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आचार संहिता की वजह से रुकी फंडिंग, सेंट्रल जेल में जैमर लगाने का काम लटका

सेंट्रल जेल में जैमर लगाने का काम अब आचार संहिता की वजह से लटक गया है। गृह विभाग की तरफ से होने वाली फंडिंग अब लोकसभा चुनाव के कारण रुक गई है।

By Edited By: Published: Fri, 10 May 2019 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 10:03 AM (IST)
आचार संहिता की वजह से रुकी फंडिंग, सेंट्रल जेल में जैमर लगाने का काम लटका
आचार संहिता की वजह से रुकी फंडिंग, सेंट्रल जेल में जैमर लगाने का काम लटका

लुधियाना, [राजन कैंथ]। सालों से पाइपलाइन में पड़ा सेंट्रल जेल में जैमर लगाने का काम अब आचार संहिता की वजह से लटक गया है। गृह विभाग की तरफ से होने वाली फंडिंग अब लोकसभा चुनाव के कारण रुक गई है। चुनाव के बाद ही उसे जारी किया जाएगा। इसके बाद लुधियाना सेंट्रल जेल में जैमर लगाए जाने का काम पूरा हो सकेगा। जैमर न लगने के कारण जेलों में बंद हवालाती व कैदी धड़ल्ले से मोबाइल फोन अंदर ले जा उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। आए दिन जेल अधिकारी कैदी व हवालातियों से मोबाइल फोन बरामद कर रहे हैं।

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दिसंबर 2018 में अधिकारियों ने दावा किया था कि फरवरी 2019 तक जैमर लगाने का काम पूरा हो जाएगा। बता दें कि जैमर लगने से केवल कैदियों के मोबाइल फोन जाम होंगे, जबकि एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक पर उसका कोई असर नहीं रहेगा। जैमर लगाने का कांट्रेक्ट दिल्ली बेसड कैपिटल इलेक्ट्रॉनिक कंपनी को दिया गया है। कंपनी की एक टीम दिसंबर में सेंट्रल जेल का सर्वे भी कर चुकी है। लुधियाना सेंट्रल जेल पंजाब की पहली ऐसी जेल है, जिसमें छोटे जैमर लगाने का काम किया जाएगा।  

सात ब्लॉक में लगेंगे 7 जैमर

गौरतलब है कि कैपिटल कंपनी की तरफ से लगाए जा रहे जैमर की कीमत दो लाख रुपये है। एक मशीन 100 मीटर रेडियस का इलाका कवर करती है। सेंट्रल जेल में 100 मीटर रेडियस के 7 ब्लॉक हैं। हर ब्लॉक में सात बैरकें हैं। ऐसे में एक मशीन एक ब्लॉक को कवर करेगी। उस हिसाब से जेल के सातों ब्लॉक में सात जैमर लगाए जाएंगे। उन सब का कंट्रोल जेल सुपरिटेंडेंट ऑफिस में होगा। इसे कोई मुलाजिम अपने फायदे के लिए बंद नहीं कर सकेगा। इनके लगने से एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में कोई असर नहीं पड़ेगा। अधिकारियों के मोबाइल चलते रहेंगे।

कामयाब नहीं रहा बड़ा जैमर

बता दें कि इससे पहले राज्य की जेलों में बड़े जैमर लगाने का प्रोजेक्ट था। उसे लगाने की लागत दो करोड़ रुपये है। राज्य की दो जेलों में वो जैमर लगे तो हैं, मगर कामयाब नहीं हो सके। उन जैमर से जेल परिसर के अंदर तो मोबाइल जैम होते ही हैं, जेल से सटे इलाके भी प्रभावित होते थे। जेल प्रबंधन का कोर्ट व पेशी संबंधी पूरा काम मोबाइल पर होता है। जैमर लगने से अधिकारियों के मोबाइल भी जैम हो जाते थे। बड़े जैमर की मशीन को कोई भी जेल मुलाजिम अपने फायदे के लिए एक घंटे तक बंद सकता है।

जैमर लगाने से मिलेगी राहत

जैमर के लिए फंडिंग गृह विभाग की ओर से की जानी है। जो चुनाव के बाद ही संभव है। जैमर लगने से जेल प्रबंधन को भी राहत मिलेगी। कैदी व हवालाती मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

-शमशेर सिंह बोपाराय, जेल सुपरिटेंडेंट।

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