लोक अदालत ने बिजली उपभोक्ता का ढाई लाख का बिल किया रद
स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन सुनील अरोड़ा समेत सदस्यों रितु सिंगल व अमरजीत सिंह सेखों ने 6 वर्ष बाद पंजाब स्टेट पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से एक उपभोक्ता को जारी 2,51,440 रुपये के बिल को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। गांव धांधरां वासी सीनियर सिटीजन मनमोहन सिंह की शिकायत का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया गया।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन सुनील अरोड़ा समेत सदस्यों रितु सिंगल व अमरजीत सिंह सेखों ने 6 वर्ष बाद पंजाब स्टेट पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड की तरफ से एक उपभोक्ता को जारी 2,51,440 रुपये के बिल को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। गांव धांधरां वासी सीनियर सिटीजन मनमोहन सिंह की शिकायत का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया गया। कोर्ट के समक्ष पावरकॉम के अधिकारी इस बात का कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके कि वे 6 वर्ष तक बिल क्यों नहीं जारी कर पाए। इतने लंबे अरसे तक क्यों चुप्पी साधी रखी। यह भी बताने में नाकाम रहे कि उन्होंने उस अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जिसने 6 साल तक बिल ही जारी नहीं किया।
शिकायत में मनमोहन सिंह ने बताया था कि उसने एससी कैटागरी के अंतर्गत बिजली का कनेक्शन लेने के लिए आवेदन किया था। विभाग को इस संबंधी दस्तावेज भी सौंपे थे। जिसके मुताबिक प्रति माह 400 यूनिट बिजली मुफ्त मिलनी थी। जबकि दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना था कि शिकायतकर्ता के दावे में कोई सच्चाई नहीं है। उसने कनेक्शन लेते समय कोई शेड्यूल कास्ट का सर्टिफिकेट साथ में नहीं लगाया। लेकिन बिजली बोर्ड के अधिकारी लोक अदालत की तरफ से पूछे जाने के बावजूद भी शिकायतकर्ता के आवेदन पत्र को पेश नहीं कर पाए।
अगर एससी वर्ग का फार्म नहीं, तो कर सकते हैं वसूली
स्थाई लोक अदालत ने कड़ा संज्ञान लेते हुए कि बिजली बोर्ड के अधिकारियों को इसलिए दोषी ठहराया, क्योंकि वह इतने लंबे अरसे के बाद जारी किए बिल को उपभोक्ता से नहीं वसूल सकते। हालांकि अदालत ने कहा कि अगर भविष्य में बिजली बोर्ड वाले शिकायतकर्ता के आवेदन पत्र फॉर्म ए एंड ए को ढूंढ लेते हैं और उसमें पाया जाता है कि शिकायतकर्ता ने आवेदन करते समय शेड्यूल कास्ट कैटागरी संबंधी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं किया था तो बिजली बोर्ड वाले कानून के तहत शिकायतकर्ता से वसूली कर सकते हैं।