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हलवारा एयरपोर्ट मामलाः ग्रामीणों की अफसरों को दो टूक, पहले जमीन का रेट बताओ फिर होगी बात

अफसर ग्रामीणों को अभी जमीन के रेट बताना नहीं चाहते हैं क्योंकि सरकारी फॉर्मूले के हिसाब से जो मुआवजा राशि बन रही है वह किसानों को किसी भी हाल में मंजूर नहीं है।

By Edited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 07:48 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 10:29 AM (IST)
हलवारा एयरपोर्ट मामलाः ग्रामीणों की अफसरों को दो टूक, पहले जमीन का रेट बताओ फिर होगी बात
हलवारा एयरपोर्ट मामलाः ग्रामीणों की अफसरों को दो टूक, पहले जमीन का रेट बताओ फिर होगी बात

लुधियाना, जेएनएन। हलवारा एयरपोर्ट टर्मिनल के लिए 167.27 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना सरकार के लिए अब टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। सरकार अभी किसानों को जमीन के रेट बताने को तैयार नहीं है और उधर ग्रामीण रेट के अलावा अन्य किसी मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं हैं। वीरवार को ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (ग्लाडा) के अफसर किसानों की तरफ से फाइल किए गए 12 एतराजों पर सुनवाई करने एतियाणा गांव पहुंचे। अफसरों ने ग्रामीणों के साथ एतराजों पर चर्चा शुरू की तो ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि पहले जमीन का रेट बताया जाए उसके बाद ही आगे बात की जाएगी। अफसर ग्रामीणों को अभी जमीन के रेट बताना नहीं चाहते हैं क्योंकि सरकारी फॉर्मूले के हिसाब से जो मुआवजा राशि बन रही है वह किसानों को किसी भी हाल में मंजूर नहीं है। अफसर नहीं चाहते हैं कि पहले जमीन का रेट बताया जाए, क्योंकि रेट सुनने के बाद ग्रामीण विरोध करना शुरू कर देंगे। कुछ देर बहस के बाद अफसरों ने किसानों को कह दिया कि उनके कुछ एतराजों को दूर करने के लिए अलग-अलग विभागों को कह दिया गया है, जबकि एयरपोर्ट का नाम शहीद करतार सिंह सराभा के नाम से रखने का फैसला सरकार ने लेना है। इस बारे में भी सरकार को अवगत करा दिया गया है।

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एतराजों पर चर्चा के दौरान किसानों ने की नारेबाजी

एयरपोर्ट टर्मिनल के लिए 90 परिवारों की जमीन बीच में आ रही है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ग्रामीणों ने अपने अपने स्तर पर एक जैसे 12 एतराज ग्लाडा में जमा करवाए। ग्लाडा ने वीरवार को एतराजों पर चर्चा करने के लिए गांव में मीटिंग बुलाई थी। ग्लाडा के एडिशनल चीफ एडमिनिस्ट्रेटर भूपिंदर सिंह की अगुवाई में एतियाणा गांव पहुंचे। गांव में काफी संख्या में जमीन मालिक पहुंचे, जिसके बाद ग्लाडा अफसरों ने एक-एक करके एतराज पर चर्चा शुरू की तो ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि सबसे पहले जमीन का रेट बताया जाए। ग्लाडा अफसरों ने कहा कि रेट तय करने के लिए प्रक्रिया जारी है और अभी रेट फिक्स नहीं किया गया। इसलिए रेट वाले एतराज के अलावा अन्य एतराजों पर चर्चा करें, जिस पर ग्रामीणों ने साफ कर दिया कि अगर उन्हें रेट नहीं बताए जाते हैं तो वह अन्य एतराजों पर भी चर्चा नहीं करेंगे। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में खूब बहस भी हुई। यहां तक कि किसानों ने नारेबाजी भी की। आखिर में अफसरों ने एक-एक एतराज पढ़ा और किसानों को उनके हल के बारे में बताया।

इन एतराजों पर अफसरों ने कही यह बातें

जमीन की निशानदेही से पहले मुआवजे की रकम जमीन मालिकों को बताई जाए। मुआवजे की रकम के बारे में सरकार से बात की थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

-अभी प्रक्रिया जारी है।

रेवेन्यू रिकार्ड में जमीनों की मलकियत ठीक नहीं करवाई गई। प्रशासन ने जो कैंप लगाया था, उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। अधिग्रहण से पहले रिकार्ड में करेक्शन करवाई जाए।

- संबंधित विभाग को इस बारे में लिख दिया है। जल्दी ठीक हो जाएगा।

एयरपोर्ट टर्मिनल के लिए रिजर्व रखी गई जमीन के साथ लगती जमीन के लिए रास्ते की व्यवस्था की जाए।

- इस पर विचार किया जा रहा है।

एयरपोर्ट टर्मिनल वाली जमीन के बीच में किसानों के जो बिजली और मोटर कनेक्शन लगाए गए हैं उन्हें किसानों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की छूट दी जाए।

-संबंधित विभाग के साथ बात चल रही है।

मुआवजे के तौर पर मिलने वाली राशि पर टीडीएस न काटा जाए।

सरकार के स्तर पर फैसला लिया जाना है।

जमीन के बदले लोगों को जो पैसे मिलने हैं उससे अगर वह दूसरी तरफ जमीन खरीदते हैं तो रजिस्ट्री के वक्त स्टांप ड्यूटी न लगाई जाए और मुआवजा राशि एक साथ दी जाए।

- संबंधित विभाग को लिखा है।

जिन परिवारों की जमीन आ रही है उनके सदस्य को शिक्षा के हिसाब से सरकारी नौकरी दी जाए।

-सरकार को लिखकर भेजा है।

उजाड़ा भत्ता 100 फीसद दिया जाए। नोटिफिकेशन में इस बात का जिक्र नहीं है।

- सरकार से चर्चा की जा रही है।

एयरपोर्ट का नाम शहीद करतार सिंह सराभा के नाम से हो और नाम में एतियाणा भी जोड़ा जाए।

- सरकार के स्तर पर यह फैसला लिया जाना है।

सर्वे टीम ने जो भत्ता एसेस किया है उसके हिसाब से भत्ता दिया जाए।

- विचार किया जा रहा है।

एयरपोर्ट के अंदर मजदूरी के लिए एतियाणा गांव के लोगों को मौका दिया जाए।

- संबंधित विभाग से बात की जा रही है।

ग्राम पंचायत की श्यामलाट की जमीन का मुआवजा पंचायत को दिया जाए, ताकि पंचायत गांव के विकास पर पैसे खर्च कर सके।

-सरकार को इस संबंध में सूचित किया गया है।

गांव की ड्रेन पर सड़क न बनाई जाए, ताकि बरसात के दिनों में पानी की निकासी हो सके।

- इसका ध्यान रखा जाएगा। 

अफसरों के लेट पहुंचने पर बिफरे ग्रामीण

ग्रामीण काफी समय तक अफसरों का इंतजार करते रहे। अफसरों के देरी से पहुंचने के कारण ग्रामीण गुस्से में थे और जब अफसर आए तो किसानों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। किसानों का तर्क था कि वह सुबह से इंतजार कर रहे हैं, जबकि आजकल वह खेती के कामों में बेहद व्यस्त हैं। गांव के सरपंच लखबीर सिंह ने बताया कि अफसरों ने कुछ साफ साफ रिप्लाई नहीं किए और गांव के लोग इससे संतुष्ट नहीं दिखे।

सरकारी फार्मूले से 40 से 50 लाख प्रति एकड़ हो सकती है कीमत

जमीन का रेट तय करने के लिए ग्लाडा ने रायकोट तहसील से नोटिफिकेशन जारी होने से पहले हुई रजिस्ट्रियों का ब्यौरा मांगा है। ग्लाडा रेट तय करने के लिए उन 100 रजिस्ट्रियों को लेगा जो सबसे ज्यादा रेट में हुई हों। उसके बाद उनका एवरेज निकाल कर रेट तय किया जाएगा। ग्लाडा अफसरों ने इस पर कुछ काम कर लिया है और उसके हिसाब से 40 से 50 लाख रुपये के बीच में जमीन के रेट तय किए जा सकते हैं, जबकि ग्रामीण इस रेट पर अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है। सरपंच लखबीर सिंह ने बताया कि इस रेट पर किसान किसी भी हाल में अपनी जमीन नहीं देंगे।

माय सिटी माय प्राइड में उठा था एयरपोर्ट का मुद्दा

साहनेवाल एयरपोर्ट पर खामियों की वजह से वहां पर कई बार विमान उड़ान नहीं भर पाते हैं। इसके अलावा वहां एयरपोर्ट के विस्तार के लिए पर्याप्त जमीन न होने की वजह से हलवारा में एयरपोर्ट टर्मिनल बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है। माय सिटी माय प्राइड फोरम में एयरपोर्ट का मुद्दा उठने के बाद सरकार हलवारा में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के लिए गंभीर हुई। माय सिटी माय प्राइड के फोरम में शहरवासियों ने सांसद व विधायकों पर शहर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की मांग रखी थी। माय सिटी माय प्राइड से पहले भी दैनिक जागरण ने लोगों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए हलवारा में एयरपोर्ट बनवाने के लिए मुहिम भी चलाई थी।

ग्रामीणों के एतराजों पर चर्चा की है। उनका मुख्य विरोध जमीन की कीमत को लेकर है। सरकारी फार्मूले के हिसाब से जो भी बनेगा वही उन्हें दिया जाएगा। इसके लिए पिछले समय में हुई रजिस्ट्रियों का ब्यौरा लिया जा रहा है और फिर रेट फाइनल किया जाएगा।

भूपिंदर सिंह, एडीशनल चीफ एडमिनिस्ट्रेटर, ग्लाडा

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