आजादी से पहले हुआ था लक्ष्मी लेडीज क्लब का गठन, जानें क्या है इतिहास और कैसे हुई शुरुआत Ludhiana News
लक्ष्मी लेडीज क्लब का गठन वर्ष 1932-33 में किया गया था। क्लब के सामने बने गुरु नानक स्टेडियम को उस समय सतलुज स्टेडियम के नाम से जाना जाता था।
लुधियाना, [राधिका कपूर]। इन दिनों हर तरफ करवाचौथ की चकाचौंध दिखाई दे रही है। शहर के विभिन्न लेडीज़ क्लब्स करवाचौथ के आयोजन कर रहे हैं। नई पीढ़ी इस फैशन संस्कृति का हिस्सा तो बन गई है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि शहर के इस क्लब कल्चर की शुरूआत कब और कैसे हुई। लुधियाना का सबसे बड़ा और पुराना लक्ष्मी लेडीज क्लब आजादी से पहले अस्तित्व में आया था।
गुरु नानक स्टेडियम के बिल्कुल सामने शहर के सबसे बड़े और पुराने लक्ष्मी लेडीज क्लब की इमारत है। भले ही आज शहर में एक दर्जन से अधिक लेडीज क्लब बन चुके हैं, लेकिन आजादी से पहले का और लुधियाना का सबसे पुराना लक्ष्मी लेडीज क्लब है। लक्ष्मी लेडीज क्लब का गठन वर्ष 1932-33 में किया गया था। क्लब के सामने बने गुरु नानक स्टेडियम को उस समय सतलुज स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। उन दिनों वहां अंग्रेज और अन्य लोग पोलो व अन्य खेलों का आनंद उठाने आया करते थे। वहां आने वाले लोगों की पत्नियों ने महसूस किया कि महिलाओं के लिए भी अलग से क्लब की व्यवस्था होनी चाहिए, जहां वे अपना मनोरंजन कर सकें। विचार आया तो कोशिश शुरू हुई। क्लब से मिली जानकारी के अनुसार, लक्ष्मी नाम की एक महिला ने क्लब के लिए यह जमीन दी, जिसके बाद क्लब का नाम ‘लक्ष्मी लेडीज क्लब’ पड़ गया।
शुरूआत में इस क्लब से मात्र 10-15 मेंबर जुड़े। क्लब की संस्थापक स्व. पुष्पा मेहरा बनी। उन दिनों क्लब से जुड़ी मेंबर्स मनोरंजन गपशप से करतीं या फिर घर से कुछ न कुछ डिश बना कर लाती और आपस में क्लब में इकट्ठी हो कर पार्टी किया करती थीं। उन दिनों वहां केवल बेडमिंटन खेला जाता था। समय के साथ क्लब की गतिविधियां भी बदलती रही। सत्तर के दशक में क्लब से जितनी भी मेंबर्स जुड़ी, वे क्लब में मनोरंजन के साथ-साथ तंबोला खेलने लगीं। तंबोला भी उन दिनों बिल्कुल सामान्य तरीके से खेला जाता। एक मेंबर तंबोला खेलाती और बाकी नंबर काटा करतीं। तंबोला गिफ्ट्स में केवल उन दिनों पैसे दिए जाते थे।
समय के साथ हुआ विस्तार
जमाना जैसे-जैसे ट्रेंडी होता गया, वैसे-वैसे क्लब का विस्तार भी होता गया। क्लब मेंबर्स की संख्या बढ़ती गई और मनोरंजन के नए तरीके भी क्लब मेंबर्स के लिए जुड़ते गए। वर्ष 1995-96 में रजनी बेक्टर को क्लब की पहली चेयरपर्सन बनाया गया। धीरे-धीरे तेरह चेयरपर्सन्स लक्ष्मी लेडीज क्लब में बनाए गए। उसके बाद इस पोस्ट को खत्म कर दिया गया। अभी भी वे चेयरपर्सन्स क्लब में एक्टिव है। अब इस क्लब को 1300 से अधिक मेंबर्स हैं।
हर महीने पहले और तीसरे बुधवार को होती है मीटिंग
क्लब में महीने के पहले बुधवार और तीसरे बुधवार को मीटिंग होती है, जहां मेंबर्स शामिल हो अपना मनोरंजन करते हैं। समय की बात कहें या फिर नया ट्रेंड कहें, क्लब में हर त्योहार को सेलिब्रेट किया जाता है, चाहे वो दीवाली हो या गुरुपर्व, जन्माष्टमी हो या क्रिसमस। स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस भी बेहतरीन ढंग से मनाया जाता है। तंबोला भी नए व रोचक अंदाज में खेला जाता है और विनर्स रहने वालों को आकर्षक गिफ्टस दिए जाते हैं। यहां तक कि नारी सशक्तिकरण विषय, स्वास्थ्य एवं फिटनेस को लेकर क्लब में टॉक भी कराई जाती हैं।
क्लब की सबसे पुरानी मेंबर
लक्ष्मी लेडीज क्लब की पहली चेयरपर्सन एवं इस क्लब की सबसे पुरानी मेंबर 78 वर्षीय रजनी बेक्टर ने कहा कि वह लक्ष्मी लेडीज क्लब की पहली चेयरपर्सन हैं। समय-समय पर क्लब में विभिन्न गतिविधियां कराई जाती हैं जिससे सभी मेंबर्स अपना मनोरंजन कर सकें।
शहर में एक्टिव लेडीज क्लब
सराभा लेडीज क्लब, गीतांजलि लेडीज क्लब, गायत्री लेडीज क्लब, वीनस लेडीज क्लब, क्रिएटिव लेडीज क्लब, क्वींस लेडीज क्लब, अमोल लेडीज क्लब, जन्नत लेडीज क्लब, विक्ट्री लेडीज क्लब, रागिनी लेडीज क्लब, संस्कृति लेडीज क्लब, नंदिनी लेडीज क्लब, पंजाबी दिवाज सोशल लेडीज क्लब, आस्था लेडीज क्लब व मैटंर्स लेडीज क्लब।
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