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डॉ. वात्स्यायन से अटल जी ने पूछा था धोती बांधने का तरीका

धोती-कुर्ता पहनने के शौकीन अटल बिहारी वाजपेयी ने जब मुझे अलग ढंग से धोती पहने देखा, तो बेहद खुश हुए। उन्होंने मेरे पास आकर पूछा कि किस तरीके से धोती बांधी है। तब मैंने बताया कि पंजाब के जिला होशियारपुर में रहने वाले पंडित इसी तरीके से धोती-बांधा करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 08:00 AM (IST)
डॉ. वात्स्यायन से अटल जी ने पूछा था धोती बांधने का तरीका
डॉ. वात्स्यायन से अटल जी ने पूछा था धोती बांधने का तरीका

राजन कैंथ, लुधियाना

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धोती-कुर्ता पहनने के शौकीन अटल बिहारी वाजपेयी ने जब मुझे अलग ढंग से धोती पहने देखा, तो बेहद खुश हुए। उन्होंने मेरे पास आकर पूछा कि किस तरीके से धोती बांधी है। तब मैंने बताया कि पंजाब के जिला होशियारपुर में रहने वाले पंडित इसी तरीके से धोती-बांधा करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के निधन पर मुलाकात के संस्मरण सांझा करते हुए एससीडी गवर्नमेंट स्कूल के पास रहने वाले आयुर्वेदाचार्य डॉ. रवींद्र वात्स्यायन ने यह बात कही।

उन्होंने बताया कि सन 2000 में उनके 7 रेस कोर्स स्थित निवास पर पूरे देश से बुलाए गए आयुर्वेद डॉक्टरों के साथ बैठक रखी गई थी, जिसमें पूरे पंजाब से केवल डॉ. वात्स्यायन शामिल हुए थे। बैठक में अटल जी ने डॉक्टरों की समस्याओं के बारे में जानकारी मांगी। डॉ. वात्स्यायन ने बताया कि उस समय अटल जी ने उनके साथ खुल कर बातचीत की। मीठा-खाने के शौकीन अटल जी बैठे-बैठे 2-3 जलेबी खा गए। डॉ. वात्स्यायन ने बताया कि वो उनसे कई बार मिले। पहली बार उन्हें 67-68 में सुना था। उनकी स्पीच ने मन पर ऐसा असर डाला, कि उन्हें सुनने के लिए कई बार स्कूल से भाग जाया करता था। कॉलेज के दौरान भी उनकी स्पीच के प्रभाव में रहा। इमरजेंसी के दौरान उनसे पहली बार मिलने का मौका मिला। तब उनके ऑटो ग्राफ लिए। उसके बाद वो जब भी लुधियाना आते, मुझे मैसेज जरूर करते। मैं हर बार उनसे मिलने के लिए पहुंच जाता। वो बहुत ही अच्छे वक्ता थे। उनकी चांदी की जुबान थी। किसी के साथ दुश्मनी नहीं थी। वो कहते थे कि किसी के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते है, मगर उसके लिए किसी के साथ मनभेद न रखे जाएं। उनके देहांत के साथ दूरदर्शी राजनीति के एक युग का अंत हो गया। उनकी कमी को कोई पूरा न कर पाएगा।


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