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बदहाल थानों की नुहार बदलने के लिए उद्यमियों की जेबों पर भार

आर्थिक तंगी झेल रही मंदहाल पुलिस ने अब थानों का नवीनीकरण करने के लिए उद्यमियों पर भार डालने की तैयारी कर ली है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 02:14 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 04:00 PM (IST)
बदहाल थानों की नुहार बदलने के लिए उद्यमियों की जेबों पर भार
बदहाल थानों की नुहार बदलने के लिए उद्यमियों की जेबों पर भार

जासं, लुधियाना : आर्थिक तंगी झेल रही मंदहाल पुलिस ने अब थानों का नवीनीकरण करने के लिए उद्यमियों पर भार डालने की तैयारी कर ली है। विभाग की ओर से सभी थानों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी गई है कि वह थानों में होने वाले काम, फर्नीचर या फिर जरूरत के सामान की सूची विभाग को मुहैया करवाएं ताकि इसका प्रबंध किया जा सके। यह पत्र करीब 15 दिन पहले जारी किया गया था और थानों से भी जानकारी विभाग को मुहैया करवाई जा रही है। इसके बाद उद्यमियों को थाने वाइज काम दिया जाएगा। उद्यमियों की ओर से थानों में काम सीएसआर बजट से किया जाना है। पुलिस के पास नहीं फर्नीचर लेने तक के पैसे

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दरअसल पुलिस के थानों के हालात बेहद खराब हैं। कई थानों में तो एसएचओ के कमरे में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं है। कई थानों की चारदीवारी तक नहीं है। और तो और थानों में पीने लायक पानी भी नहीं है। मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाना भी पुलिस के लिए समस्या है। यही कारण है कि उद्यमियों से सहायता मांगी जा रही है। जर्जर इमारतों पर भी लगेगा पैसा

शहर में थाना डिवीजन नंबर 5, थाना डाबा, मॉडल टाउन, शिमलापुरी, थाना डिवीजन नंबर 2 समेत कई थानों की इमारतें जर्जर हालत में हैं। इनकी दीवारें टूट चुकी हैं और पलस्तर तक उतरने लगा है। पुलिस चाहती है कि किसी तरह इनका नवीनीकरण किया जाए। पहले आंकलन होगा, बाद में दिया जाएगा काम

पुलिस पहले अपने स्तर पर यह आंकलन करने में लगी हुई है कि पता लगाया जाए कि सब काम के लिए कितने पैसे ही जरूरत है, इसका पूरा आंकलन करने के बाद पता लग सकेगा कि पुलिस को कितने पैसे की जरूरत है। इसके बाद उद्यमियों को सीएसआर फंड के तहत पैसा खर्च करने के लिए कहा जाएगा। पूरी दिख बदलना चाहती है पुलिस

पुलिस थानों की पूरी सूरत ही बदल देना चाहती है ताकि यहां आने वाले लोगों को फील गुड हो सके। थानों में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग वेटिंग रूम बनाने, फूल पौधे लगाने, बढि़या फर्नीचर और बैठने के लिए फर्नीचर खरीदने की योजना है। हमारे पास बजट नहीं : एडीसीपी

हां पुलिस के पास इतना बजट नहीं है कि सभी थानों की हालत सुधारी जा सके। मैंने अभी कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया है। मुझे ऐसी योजना के बारे में नहीं पता है। अगर ऐसा होता है कि तो अच्छी बात है।

-दीपक पारीख, एडीसीपी हेडक्वार्टर


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