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आचार संहिता लागू नहीं, जमा होने लगे लाइसेंसी असलहा

लोकसभा चुनाव की दस्तक तो हो चुकी है लेकिन उसकी तिथि निश्चित न होने के कारण चुनाव आयोग ने अभी आचार संहिता लागू नहीं की है।

By Edited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 06:00 AM (IST)
आचार संहिता लागू नहीं, जमा होने लगे लाइसेंसी असलहा
आचार संहिता लागू नहीं, जमा होने लगे लाइसेंसी असलहा

राजन कैथ, लुधियाना

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लोकसभा चुनाव की दस्तक तो हो चुकी है, लेकिन उसकी तिथि निश्चित न होने के कारण चुनाव आयोग ने अभी आचार संहिता लागू नही की है। स्थानीय कमिश्नरेट में पुलिस ने अभी से असलहा जमा कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह पहली बार हुआ है कि आचार संहिता लागू होने से पहले ही पुलिस ने धारको से असलहा जमा कराना शुरू कर लिया। ज्यादातर थानों में 50 फीसद असलहा जमा कराया जा चुका है। सूत्र बताते हैं कि चुनाव की आपाधापी के दौरान मारा-मारी से बचने के लिए ही पुलिस उससे पहले असलहा जमा करने का काम निपटाना चाहती है। दुकानो में जमा कराने के दिए जा रहे विकल्प

पुलिस सूत्रो के अनुसार कमिश्नरेट के अंतर्गत आते 28 थानो में 15150 लोगो के पास लाइसेंस हैं, जिनके आधार पर उन लाइसेंस धारको के पास कुल 18700 असलहे हैं। पुलिस थानो में तो असलहा जमा कर ही रही है। साथ ही वो धारको को असलहा बेचने वाली दुकानो में भी असलहा जमा कराने का विकल्प दे रही है। जहां असलहा जमा कराने के बाद दुकानदार धारक को रसीद जारी कर रहे हैं, जिसकी कॉपी धारक थाने में जमा करा रहे हैं। असलहे के अनुसार होता है किराया

थानो में असलहा रखने के पर्याप्त इंतजाम नही होने के कारण बढि़या और कीमती हथियारो के मालिक उसे वहां रखने से कतराते हैं। वो उसकी बेहतर देखभाल चाहते हैं। पुलिस उन धारको को दुकानदारो के पास भेजती है। शहर में असलहा खरीदने व बेचने वाली कुल 16 दुकानें हैं। एक दुकान के पास 50 से 100 असलहे रखने का परमिट होता है। असलहा दुकानदार चुनाव के नतीजे आने तक वो असलहा अपने पास रखते हैं, जिसके बदले में वो धारक से 300 से 2500 रुपये चार्ज करते हैं। थानो से आ रहे टेलीफोन

कमिश्नरेट के अंतर्गत रहने वाले सभी असलहा धारको का नाम, पता और मोबाइल नंबर उनके संबंधित थानो के पास मौजूद है, जिसके चलते पुलिस थानो से धारको को फोन करके असलहा जमा कराने के लिए ताकीद कर रही है। दो फोन के बाद जो धारक थाने में नही पहुंच रहे हैं, पुलिस उनके घरो में पहुंच कर असलहा जमा कराने की ताकीद कर रही है। डाबा निवासी प्रॉपर्टी डीलर सतपाल राजपूत ने बताया कि उन्हें दो बार फोन आया, जिसके बाद वो थाने में अपना पिस्टल जमा करा आए। पूर्व सरपंच की हुई थी हत्या

चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचने के लिए पुलिस लाइसेंसी असलहा धारको के असलहे जमा करा लेती है। बता दें कि 2008 में हुए नगर निगम चुनाव के दौरान वार्ड एक में फायरिग के दौरान गांव बहादर के सरपंच बंटी बाजवा की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा पिछले लोक सभा चुनाव के दौरान गिल गार्डन इलाके में हुई फायरिग के दौरान दो लोग घायल हो गए थे। कोट्स

सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ऐसे कदम उठाने गए हैं। यह जरूरी नही है कि आचार सहिता लागू होने के बाद ही हथियारो को जमा किया जाए। कमिश्नरेट में यह काम उससे पहले कभी भी किया जा सकता है।

डॉ. सुखचैन सिंह गिल, पुलिस कमिश्नर


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