Move to Jagran APP

इस अनोखे ग्रंथ को तैयार करने में लगे चार साल, जर्मन पेपर व जापानी स्याही का हुआ इस्तेमाल Ludhiana News

मिलरगंज के रामगढ़िया गर्ल्स कॉलेज के प्रबंधक रणजोध सिंह ने इस गीता को विशेष तौर पर शिवाकाशी स्थित श्रीनिवास आर्ट प्रेस (तमिलनाडु) से मंगवाई है।

By Sat PaulEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 12:37 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 12:37 PM (IST)
इस अनोखे ग्रंथ को तैयार करने में लगे चार साल, जर्मन पेपर व जापानी स्याही का हुआ इस्तेमाल Ludhiana News
इस अनोखे ग्रंथ को तैयार करने में लगे चार साल, जर्मन पेपर व जापानी स्याही का हुआ इस्तेमाल Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। श्रीमद्भागवत गीता हमेशा से ही हिंदू धर्म की आस्था का केंद्र रही है। महानगर के जाने माने उद्यमी के प्रयासों से एक ऐसी गीता शहर में पहुंची है, जो लोगों के बीच आकर्षण का ही नहीं, बल्कि कौतुहल का केंद्र भी है। मिलरगंज के रामगढ़िया गर्ल्स कॉलेज के प्रबंधक रणजोध सिंह ने इस गीता को विशेष तौर पर शिवाकाशी स्थित श्रीनिवास आर्ट प्रेस (तमिलनाडु) से मंगवाई है। यह श्रीमद् भागवत गीता कॉलेज की लाइब्रेरी में 15 दिसंबर तक रहेगी। साढ़े छह सौ पेजों वाली इस अनोखी गीता को सुबह नौ से शाम पांच बजे तक देखा जा सकता है।

loksabha election banner

6.5 किलो की है यह गीता

रणजोध सिंह बताते हैं कि उन्हें जानकारी मिली थी कि 6.5 किलो वजन और 12 गुणा 15 इंच के आकार वाली गीता को उत्तम किस्म के जर्मनी कागज और शुद्ध जापानी स्याही के साथ तैयार किया गया है।

पंजाब में अपनी तरह की एकमात्र गीता है यह

रणजोध सिंह ने बताया कि पूछताछ के बाद प्रकाशक ने कहा-चूंकि, आप इसे खरीदना चाहते हैं और पंजाब में यह पहला ग्रंथ जाएगा तो इस पर उन्होंने मुझे पांच हजार रुपये का डिस्काउंट देते हुए 33,000 रुपये में यह ग्रंथ मुङो भेज दिया। इस गीता का स्टॉक सीमित था। फिर भी उन्होंने इसे डिस्काउंट पर इसलिए भेजा, क्योंकि अपनी तरह की यह भव्य एवं विशाल गीता पहली बार पंजाब में जा रही है। रणजोध का दावा है कि यह प्रदेश में अपनी तरह की एकत्र मात्र श्रीमद्भागवत गीता है।

ऐसे आया यह ग्रंथ

किताबों के शौकीन रहे रणजोध के अनुसार उनकी इच्छा हुई कि यह ग्रंथ खरीदकर विस्तार से पढ़ा जाए। उन्होंने इस ग्रंथ के प्रकाशक श्रीनिवास से बात की तो उन्होंने सबसे पहले मेरा धर्म पूछा। मैंने कहा मैं सिख हूं तो वह बोले यह हिंदुओं का ग्रंथ हैं। तो मैंने जवाब दिया कि मेरे लिए सभी धर्म प्रिय हैं और मुङो इस ग्रंथ को पढ़ना है। मैं इस ग्रंथ को खरीदना चाहता हूं। इस पर प्रकाशक ने कहा कि यह ग्रंथ बहुत महंगा है। उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा हुई कि क्यों न इस ग्रंथ को कॉलेज पुस्तकालय में रखा जाए ताकि कॉलेज की छात्रएं भी इससे देख और पढ़ सकें।

ग्रंथ की विशेषता

  • साढ़े छह सौ पेज की इस गीता में कुल अठारह अध्याय हैं।
  • इस ग्रंथ का संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी तीनों में ही भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
  • जर्मन पेपर और शुद्ध जापानी स्याही से तैयार इस ग्रंथ की लाइफ सौ साल से भी ज्यादा है।
  • इस ग्रंथ को तैयार करने में चार साल का समय लगा है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.