डोप टेस्ट पर उठने लगे सवाल, सेहत माहिरों ने बताया तरीका गलत
प्रमोशन के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य किए जाने का फरमान कर्मचारियों को पसोपेश में डाले हुए है। यह ही कन्फर्म नहीं हो रहा है कि यह टेस्ट सभी का होना है और कहां और कैसे होना है। डर के माहौल के बीच सेहत माहिरों और डोप टेस्ट माहिरों ने इस पर सवाल खड़े किए हैं।
दिलबाग दानिश, लुधियाना : प्रमोशन के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य किए जाने का फरमान कर्मचारियों को पसोपेश में डाले हुए है। यह ही कन्फर्म नहीं हो रहा है कि यह टेस्ट सभी का होना है और कहां और कैसे होना है। डर के माहौल के बीच सेहत माहिरों और डोप टेस्ट माहिरों ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। सेहत माहिरों का कहना है कि इससे आप हर व्यक्ति के नशेड़ी होने की प्रमाणिकता नहीं दे सकते हैं। सिविल अस्पताल में होने वाले डोप टेस्ट में मारफिन, कोडीन, डी प्रोपोक्सीफेन, बेनजोडाइजेपीनज, 9- टेटरा हाइड्रो कानाबीनोल (टीएचसी), बारबीचूरेटस, कोकेन, एमफेटामाईनज, बुपरीनारफिन, ट्रामाडोल साल्ट के आधार पर जांच होती है। डोप टेस्ट के लिए आने वाले व्यक्ति के यूरिन में अगर इनमें से कोई भी साल्ट आता है तो वह पॉजिटिव होगा। डोप टेस्ट नशेड़ी ढूंढने का
तरीका नहीं : डॉ. जगजीत सिंह डोप टेस्ट पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। पीसीएमएस के एडवाइजर डॉ. जगजीत सिंह का कहना है कि एक-दो को छोड़ दें तो लगभग बाकी सभी सॉल्ट जरनल बीमारियों के इलाज की दवाओं में इस्तेमाल होता है। अगर आप इन सॉल्ट की दवा लेकर टेस्ट करवाने पहुंचते हैं तो पॉजिटिव आएंगे ही। अगर छह दिन दवा नहीं लो तो टेस्ट नेगेटिव आएगा। ऐसे में डोप टेस्ट यह प्रमाणित ही नहीं करता है कि जिस व्यक्ति का डोप टेस्ट हो रहा है वह इसका एडिक्ट है। दवा लेते हैं तो भी पॉजिटिव
होगा मरीज : डॉ. गुप्ता
जो दस साल्ट डोप टेस्ट के लिए निर्धारित किए गए हैं, उनमें से बेनजोडाइजेपीनज और ओपियम ऐसे कॉमन सॉल्ट हैं जो रूटीन में जरनल मरीजों को दिए जाते हैं। मानसिक तनाव से ग्रस्त मरीजों को तो इनमें से और भी सॉल्ट की दवा दी जाती है। ऐसे पेशेंट का डोप टेस्ट पॉजिटिव आना संभव है।
डॉ. राजीव गुप्ता, साइकेटरिक। दहशत फैलाने से पहले करें
योजना बनाएं : डॉ. मनमोहन
डोप टेस्ट के कुछ प्रिंसीपल्ज हैं। जिसे खिलाड़ियों पर भी लागू किया जाता है। इन्हीं प्रिंसीपल्ज के आधार पर यह टेस्ट होने चाहिए। हर कर्मचारी का टेस्ट करवाने से कोई फायदा नहीं होगा। नशे का इस्तेमाल करने वाले का तो दूर से पता चल जाता है। अगर आपको लगता है कि इसका डोप टेस्ट होना चाहिए तो उसका टेस्ट कर लें। मगर इसमें शर्त रखें कि वह डॉक्टर की बताई दवा लेने संबंधी पहले ही बता दे। इसके लिए इतनी दहशत की जरूरत नहीं है। जो पैसा इस तरह के टेस्ट पर लगाया जा रहा है वह नशेडि़यों के इलाज पर खर्च हो सकता है। डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व चेयरमैन मेडिकल एंड एंटी डोपिंग कमेटी ऑफ ओलपिंक कौंसिल ऑफ एशिया।