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मरीज को दवा कैसे लेना है, समझाना जरूरी

चिकित्सक के परार्मश के अनुसार टाइम टू टाइम दवा नहीं लेते। जिसके चलते कई बार उनकी हालत में सुधरने की बजाए और बिगड़ जाती है। सही समय पर दवा न लेने के पीछे केवल मरीज ही जिम्मेदार नहीं होते बलिक कुछ मामलों में चिकित्सकों की भी जिम्मेदार होते है। चिकित्सक मरीज की जांच तो बहुत बेहतर करते हैं लेकिन बीमारी इलाज को लेकर लिखी गई दवाओं के बारे में मरीज को सही तरह से समझा नहीं पाते। वहीं मरीज भी चिकित्सक से दोबारा पूछने की हिम्मत नहीं जुटाते और अपनी समझ के अनुसार दवा लेते रहते हैं। यह कहना रहा एम्स दिल्ली के कार्डियोलाजी प्रोफेसर डा. संदीप सेठ का।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 06:22 AM (IST)
मरीज को दवा कैसे लेना है, समझाना जरूरी
मरीज को दवा कैसे लेना है, समझाना जरूरी

जागरण संवाददाता, लुधियाना :

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अकसर गंभीर बीमारियों से घिरे मरीज दवा को लेकर लापवाह होते हैैं। चिकित्सक के परार्मश के अनुसार टाइम टू टाइम दवा नहीं लेते। जिसके चलते कई बार उनकी हालत सुधरने की बजाए बिगड़ जाती है। सही समय पर दवा न लेने के पीछे केवल मरीज ही जिम्मेदार नहीं होते, बल्कि कुछ मामलों में चिकित्सकों की भी जिम्मेदार होते हैं। चिकित्सक मरीज की जांच तो बहुत बेहतर करते हैं, लेकिन बीमारी इलाज को लेकर लिखी गई दवाओं के बारे में मरीज को सही तरह से समझा नहीं पाते। वहीं मरीज भी चिकित्सक से दोबारा पूछने की हिम्मत नहीं जुटाते और अपनी समझ के अनुसार दवा लेते रहते हैं। यह बात एम्स दिल्ली के कार्डियोलॉजी प्रोफेसर डॉ. संदीप सेठ ने कही। वह रविवार को दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के मेडिसन विभाग की ओर से डुमरा ऑडिटोरियम में आयोजित मेडिकॉन 2019 सीएमई में पहुंचे थे। यह सीएमई एक्यूट केयर मेडिसन के विषय पर थी। जिसमें दो सौ से अधिक विशेषज्ञ शामिल हुए। सीएमई का उद्घाटन डीएमसीएच प्रबंध समिति के सचिव प्रेम कुमार गुप्ता ने किया। उद्घाटन समारोह के दौरान प्रिसिपल डॉ. संदीप पुरी, डीन एकेडमिक्स डॉ. राजू सिंह छीना, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. संदीप शर्मा, सहायक डीन एकेडमिक्स डॉ. संदीप कौशल और मेडिकल सुपरिडेंट डॉ. विश्वमोहन भी उपस्थित थे। डॉ. संदीप सेठ ने कहा कि गंभीर बीमारियों के इलाज में दवा का बहुत बड़ा रोल है। चालीस प्रतिशत से अधिक मरीज दवा से ठीक हो जाते हैं। गंभीर बीमारियों के इलाज को लेकर नई नई दवाएं आ गई हैं। जिन मरीजों पर दवा प्रभावी तरीके से असर नहीं करती, उनके लिए फिर सर्जरी दूसरा विकल्प है।

उन्होंने कहा कि इंडिया में 5 से 10 मिलियन हार्ट फेलियर के मामले आते हैं। जिसमें से 50 प्रतिशत मरीजों का इलाज दवा से होता है। उन्होंने कहा कि एम्स में हार्ट फेलियोर के मरीजों के बेहतर इलाज के लिए हार्ट फेलियोर क्लीनिक खोला गया है। जिससे कि हार्ट फेलियर के मरीजों को अतिरिक्त केयर मिले। इस क्लीनिक में गंभीर मरीजों को रखा जाता है। यहां मरीज को दवा लेने के बारे में बताया जाता है। डाइट चार्ट बताया जाता है जिससे मरीज की बहुत जल्दी रिकवरी होती है। इस सीएमई में पीजीआइएमईआर के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पंकज मल्होत्रा, पीजीआइएमईआर के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अंशु रस्तोगी, रोहतक पीजीआइएमएस के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग डॉ. ध्रुव चौधरी, पीजीआइएमईआर चंडीगढ़ के मेडिसिन विभाग डॉ. विकास सूरी ने भी संबोधित किया। अंत में सीएमई के अध्यक्ष डॉ. दिनेश गुप्ता ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रतिभागी प्रतिनिधियों को तीव्र चिकित्सा के बारे में जागरूक करना है। यह सम्मेलन एक्यूट केयर मेडिसिन में प्रगति के बारे में ज्ञान बढ़ाने में प्रतिनिधियों के लिए बहुत उपयोगी होगा।


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