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बड़ा रोचक रहा है इस सीट का इतिहास, जिसे जीत दिलाई उसे हार का स्वाद भी चखाया

2 बार हुए चुनाव में कांग्रेस सिर्फ तीन बार ही जीत पाई है जबकि आठ बार शिरोमणि अकाली दल का विधायक चुना गया है। आप को एक बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 05:16 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2019 08:28 AM (IST)
बड़ा रोचक रहा है इस सीट का इतिहास, जिसे जीत दिलाई उसे हार का स्वाद भी चखाया
बड़ा रोचक रहा है इस सीट का इतिहास, जिसे जीत दिलाई उसे हार का स्वाद भी चखाया

लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। दाखा विधानसभा क्षेत्र में हमेशा से ही शिरोमणि अकाली दल का कब्जा रहा है। 12 बार हुए चुनाव में कांग्रेस सिर्फ तीन बार ही जीत पाई है, जबकि आठ बार शिरोमणि अकाली दल का विधायक चुना गया है। आम आदमी पार्टी को एक बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है, जबकि लोक इंसाफ पार्टी खाता खोलने की जुगत में लगी है।

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लगभग 12 साल पहले कांग्रेस ने दाखा विधानसभा सीट गंवाई थी और तब से ही वह इस सीट पर वापस कब्जा पाने की कोशिश करती रही है। इस दौरान तीन चुनाव हुए और तीनों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। पिछले चुनाव में तो वह दूसरे स्थान से भी वंचित रही। कांग्रेस ने चार चुनाव लडऩे और दो में जीत हासिल करने वाले मलकीत सिंह दाखा को इस बार टिकट न देकर पैराशूट उम्मीदवार कैप्टन संदीप सिंह संधू को उतारा है।

दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल ने एक बार फिर लोकल नेता मनप्रीत सिंह अय्याली पर अपना विश्वास जताते हुए उसे टिकट दी है। पिछले चुनाव में जीत दर्ज करने वाले आप विधायक हरविंदर सिंह फूलका के पार्टी छोडऩे पर आप ने स्थानीय गांव मोही के इंजीनियर अमन मोही को उम्मीदवार बनाया है, जबकि लोक इंसाफ पार्टी ने गांव चक्क के मंजे राजनीतिज्ञ सुखदेव सिंह चक्क को उम्मीदवार के तौर पर उतारा है।

जिसे जीत दिलाई, उसे हार का स्वाद भी चखाया

वर्ष 2007 तक यह क्षेत्र एससी आरक्षित रहा, जिसके बावजूद अकाली दल पर कांग्रेस हावी नहीं हो पाई। यहां के मतदाताओं की खास बात यह है कि जिसे उन्होंने विधायक चुना, उसे हार का भी स्वाद चखाया है। सिर्फ चार विधायक चरणजीत सिंह, मलकीयत सिंह, बिक्रमजीत सिंह और एचएस फूलका ही नहीं हारे। क्योंकि उन्होंने एक बार विधायक बनने के बाद यहां का रणक्षेत्र ही छोड़ दिया। चार बार विधायक बने बसंत सिंह को एक बार हार का सामना करना पड़ा। दाखा के पहले विधायक कांग्रेस के जगीर सिंह को भी एक बार हार मिली। कांग्रेस के मलकीत सिंह दाखा दो बार विधायक बने तो दो बार हार का सामना करना पड़ा। शिअद के दर्शन सिंह शिवालिक और मनप्रीत सिंह अयाली एक-एक बार विधायक बने तो एक-एक बार हार का स्वाद चखा।

दाखा में अब तक विजेता और उपविजेता रहे उम्मीदवार

वर्ष           विजेता                             उपविजेता

2017     एचएस फूलका (आप)          मनप्रीत अयाली (शिअद)

2012     मनप्रीत अय्याली (शिअद)    जसबीर सिंह खंगूड़ा (कांग्रेस)

2007     दर्शन शिवालिक (शिअद)      मलकीत सिंह दाखा (कांग्रेस)

2002     मलकीय सिंह दाखा (कांग्रेस) दर्शन शिवालिक (शिअद)

1997    बिक्रमजीत सिंह (शिअद)       मलकीत सिंह दाखा (कांग्रेस)

1992    मलकीत सिंह (कांग्रेस)          घनैया लाल (भाजपा)

1985    बसंत सिंह (शिअद)               मोहिंदर सिंह (कांग्रेस)

1980    बसंत सिंह (शिअद)               जगजीत सिंह (कांग्रेस)

1977    चरणजीत सिंह (शिअद)         गुरचरण सिंह (कांग्रेस)

1972    बसंत सिंह (शिअद)               हरबंस सिंह स्यान (कांग्रेस)

1969    बसंत सिंह (शिअद)               जगीर सिंह (कांग्रेस)

1967    जगीर सिंह (कांग्रेस)              बसंत सिंह (शिअद) 

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