Halwara Airport: मुआवजे के सरकारी रेट से किसान नाखुश, बोले-एयरपोर्ट के लिए नहीं देंगे जमीन
इंटरनेशनल एयरपोर्ट टर्मिनल के लिए अधिग्रहित होने वाली जमीन का रेट घोषित होते ही किसानों ने विरोध जताना शुरू कर दिया।
लुधियाना, जेएनएन। हलवारा में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट टर्मिनल के लिए अधिग्रहित होने वाली जमीन का रेट घोषित होते ही किसानों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। किसान सरकार के जारी किए रेट से नाखुश हैं। इसी विरोध में उन्होंने अपनी जमीन नहीं देने का एलान भी कर दिया है। किसानों ने साफ कर दिया कि इतने कम रेट पर वह जमीन नहीं देंगे और सरकार ने जबरदस्ती की तो वह संघर्ष करने से भी नहीं हटेंगे।
प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। रेट घोषित होने के साथ ही ग्रेटर लुधियाना एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी (ग्लाडा) ने जमीन मालिकों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी। नोटिस जारी करने के बाद अगर भूमि मालिकों ने अपने दस्तावेज ग्लाडा को जमा नहीं करवाए तो ग्लाडा कोर्ट में तय राशि जमा करवाकर जमीन अधिग्रहित कर दी जाएगी।
शुक्रवार को ग्लाडा के अफसरों ने सरकार की तरफ से जारी रेटों की घोषणा की। इन रेटों के मुताबिक सरकार भूमि मालिकों को लगभग 24 लाख रुपये प्रति एकड़ देगी। जबकि किसान 1.5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मांग रहे हैं। ग्लाडा ने जैसे ही शुक्रवार को जमीन के रेट की घोषणा की, वैसे ही किसानों ने विरोध कर दिया। उन्होंने शनिवार को एतियाणा गांव में बैठक बुला दी। इसमें एतियाणा गांव की पंचायत व कुछ किसान संगठन शामिल हुए।
भूमि मालिकों ने कह दिया कि घोषित रेट पर वह सरकार को जमीन नहीं देंगे। एतियाणा के सरपंच ने साफ कर दिया कि ग्लाडा के आदेशों के मुताबिक भूमि मालिक 15 दिन के भीतर अपने दस्तावेज नहीं देंगे। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि अगर सरकार को यह जमीन एयरपोर्ट के लिए चाहिए तो जमीन की कीमत बढ़ाई जाए और जिस भी अफसर या मंत्री को उनसे बात करनी है, उन्हें गांव में आना होगा। अब भूमि मालिक किसी दफ्तर में नहीं जाएंगे।
144 रजिस्ट्रियां जुटाई, उसमें से 50 फीसद रजिस्ट्रियों से किया रेट तय
ग्लाडा ने जब जमीन के रेट तय करने थे उससे पहले अफसरों ने किसानों को भी दस्तावेज जुटाने को कहा था। ग्लाडा ने जमीन का रेट तय करने के लिए एतियाणा समेत आसपास के गांवों की पिछले तीन साल में हुई 144 रजिस्ट्रियों को एकत्रित किया। उसमें से 50 फीसद यानि 72 रजिस्ट्रियां ऐसी चुनी गई जो सबसे ज्यादा रेटों पर की गई थी। उसके बाद इन 72 रजिस्ट्रियों का औसत निकाला गया और इससे रेट निर्धारित किया गया।
पांच हिस्सों में तय हुई कीमत
जमीन के रेट पांच हिस्सों में तय किए गए। पहले हिस्से में जमीन की कीमत को आधार बनाया गया है। 161.27 एकड़ जमीन की कीमत 33.24 करोड़ रुपये तय किए गए। यह जमीन 90 परिवारों की है और पुनर्वास भत्ते के रूप में सभी को 5.50 लाख रुपये मिलने हैं। पुनर्वास भत्ते के तौर पर कुल 4.95 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। अलग-अलग ट्यूबवेलों, मशीनरी व अन्य निर्माण के बदले 1.15 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। बिना फल वाले पौधों की असेसमेंट के बाद उनकी कीमत 4.81 लाख रुपये तय की गई है। फल वाले पौधों की कीमत 1.05 लाख रुपये होगी। इन पांचों को जोड़कर कुल कीमत 39.40 करोड़ रुपये तय की गई है। इस तरह जमीन का रेट प्रति एकड़ औसतन 24 लाख रुपये के करीब बन रहा है।
नहीं मानेंगे तो कोर्ट में राशि जमाकर अधिग्रहित करेंगे जमीन
भूमि अधिग्रहण अधिकारी कम एसीए गलाडा भूपिंदर सिंह का कहना है कि सरकार ने रेट नोटिफाई कर दिए हैं। हम अब एक-दो दिन में भूमि मालिकों को नोटिस जारी कर अपने दस्तावेज जमा करवाने को कहेंगे। भूमि मालिक जैसे-जैसे अपने दस्तावेज दिखाएंगे, उन्हें उनकी जमीन की कीमत दे दी जाएगी। अगर तय समय में अपने पैसे लेने नहीं आएंगे तो कोर्ट में राशि जमा करवाकर जमीन अधिग्रहित की जाएगी।
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