दुरुपयोग छोड़ धन को अच्छे काम में लगाएं : देवेंद्र सूद
श्री रामशरणम् दरेसी में सबके भले की प्रार्थना एवं मां लक्ष्मी पूजन के बाद भाई देवेंद्र सूद ने कहा कि हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली की परंपरा भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी से जुड़ी है।
संस, लुधियाना : श्री रामशरणम् दरेसी में सबके भले की प्रार्थना एवं मां लक्ष्मी पूजन के बाद भाई देवेंद्र सूद ने कहा कि हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली की परंपरा भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी से जुड़ी है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री रामचन्द्र 14 वर्ष के वनवास और लंका विजय के बाद अयोध्या वापसी पर अयोध्या निवासियों ने दीपमाला करके उनका स्वागत किया। कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व हमारे भीतर के अंधकार, लोभ, क्रोध, अहंकार और अज्ञानता के दुर्गुणों को ज्ञान के प्रकाश द्वारा दूर करने की प्रेरणा देता है। हमारी संस्कृति की महान विभूतियों से भी यह पर्व जुड़ा हुआ है। जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी, बौद्ध धर्म के भगवान गौतम बुद्ध जब ज्ञान प्राप्त करके वापस आए तो उनके नगर वासियों ने उनका दीप जला कर स्वागत किया था। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती इसी दिन ब्रह्म ज्योति में लीन हुए थे। सिख पंथ के छठे गुरु हरगोविंद जी महाराज का बंदी छोड़ दिवस का संबंध है। मा रेखा महाराज के जन्म दिवस की सबको बधाई देते हुए भाई साहब ने कहा कि हमें धन का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि जरूरतमंदों की सेवा में जरूर लगाना चाहिए, ताकि इस जिंदगी में आकर कुछ अच्छा कर आत्मिक शांति हासिल करे। इस दौरान सेविका सुलोचना गुप्ता, रुचि सूद, अंजू धीर,कुमार संजीव के रसमय भजनों के बाद सबने मिल कर पूजन किया।
उधर, श्री रामशरणम् किचलू नगर मे श्रद्धेय नरेश सोनी (भाई साहिब) के सानिध्य में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। सभा में उपस्थित नरेश सोनी ने गुरुजनों से सब के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि श्री स्वामी महाराज का कहना है कि संकट विकट कठिन दिन आवें, बादल विपद् जभी घिर जावे। रोग सोग महा कष्ट क्लेशा, आवें जब तब सिमरो महेशा।। यानी भाई साहिब ने कहा कि उत्साह वान जन जग में कभी नही घबराता। जीवन में ऐसा समय आता है जब मन हारने लगता है, परंतु हमें यह प्रण लेना है कि अपने मन को हमेशा बलवान और जागृत रखना है। जब मन हारने लगे तो उसे गुरु के चरणों और सत्संग में लगाना है।