Move to Jagran APP

Motivational Story: 12 साल पहले जहां स्टूडेंट थी, वहीं चीफ गेस्ट बनकर पहुंची लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी

सर्वोच्च पदों पर रहते हुए देश की सेवा की। उन्होंने कहा कि मुझे बचपन में सेना के बारे में ज्यादा नहीं पता था क्योंकि फौजी बैकग्राउंड नहीं था। मैंने जिद्द की कि मुझे तो फौज में ही जाना है। मेरी जिद्द के आगे पापा को हार माननी पड़ी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 09:16 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 09:16 AM (IST)
Motivational Story: 12 साल पहले जहां स्टूडेंट थी, वहीं चीफ गेस्ट बनकर पहुंची लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी
सीएमसीएल फैमर रिजनल इंस्टटयूट लुधियाना की ओर से आयोजित वार्षिक कनवोकेशन। (जागरण)

आशा मेहता, लुधियानाः कहते हैं कि मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा और हौसला हो तो रास्ते की मुश्किलें भी आसान हो जाती है। ऐसी ही कुछ कहानी है डा. माधुरी कानिटकर की जो हाल ही में सीएमसीएच में स्थित सीएमसीएल फैमर इंस्टीट्यूट में फैलोशिप करने पहुंची। यह उनके लिए किसी गर्व से कम नहीं कि कभी जिस स्कूल में वह अपनी टीचिंग स्किल्स को बेहतर बना रही थी वहीं वह खुद बतौर चीफ गेस्ट बनकर फैलो को डिग्री प्रदान करने गईं। बता दें कि, डा. माधुरी कानिटकर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) व महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंस की वाइस चांसलर हैं। यही नहीं, वह भारतीय सशस्त्रबलों में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर तैनात होने वाली तीसरी और पहली बाल रोग विशेषज्ञ महिला है।

loksabha election banner

संबोधन के दौरान भावुक हुई डा. माधुरी

फैलोशिप प्रदान करने के बाद सीएमसीएच के स्टूडेंटस और सीनियर फैकल्टी को संबोधित करते हुए डा. माधुरी भावुक हो गई। उन्होंने कहा कि यह मेरा इंस्टीट्यूट हैं। यहां से बहुत कुछ सीखा। डा. दिनेश बदियाल, डा. मोनिका शर्मा, डा रोमा इसाक सहित कई टीचर ने फैलोशिप के दौरान पढ़ाया, आज उन्हीं के साथ बैठने का मौका मिला। यहां के टीचर्स ने जो सिखाया, उससे मेरे जीवन में टर्निग प्वाइंट आया। यहां आने के बाद ही मेरे जीवन व कैरियर को नई दिशा मिली। क्योंकि फैमर फैलोशिप एक ऐसा कोर्स है, जो टीचर को ट्रेन करता है। आज मैं गुरू दक्षिणा देने आई हूं। यहां आकर बेहद अच्छा लग रहा है। कंटीन और अपनी क्लासरूम में जाकर फैलोशिप के दौरान बिताएं गए मौज मस्ती वाले सुनहरे दिनों को जिया।

जिद्द करके मैं सेना में गई, दूसरी महिलाओं को भी आगे आना चाहिए

डा. माधुरी ने कहा कि अब महिलाओं के लिए करियर तय करने का दायरा सीमित नहीं है। महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को साबित कर रही हैं और मिसाल पेश कर रही हैं। मैं महिलाओं से यही कहूंगी कि सेना सुरक्षित जगह है। यहां देश के लिए आप गर्व से काम कर सकते हैं। उसकी उदाहरण मैं खुद हूं। करीब 4 दशक सेना में गुजारें और सर्वोच्च पदों पर रहते हुए देश की सेवा की। उन्होंने कहा कि मुझे बचपन में सेना के बारे में ज्यादा नहीं पता था क्योंकि फौजी बैकग्राउंड नहीं था। पिता रेलवे में थे और दादी डाक्टर थी। जब मैं फिल्मों में आर्मी आफिसर को देखती थी कि बहुत अच्छा लगता था। लेकिन एक दिन जब मैं बारहवीं में थी, तब पूणे के हास्टल में अपनी एक दोस्त सुचित्रा के साथ पहली बार सशस्त्र बल मेडिकल कालेज (एएफएमसी) गई। वहां गई तो कुछ कुछ अलग माहौल था। तो मुझे लगा क्यों न डाक्टरी का मजा एएफएमसी में लिया जाए। मां और पिता को बिना बताएं एडमिशन ले ली और दो महीने बाद उन्हें बताया जिसके बाद घर पर काफी बवाल हुआ। पापा मेरे फौज में जाने के पक्ष में नहीं थे। वो मुझे वहां से निकाल कर दूसरे मेडिकल कालेज में एडमिशन दिलाना चाहते थे। लेकिन, मैंने जिद्द की कि मुझे तो फौज में ही जाना है। मेरी जिद्द के आगे पापा को हार माननी पड़ी।

अब स्वास्थ्य क्षेत्र, रिसर्च और एजुकेशन क्षेत्र को बेहतर बनाने की कमान संभाली

डा . माधुरी ने कहा कि आर्मी में 4 दशक तक फौज में नौकरी की है। मैंने एक सैनिक, टीचर और डाक्टर के तौर पर सब कुछ हासिल कर लिया। सर्वोच्च पदों पर पहुंचकर कामयाबी को छुआं। अब एक पोता भी है, बच्चे सेटल हो गए हैं। ऐसे में मेरे पास दो रास्ते थे कि अब इंजाय करो, घूमो फिरो। क्योकि पैंशन तो पूरी मिल रही है लेकिन, इसके लिए मन नहीं माना। क्योंकि इच्छा था कि इन 4 दशकों में जो मैंने हासिल किया, उसके अनुभव के आधार पर देश में स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए कुछ करू। इसी लिए मैंने महराष्ट्र यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंस के वाइस चांसलर के पद के लिए अप्लाई किया और मेरा चयन हो गया। स्वास्थ्य , रिसर्च व एजुकेशन में सुधार को लेकर मैंने यूनिवर्सिटी में काफी कदम उठाएं हैं जिसके दूरगार्मी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि सरकारों पर निर्भर न रहकर हम सब को अपने स्तर पर बदलाव के लिए आगे आना चाहिए। तभी देश तरक्की की राह पर चलेगा।

इन्हें प्रदान की गई फैलोशिप

डा. अभिलाषा विलियम, डा. अजय कुमार, डा. भारती राठौर, डा. दलजीत कौर, डा. जय शंकर कौशिक, डा. भव्या, डा. वसीम अंसारी, डा. नववीर बेदी, डा. नीलू लूथर, डा.निकेत वर्मा, डा. पैमिला जयराज, डा. रम्या रामाकृष्णा, डा. सुजीथ, डा. सजिता दत्ता, डा. तनवीर सिंह व डा. शोभिमता को फैमर फैलोशिप दी गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.