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ज्ञान तो जीवन का प्रकाश है : नित्यानंद सूरि

संस, लुधियाना : हुसैनपुरा स्थित, श्री आत्म वल्लभ जैन कॉलेज में वर्तमान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विज

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 06:12 PM (IST)
ज्ञान तो जीवन का प्रकाश है : नित्यानंद सूरि
ज्ञान तो जीवन का प्रकाश है : नित्यानंद सूरि

संस, लुधियाना : हुसैनपुरा स्थित, श्री आत्म वल्लभ जैन कॉलेज में वर्तमान गच्छाधिपति जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरिश्वर आदि ठाणा एवं साध्वी प्रगुणा श्री आदि साध्वी वृंद का पावन पर्दापण हुआ। गुरु भगवंतो का बैंड बाजों के साथ स्वागत प्रवेश सुश्रावक पुष्पदंत पाटनी ने किया। गुरुदेव श्री शखेश्वर पा‌र्श्वनाथ मंदिर में दर्शन करके निर्मल जैन के निवास पर पधारे। वहा सकल श्रीसंघ गाजे बाजे के साथ कॉलेज पहुंचा।

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इस दौरान श्री आत्मानंद जैन कॉलेज प्रबंधक कमेटी के द्वारा श्री आत्म वल्लभ द्वार के उदघाटन के लाभार्थी शाति दास, धर्मदेव, चंदन बाला जैन, सुशील, मनोज, मनीष जैन ट्यूडर वाले परिवार तथा हंसराज, बलदेव राज, कोमल, सुरेंद्र जैन खानडोगरा परिवार विजयानंद होजरी फैक्ट्री वालों को साफा पहनाया गया। कॉलेज परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार का गुरु आत्म वल्लभ के जयकारों के साथ उदघाटन संपन्न हुआ। इस दौरान परिसर में निर्माणाधीन गुरु मंदिर का अवलोकन कर गच्छाधिपति ने वासक्षेप डालकर आशीर्वाद दिया।

गच्छाधिपति गुरुदेव ने प्रवचन में कहा कि ज्ञान तो जीवन का प्रकाश है। गुरु आत्म ने अपने मानस पुत्र वल्लभ विजय जी महाराज को सरस्वती मंदिरों की स्थापना करने का आशीर्वाद दिया था। लुधियाना में पंजाब का यह पहला कॉलेज है, जिसमें वल्लभ गुरु का नाम जुड़ा हुआ है। गच्छाधिपति की प्रेरणा से कॉलेज में विशाल ऑडिटोरियम बनवाने का लाभ हंसराज, रोशन लाल, सुधीर जैन, श्रेणिक जैन खान डोगरा परिवार ने लिया। श्री आत्मानंद जैन स्कूल कमेटी की ओर से सभी का भव्य बहुमान किया गया। नरेंद्र जैन ने मंच का संचालन किया। शिक्षा के साथ सुसंस्कार भी देने चाहिए : मुनि मोक्षानंद

इस अवसर पर मुनि श्री मोक्षानंद विजय ने कहा कि कोरी किताबी शिक्षा देने में विद्यालय की सार्थकता नहीं, शिक्षा के साथ सुसंस्कार प्रदान करने से ही विद्यालयों की वास्तविक शोभा है।

पंजाब केसरी गुरु वल्लभ ने 100 वर्ष पहले ही देश के सच्चे नागरिक तथा जैन शासन के सुश्रावक तैयार करने के लिए सैकड़ों शिक्षा संस्थानों की स्थापना की थी। शिक्षा और संस्कारों के समन्वय से ही विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास संभावित है।


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