिए उन्होंने अपनी दोस्त व अभिनेत्रि अनुरिता झा को साथ लिया और मनाली चली गईं।

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रूपाली बेरी व अनुरिता झा ने मनाली से साइकिल पर अटल टनल होते हुए रोहतांग और फिर वहां से मनाली तक का 75 किलोमीटर लंबा सफर तय किया। यह दूरी तय करने में उन्होंने चार घंटे सात मिनट का समय लिया। इसके अलावा उन्होंने छह दिन के इस टूर पर 50 किलोमीटर साइकिलिंग और भी की। रुपाली बेरी लुधियाना के अग्रनगर की रहने वाली हैं और पेशे एक एक निजी टेक्सटाइल कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर काम कर रही हैं।

रूपाली बताती हैं कि उन्हें साइकिलिंग का शौंक बचपन से है और वह लुधियाना में नियिमत तौर पर साइकिलिंग करती हैं। पर्वतीय क्षेत्र में साइकिलिंग करने की उनके मन में जिज्ञासा थी। इसके लिए उन्होंने अपनी दोस्त अनुप्रिता से संपर्क किया तो उसने भी मनाली की दुर्गम पहाड़ियों में साइकिल चलाने की इच्छा जाहिर की।

रूपाली ने बताया कि जब वह मनाली पहुंची तो यहां और वहां के वातावरण में काफी अंतर था। उन्होंने कि मनाली से उन्होंने व उनकी दोस्त ने साइकिलिंग शुरू की। रास्ते में कहीं चढ़ाई थी तो कहीं ढलान। पहाड़ों की घुमावदार सड़कों पर साइकिलिंग करना अपने आप में एक चैलेंज था। लेकिन उन्होंने इस चैलेंज को बखूबी पूरा किया और पर्वतीय क्षेत्र में 75 किलोमाटर साइकिल चलाकर यह दिखा दिया कि लड़कियां भी हर क्षेत्र में आगे हैं।

रूपाली ने बताया कि प्लेन एरिया में तो वह लुधियाना से अमृतसर तक साइकिलिंग कर चुकी हैं। रूपाली का कहना है कि पहाड़ों के मुकाबले मैदानी क्षेत्रों में साइकिलिंग करना आसान होता है। जबकि पहाड़ों पर साइकिलिंग एक चुनौती पूर्ण काम है। 


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