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..जब बाइक चलाते देख हरप्रीत पर टिकी नजर

डायरेक्टर जनरल पीसीटीई डॉ. केएनएस कंग व डीन इंटरनेशनल एफेयर्स पीसीटीई हरप्रीत कौर कंग के प्यार का ऐसा है सफर।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 11:32 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:32 AM (IST)
..जब बाइक चलाते देख हरप्रीत पर टिकी नजर
..जब बाइक चलाते देख हरप्रीत पर टिकी नजर

लुधियाना (राधिका) : डॉ. केएनएस कंग और हरप्रीत कौर कंग के प्यार का सफर बेहद दिलचस्प रहा। डायरेक्टर जनरल पीसीटीई डॉ. केएनएस कंग ने बताया कि वर्ष 1993 में हरप्रीत कौर ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में मास्टर्स ऑफ जर्नल्जिम में दाखिला लिया था। वह पीएयू से ही पीएचडी कर रहे थे। उसी समय मॉक पार्लियामेंट की टीम इंटर यूनिवर्सिटी जानी थी। पीएयू में ही इसके हुए ट्रायल में हम दोनों पहुंचे। हरप्रीत की इंग्लिश में पकड़ काफी अच्छी थी। जब हरप्रीत ने बोलना शुरू किया तो उस पर ध्यान टिक गया। ड़. कंग ने बताया कि वह मॉक पार्लियामेंट में प्राइम मिनिस्टर थे जबकि हरप्रीत विरोधी लीडर रही। हालांकि दोनों का ही ट्रायल में चयन हो गया। फिर कुछ दिनों बाद यूनिवर्सिटी में ही हरप्रीत को बाइक चलाते दोबारा देखा, उस पर निगाहें टिकी। दोनों के बीच दोस्ती हुई। पार्टीज में मिलने, घर पर आने-जाने का सिलसिला शुरू हुआ व दोस्ती बढ़ती गई। जून 1994 में एंगेजमेंट हुई और उसी साल नवंबर में शादी हो गई।

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डीन इंटरनेशनल एफेयर्स पीसीटीई हरप्रीत कौर कंग ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि जब डा. केएनएस कंग जॉब लगने के बाद मेरे घर में फ्रूट्स ले कर पहुंचे। तब वह घर पर ही दोस्तों के साथ टहल रही थी। हमने एक-दूसरे को देखा, हाय-हेलो कर सामान्य बातें की। उन दिनों घर में उनकी शादी की बातें चल रही थीं। मम्मी ने कहा कि शादी के बारे में मेरा विचार पूछा और कहा डॉ. कंग कैसे लगते हैं। पहले उन्होंने अपनी मां से कहा कि फ्रेंड है बस। कुछ दिनों बाद जब दोबारा डा. कंग घर पर आए, हममें बातें बढ़ने लगी और नंवबर 1994 में हमारी शादी हो गई।

चार साल नहीं लिया केबल कनेक्शन

डॉ. केएनएस कंग और हरप्रीत कौर कंग ने अपने जीवन की बातें बताते एक मजेदार किस्सा सुनाते हुए कहा कि 1994 में जब शादी हुई तो शादी के चार साल तक केबल का कनेक्शन नहीं लिया जबकि टीवी घर में पड़ा रहा। हम दोनों के पास समय ही नहीं था कि टीवी देख सके। पहले अपनी एकेडमी चलाने में व्यस्त रहे व बाद में वर्ष 1997 में पीसीटीई शुरू करने में व्यस्त हो गए। हालांकि कॉलेज को स्वीकृति 1999 में मिली।


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