ग्रामीणों ने नशा तस्करों के खिलाफ खुद खोला मोर्चा
जगराओं : पंजाब में सरकार और पुलिस नशे को खत्म करने के लिए बडे़-बडे़ दावे तो कर रही है, लेकिन इस समस्या पर काबू पाने में वे पूरी तरह नाकाम साबित हुई हैं। अब लोग पुलिस से किसी तरह के सहयोग की आस को छोड़कर खुद नशा तस्करों के सामने आने लगे हैं।
संवाद सहयोगी, जगराओं : पंजाब में सरकार और पुलिस नशे को खत्म करने के लिए बडे़-बडे़ दावे तो कर रही है, लेकिन इस समस्या पर काबू पाने में वे पूरी तरह नाकाम साबित हुई हैं। अब लोग पुलिस से किसी तरह के सहयोग की आस को छोड़कर खुद नशा तस्करों के सामने आने लगे हैं। इसकी ताजा मिसाल है गांव अखाड़ा। पिछले दिनों गांव के एक नौजवान की नशे की लत के चलते मौत होने के बाद पंचायत के सदस्य जस¨वदर ¨सह, पंच बल¨वदर ¨सह, जगदीप ¨सह और पूर्व पंच बचित्तर ¨सह की अगुवाई में शिष्टमंडल के तौर पर उच्च पुलिस अधिकारियों से भेंट करके गांव में नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। उन्होंने बाकायदा पुलिस अधिकारी को गांव में नशा वेच रहे लोगों के संबध में उनका नाम पता बता कर जानकारी भी दी, लेकिन अफसोसजनक बात यह हुई कि पुलिस ने नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी। अब गांव के लोग खुद गांव में दिन रात पहरे देने लगे हैं और गांव में बाहरी क्षेत्रों से नशा लेने के लिए पहुंचने वाले लोगों को वे पकड़ते हैं। पंच जस¨वदर ¨सह ने बताया कि मंगलवार को उन्होंने गांव में नशा लेने पहुंचे 46 लोगों को काबू किया और उनसे पूछताछ की। सभी को पंचायत और गांव के लोगों के इक्कठ के सामने माफी मंगवा कर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। वीरवार सुबह गांव छज्जावाल के दो युवकों काबू कर लिया गया। वे नशा लेने आए थे। जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने कबूल किया कि वह गांव से नशा लेने आते हैं। गांव छज्जावाल की पंचायत और उनके परिजनों को मौके पर बुलाया गया। उनके इस आश्वासन पर कि वे इन दोनों को नशा छुड़ाओ केंद्र में उपचार के लिए भेजेंगे तो छोड़ा गया।
अखाड़ा गांव भी नशे के लिए हुआ मशहूर : पंच
अखाड़ा के पंच जस¨वदर ¨सह ने बताया कि मोगा जिले में गांव दोलोवाल जैसे नशे की तस्करी के लिए मशहूर है वैसे ही अब पुलिस जिला लुधियाना देहात का गांव अखाड़ा मशहूर हो गया है। जो लोग बाहरी क्षेत्रों से नशा लेने आते हैं उनसे पूछताछ पर वे बताते हैं कि उन्हें गांव दोलोवाल, सिधवांबेट क्षेत्र से खुरशैदपुर और गांव अखाड़ा से नशा आसानी से मिल जाता है, इसलिए वे नशे की पूर्ति करने और आगे बेचने के लिए यहां से नशा लेकर जाते हैं। जस¨वदर ¨सह ने कहा कि हमने गांव में नशा विरोधी रैली निकालने के लिए भी पुलिस अधिकारियों के साथ संपर्क किया, लेकिन कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जागरूक करने के लिए गांव नहीं पहुंचा। इस संबध में एसएसपी व¨रदर ¨सह बराड से बात करने के लिए उनका मोबाइल फोन बार-बार मिलाया, लेकिन उन्होने फोन उठाने की जरूरत नहीं समझी। पुलिस का नहीं मिल रहा सहयोग
गांव के लोगों का कहना है कि भले ही पुलिस दावे करती है कि नशे के तस्करों के नाम उन्हें बताओ तुरंत कार्रवाई करेंगे, लेकिन यह दावे सिर्फ कहने के ही हैं। असलियत में किसी भी नशा तस्कर का नाम बताने पर भी पुलिस कार्रवाई के लिए तैयार नहीं होती। उन्होने खुद गांव अखाड़ा में नशा तस्करों के नाम बताए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अखाड़ा में रोजाना डेढ़ से दो लाख रुपये का नशा वेचा जाता है। जिससे यहां के अलावा आसपास के गावों के बच्चे बर्बाद हो रहे हैं।