Farmers Protest : अब समझने लगे किसान.. सरकार से बात करने वाले नहीं हैं गद्दार
लुधियाना में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को यह बात समझ आने लगी हैं कि सरकार से बातचीत के बिना इस समस्या का कोई हल नहीं निकलने वाला। किसान नेताओं का कहना है ‘सरकार नाल गल्ल करन वाले साड्डे किसान वीरां नूं गद्दार ना केहा जावे।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। भले ही किसान आंदोलन में जुटे लोग लगातार केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन अब उनमें से कइयों को यह बात समझ आने लगी है कि सरकार से बातचीत के बिना इस समस्या का कोई हल नहीं निकलने वाला। यह बात उस समय स्पष्ट हुई जब किसानों ने तीन घंटे के चक्का जाम के दौरान लाडोवाल टोल प्लाजा पर धरना लगाया हुआ था। धरने को संबोधित कर रहे एक किसान का कहना था, ‘सरकार नाल गल्ल करन वाले साड्डे किसान वीरां नूं गद्दार ना केहा जावे। ओह तां किसानां दी समस्या दा हल करण विच लगे हन।’ धरने के बाद उनका कहना था कि किसी न किसी को तो सरकार से बातचीत करनी ही है। ऐसे में जो भी बातचीत करने जाएगा, आप उसे गद्दार नहीं घोषित कर सकते। वह तो सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता का काम कर रहे हैं। उनकी सफलता या असफलता एक अलग बात है।
जब किसान बन गए ‘डाक्टर’
सरकार की नजरों में भले ही किसान खेतों में काम करने वाला कम पढ़ा लिखा इंसान है, लेकिन अब वह खुद को दूसरों से ज्यादा पढ़ा-लिखा साबित करने में पीछे नहीं हटते। चक्का जाम के दौरान लाडोवाल टोल प्लाजा पर एक मरीज को लेकर एक वाहन पहुंचा। किसान संगठनों ने पहले ही घोषणा कर रखी थी कि चक्का जाम के दौरान किसी भी मरीज व इमरजेंसी वाहन को नहीं रोका जाएगा। इसके बावजूद मरीज वाले वाहन को किसान वालंटियर्स ने रोक लिया। वाहन में बैठे लोगों ने आग्रह किया कि वह मरीज को लेकर जा रहे हैं तो वालंटियर भी तपाक से बोल पड़ा कि मेडिकल रिपोर्ट दिखाओ। उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट दी तो वालंटियर ने डाक्टर की तरह पूरी रिपोर्ट का जायजा लिया। फिर कहा कि डाक्टर से बात करवाओ। इस पर मरीज के परिजन आग्रह करने लगे, उन्हें जल्दी जाना है। वहां मौजूद अन्य लोगों के कहने पर उन्हें छोड़ा गया।
सिद्धू के ट्वीट ने छेड़ी बहस
क्रिकेट की पिच से लेकर राजनीति की बिसात तक हमेशा चर्चा में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार के विधायक होने के बावजूद सरकारी तंत्र से दूर हैं। हालांकि वह हमेशा से ही अपनी बेबाक बयानबाजी से लोगों को नई बहस का मौका देते रहते हैं। लंबे समय से राजनीतिक बयानबाजी से दूर रहने के बाद सिद्धू ने बीते दिनों अचानक ट्विटर पर एक ट्वीट किया, ‘ये दबदबा, ये दौलत, ये हुकूमत का नशा, सब किराएदार हैं.. घर बदलते रहते हैं।’ इस ट्वीट पर जहां लोग अपनी-अपनी सोच के साथ जवाब देने लगे, वहीं कुछ घंटों में ही इस ट्वीट को लाइक करने और री-ट्वीट की झड़ी लग गई। एक शख्स ने तो सिद्धू को घर वापसी का सुझाव देते हुए ये भी लिख दिया कि हांजी सर, आप सही कह रहे हैं। पर सर.. कृपया वापस आ जाओ। अब कांग्रेस आपके लिए नहीं है। भाजपा में वापसी कर लो।
प्यार की भावनाओं पर बिजनेस
पश्चिमी सभ्यता से मिला वेलेंटाइन वीक इन दिनों पूरे रंग पर है। सबसे ज्यादा क्रेज युवाओं में देखने को मिलता है। युवा वेलेंटाइन वीक के हर दिन को अपने दोस्त के साथ सेलिब्रेट करने के लिए कुछ भी करने को तत्पर हैं। प्यार की इन भावनाओं को कारोबारी भी पूरी तरह भुना रहे हैं। भले वह गुलाब का फूल हो या फिर चाकलेट, टेडी या ग्रीटिंग्स कार्ड। इनकी मांग बढ़ते ही कारोबारियों ने कीमतें भी बढ़ा दीं। पक्खोवाल रोड पर एक युवा प्रेमी फूलों के शोरूम में रोज स्टिक लेने के लिए पहुंचा। संचालक ने उसकी कीमत 50 रुपये बताई। सामान्य दिनों में यह 20-25 रुपये में उपलब्ध रहती है। युवक ने ङिाझकते हुए आखिरकार दुकानदार से पूछ ही लिया कि इसकी इतनी कीमत क्यों? इस पर दुकानदार ने तपाक से कहा कि साल में एक दिन ही आता है, जब लोग कीमत नहीं पूछते और हमारी भी कुछ कमाई हो जाती है।