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महिलाओं में kitchen Gardening का क्रेज बढ़ा, घरों की छत पर लगाई जा रही सब्जियां

आज हर खाने वाली चीज में मिलावट हो रही है। सब्जियां भी इससे अछूती नहीं हैं। इसी का असर है कि मिलावटी चीजें खाने से लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।

By Edited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 07:45 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 03:46 PM (IST)
महिलाओं में  kitchen Gardening का क्रेज बढ़ा, घरों की छत पर लगाई जा रही सब्जियां
महिलाओं में kitchen Gardening का क्रेज बढ़ा, घरों की छत पर लगाई जा रही सब्जियां

जगराओं, [बिंदू उप्पल]।  आज हर खाने वाली चीज में मिलावट हो रही है। सब्जियां भी इससे अछूती नहीं हैं। इसी का असर है कि मिलावटी चीजें खाने से लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। बाजार में मिल रही कीटनाशक स्प्रे वाली सब्जियों से परेशान महिलाएं अब किचन गार्डनिंग को अपना रही हैं। उनका यह शौक सिर चढ़कर बोल रहा है। महिलाएं अपने गार्डन, प्लॉटों या छत पर भिंडी, बैंगन, हरी मिर्च व पत्तेदार सब्जियों की खेती कर रही हैं। वे बिना किसी कीटनाशक स्प्रे के रोजाना घर की ताजी सब्जियों का प्रयोग करती हैं। किचन गार्डनिंग का शौक पर्यावरण को हरा-भरा बना रहा है। इससे सेहत को भी फायदा हो रहा है।

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पारंपरिक तरीके से उगाई सब्जियों का स्वाद ही कुछ अलग

मुल्लांपुर के दियोल अस्पताल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. रूही दियोल को भी किचन गार्डनिंग का शौक है। डॉ. रूही ने कहा कि बाजार में मिल रही सब्जियां जहर की तरह हैं। उन पर जरूरत से अधिक कीटनाशकों, खादों एवं स्प्रे का प्रयोग होता है। जब भी सीजन की सब्जी मार्केट में आती है, तो डॉक्टरों के पास पेट में इंफेक्शन, दर्द, उल्टी, दस्त के मरीजों की लाइनें लग जाती हैं।

सेहत के लिए ताजी सब्जियां जरूरी

साउथ सिटी में रहने वाले रामेश गुप्ता और उनकी बहू पूजा गुप्ता को भी किचन गार्डनिंग का बहुत शौक है। उन्होंने घर में ही 600 गज जगह में किचन गार्डन पिछले दो वर्षो से बनाया है। वहां पर वे सीजनल सब्जियों की खुद खेती करती हैं। वे सब्जियों और फलों की बिजाई के लिए देसी आर्गेनिक बीजों का प्रयोग करती है।

20 परिवारों ने मिलकर बनाया किचन गार्डनिंग फार्म

लुधियाना निवासी अमृता मांगट ने बाजारी कीटनाशक सब्जियां खाने की बजाय अपने घर के टेरिस, पॉट, गमलों में सब्जियां उगाई हैं। मांगट वर्ष 2010 से किचन गार्ड¨नग कर रही हैं और अब 20 बिजनेस परिवारों को साथ लेकर कॉपरेटिव फार्म बनाया है, जहां पर सब्जियां व फल उगाए जाते हैं। इसकी देखभाल 20 परिवार करते हैं। सभी परिवार हर रोज अपनी पसंदीदा सब्जी अपने किचन गार्डन से तोड़ कर बनाते हैं। यह शौक के साथ हेल्दी भी बनाता है।

किचन गार्डन से कम होता है आर्थिक बजट

किचन गार्डन के ट्रेनर गुरप्रीत दमड़ीखाना ने बताया कि एक वर्ष में एक परिवार का सब्जी का बजट 18 हजार से 36 हजार तक आता है। रोजाना एक परिवार 100 रुपये की सब्जी खरीदता है। इसमें सब्जी में डालने वाले आलू, प्याज, अदरक, लहसुन, धनिया व हरी मिर्च का खर्च शामिल नहीं है। इतना ही नहीं जो बाजार में सब्जियां बिकती हैं वो कॉर्मिशयल होती है जिसमें न्यूट्रेटस बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं। जिनको समय से पहले तैयार करने के लिए जरूरत से अधिक खाद, कीटनाशकों, स्प्रे व हाइब्रिड बीजों का प्रयोग होता है। ये जब बाजार में पहुंचती हैं, तो जहर बनकर आती हैं और इनको खाकर हमारी सेहत खराब होती है। इससे बचने के लिए लोग किचन गार्डनिंग करते हैं।

शहरी गमलों में अब फूलों की जगह लगा रहे सब्जियां

डीन कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर गोबिंद नेशनल कॉलेज नारंगवाल के डॉ. दलजीत सिंह ने बताया कि विदेशों में 25 से 35 प्रतिशत लोग घरों में ही किचन गार्डनिंग करते हैं। इसको देखकर अब भारत में किचन गार्डन का प्रचलन बढ़ रहा है। शहरी लोग घरों में गमलों में फूलों की जगह अब टमाटर, ब्रोकली, बैंगन, हरी मिर्च, पुदीना, तुलसी, धनिया आदि उगाने लगे हैं।

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