नवंबर में दो बार बढ़ीं रसोई गैस की कीमतें, उपभोक्ताओं की उड़ी नींद
नवंबर माह में रसोई गैस की कीमतें दो बार बढ़ने से उभोक्ताओं की नींद उड़ने लगी है। लोगों एक सिलेंडर के लिए एक हजार रुपये देने पड़ रहे हैं।
[डीएल डॉन, लुधियाना] रसोई गैस का रेट लगातार बढऩे से कंज्यूमर बेचैन हो रहे है। अक्टूबर में गैस का रेट 905 रुपये था जो नंवबर में बढ़कर 967 रूपये हो गया। अभी दस दिन भी नहीं हुए कि सरकार ने दिवाली का तोहफा देते हुए दो रुपये की बढ़ोतरी और कर दी। इस तरह अब उभोक्ताओं को 969 रुपये गैस की कीमत और डिलीवरी मैन के 20 से 30 रुपये अलग से देने पड़ रहे हैं, जिससे रसोई गैस सिलेंडर पर एक हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक ओर सरकार गरीबी मिटाने की बात करती है। दूसरी ओर रसोई गैस की बेतहाशा मूल्य वृद्धि करके लोगों को रोटी खाने से वंचित रखने पर आमदा हो गई है।
रेट बढ़े, गैस की कमी नहीं
घरेलू गैस का वेटिंग खत्म है और आप जब चाहे एलपीजी ले सकते है। एजेंसियों में व्यापारिक सिलेंडरों का भी कोई कमी नहीं है। 19 किलो का व्यापारिक सिलेंडर उपलब्ध है। एजेंसी धारकों का कहना है कि गैस की कोई कमी नहीं है। व्यापारिक जगहों पर घरेलू सिलेंडर इस्तेमाल करना कानूनी जुर्म है तो व्यापारिक सिलेंडर इस्तेमाल से फायदा है।
गैस का रेट हो फिक्स
रसोई गैस का रेट फिक्स हो। उपभोक्ता मुकेश कुमार, राजन शर्मा, धीरज कुमार, अरूण कुमार, विजय सिंह आदि ने कहा कि सरकार एलपीजी का रेट फिक्स करें ताकि लोग महंगाई की मार से बच सकें। वहीं गैस की कमी नहीं होने के बाद भी कुछ वितरक एलपीजी डिलिवरी समय से नहीं करवा पा रहे हैं। वितरक मनमानी करते हुए रसोई गैस की वेटिंग बताते हैं। जबकि कंपनी के मैनेजर का कहना है कि एलपीजी की कोई किल्लत नहीं है।
मार्केट के मुताबिक रेट : हरदेव सिंह
इंडियन आयल गैस कंपनी के कोआॅर्डिनेटर हरदेव सिंह ने कहा कि रसोई गैस का रेट अंतरराष्ट्रीय मार्केट पर निर्भर करता है जिससे हर महीने रेट में उतार चढ़ा होती है। सरकार भी मार्केट के मुताबिक रेट तय करती है।