शहर में शर्मनाक वारदात से सहमी महिलाएं, कहा-आरोपितों को मिले मौत की सजा
साउथ सिटी में युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म ने न सिर्फ पुलिस प्रशासन, बल्कि शहर के लोगों को भी हिला कर रख दिया है।
जेएनएन, लुधियाना। साउथ सिटी में युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म ने न सिर्फ पुलिस प्रशासन, बल्कि शहर के लोगों को भी हिला कर रख दिया हैं। लोग अब अपनी बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित दिख रहे हैं। शर्मशार कर देने वाली इस घिनौनी घटना से सहमी शहर की महिलाओं का कहना है कि कि ऐसी समाज विरोधी ताकतों के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे और उन्हें अदालत भी कड़ी से कड़ी सजा दे, ताकि कोई भविष्य में ऐसा कदम उठाने से पहले सौ बार सोचे। मांग उठार्इ है कि मामले के अारोपितों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। महिलाओं का कहना है कि इस तरह की घटना पुलिस की कार्यप्रणाली और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती है। पुलिस की ढीली कार्यप्रणाली के कारण ही इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। महिलाओं ने मांग उठाई है कि पुलिस प्रशासन को सिर्फ साउथ सिटी इलाके में नहीं, बल्कि शहर के तमाम इलाकों में सुरक्षा कड़ी करनी होगी और पीसीआर की गश्त बढ़ानी होगी।
सजा नहीं सीधा हैंग टू डेथ मिले
ऑल लेडीज लीग की चेयरपर्सन दीक्षा आनंद का कहना है कि वर्तमान में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है, यह कहने की जरूरत नहीं है पर ऐसा कांड करने वालों को सजी नहीं सीधा हैंग टू डेथ मिलना चाहिए। दूसरा लड़कियों को कुछ सिखाने से पहले अपने घर के ही लड़कों को यह सिखाया जाए कि महिलाओं की इज्जत कैसे करनी है।
बेटी बचाओ की बात करते हैं, पर सड़कों पर सुरक्षा कहां?
अहसास चेरिटेबल आर्गेनाइजेशन की प्रेजिडेंट संगीता भंडारी का कहना है कि प्रेशर अक्सर हम लोग बेटी बचाओ, बेटी बचाओ की बात करते हैं पर सड़कों पर लड़कियों की सुरक्षा कहां हैं। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि लड़कियों को भी मिली आजादी का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। वह अपने अच्छे बुरे का खुद सोचें।
शहर में महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं, बढ़ाई जाए गश्त
साेशल वर्कर राधिका जैतवानी का कहना है कि शहर में औरतें कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। सरेआम उनके साथ ऐसे कांड हो रहे हैं। जितना बड़ा शहर है, उतनी सुरक्षा व्यवस्था भी होनी चाहिए। पुलिस की पेट्रोलिंग समय-समय पर होनी चाहिए। मैं इसके लिए केवल उस इलाके की बात नहीं कर रही, जहां यह कांड हुआ है।
महिलाओं को भी बरतनी चाहिए एहतियात
गृहणी स्नेह बांसल का कहना है कि पहले शहर में परिवार देर रात तक बिना खौफ घूमते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों से माहौल बिगड़ता जा रहा है। ऐसे में बहू बेटियों को काफी संभल कर बाहर निकलना पड़ता है। पुलिस को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि बिना खौफ के महिलाएं शहर में कहीं भी जा सकें। साथ ही महिलाओं को भी एहतियात बरतनी चाहिए।
प्रशासन को और चुस्ती दिखानी चाहिए
सोशल वर्कर कुलदीप कौर का कहना है कि शहर में आपराधिक घटनाएं, खासकर महिलाओं के खिलाफ घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। ऐेसे में महिलाओं को सुरक्षित रखना काफी कठिन हैं। पुलिस प्रशासन को इस ओर विशेष ध्यान देकर कड़े कदम उठाने चाहिए। नागरिकों को भी ऐसी घटनाओं के खिलाफ आगे आना चाहिए, तभी सुरक्षित समाज का सृजन किया जा सकता है।
नौकरीपेशा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाएं कदम
कामकाजी महिला दीप्ति मित्तल का कहना है कि शहर में जिस तरह महिलाओं के साथ दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, वैसे में महिलाओं, खासकर नौकरीपेशा लेडीज के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम पुलिस को करने चाहिए। ऐसा नहीं है कि पुलिस प्रशासन चाहे तो गलत तत्वों पर रोक लगाने में असफल होगी। सिर्फ कुछ कर गुजारने की सोच जीवित करनी होगी।