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नौ गांवों की शामलात पर बैंस बंधुओं ने गाड़े झंडे

शामलात जमीनों को बचाने के लिए लोक इंसाफ पार्टी ने शनिवार को अपने आंदोलन की शुरुआत कर दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 04:00 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 04:00 AM (IST)
नौ गांवों की शामलात पर बैंस बंधुओं ने गाड़े झंडे
नौ गांवों की शामलात पर बैंस बंधुओं ने गाड़े झंडे

जासं, खन्ना : गांवों की शामलात जमीनों को बचाने के लिए लोक इंसाफ पार्टी (लिप) ने शनिवार को अपने आंदोलन की शुरुआत कर दी। खन्ना के गांव भुमद्दी से पार्टी के अध्यक्ष एवं विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के नेतृत्व में 'साड्डी पंचायत, साड्डी जमीन' अभियान का आगाज किया गया।

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बैंस बंधू शनिवार को खन्ना से राजपुरा तक नौ गांवों में गए और वहां की शामलात जमीनों पर झंडे गाड़े। उनके साथ विधायक बलविदर सिंह बैंस और पार्टी के अन्य नेता भी थे। बैंस ने चेतावनी दी कि अगर किसी ने पंचायतों की जमीन खरीदने की कोशिश की तो उसे कब्जा नहीं लेने दिया जाएगा। वह कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी जमकर बरसे और कहा कि कैप्टन, राजा नहीं भिखारी है, जो सत्ता के नशे में चूर हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को कुछ नहीं पता कि क्या बोलना और क्या करना है। मंत्री बनकर अब उन्हें गरीब लोग दिखाई नहीं देते।

बैंस ने आगे कहा कि पंजाब में 12,278 गांवों की पंचायतों के पास 1,35,000 एकड़ उपजाऊ जमीन है। इससे पंचायतों को करीब 500 करोड़ रुपये की आय होती है। सरकार औद्योगीकरण की आड़ में जमीन उद्योगपतियों को देना चाहती है। सरकार के चहेते ऐसा करके पंचायती जमीनों को हड़पने की साजिशें रच रहे हैं। इसे लोक इंसाफ पार्टी कामयाब नहीं होने देगी। जान जा सकती परंतु जमीन नहीं। इस मौके पर लोकसभा फतेहगढ़ साहिब के इंचार्ज इंजीनियर मनजिंदर सिंह ग्यासपुरा, खन्ना प्रधान सरबजीत सिंह कंग, जसविंदर सिंह खालसा, अर्जुन सिंह चीमा, जसवंत सिंह गज्जणमाजरा, रणधीर सिंह भी उपस्थित थे। 'लैंड बैंक एक्ट' के पीछे गहरी साजिश

बैंस ने बताया कि पंजाब सरकार की 'लैंड बैंक एक्ट' लाने के पीछे गहरी साजिश है। पंजाब के बड़े नेताओं और अफसरशाही ने कीमती पंचायती जमीन कौड़ियों के भाव अवैध ढंग से इकट्ठी की है। इसी जायदाद को महफू•ा करने का सरकारी मंसूबा यह एक्ट है। उन्होंने कहा कि पंचायती जमीन को लेकर स्थापित जस्टिस कुलदीप सिंह कमीशन की जांच के बाद एक्टिंग जज आलोक सिंह ने पंजाब सरकार को 2012 में आदेश दिया था कि डायरेक्टर हदबंदी माल विभाग की तरफ से किए गए इंतकालों को रिव्यू कर पंचायती जमीनें वापस पंचायतों को दी जाएं। इससे कैप्टन परिवार, बादल और अन्य नेताओं की ओर से गलत ढंग से इकट्ठी की जायदाद वापस होनी थी। इससे बचने के लिए कैप्टन और बादलों ने यह सरकारी हथियार तैयार किया है।


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