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विला पर नहीं मिला कब्जा, आइरो वाटरफ्रंट को ब्याज समेत लौटाने होंगे डॉक्टर दंपती के 34.79 लाख Ludhiana News

आइरो वाटरफ्रंट के मालिकों को मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी के खर्च के रूप में डॉक्टर दंपती को 25 हजार रुपये की धनराशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 11:15 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 02:01 PM (IST)
विला पर नहीं मिला कब्जा, आइरो वाटरफ्रंट को ब्याज समेत लौटाने होंगे डॉक्टर दंपती के 34.79 लाख Ludhiana News
विला पर नहीं मिला कब्जा, आइरो वाटरफ्रंट को ब्याज समेत लौटाने होंगे डॉक्टर दंपती के 34.79 लाख Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (आरएआरए) ने मेसर्स आइरो वाटरफ्रंट लुधियाना को निर्धारित अवधि में विला का कब्जा नहीं सौंपने का कड़ा नोटिस लेते हुए पीडि़त डॉक्टर दंपती द्वारा जमा करवाई 34 लाख 79 हजार 858 रुपये की रकम ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया है। आरएआरए के अध्यक्ष जेएस खुश्दील ने यह आदेश सुनाते हुए आइरो वाटरफ्रंट के मालिकों को मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी के खर्च के रूप में डॉक्टर दंपती को 25 हजार रुपये की धनराशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है। सराभा नगर निवासी डॉ. नवजोत कौर और डॉ. गुरकीरत सिंह बाजवा की तरफ से दायर शिकायत का निपटारा करते हुए आदेश दिया गया।

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शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने उक्त कंपनी से एक विला बुक करवाया था। कुल कीमत 99.84 लाख रुपये में से 34 लाख 79 हजार 858 रुपये का भुगतान किया। शेष राशि का भुगतान कब्जा मिलने के समय किया जाना था, लेकिन कंपनी निर्धारित अवधि तक विला का कब्जे को देने में विफल रही। इस तरह यूनिट के निर्माण में देरी के कारण वे अपनी धनराशि ब्याज समेत वापस चाहते हैं। आरएआरए की तरफ से नोटिस जारी करने के बावजूद कंपनी की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ। आरएआरए ने शिकायतकर्ताओं द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर पाया कि कंपनी की तरफ से उनको 26 जून 2016 तक यानि की 24 महीनों के भीतर विला का कब्जा देना था, जबकि वे पूर्णतया विफल रहे। इसलिए कंपनी को तयशुदा शर्तों के मुताबिक 90 दिन में शिकायतकर्ताओं की तरफ से जमा करवाई गई धनराशि को वापस करना था, लेकिन उन्होंने धनराशि वापस नहीं की।

आरएआरए ने अपने फैसले में ठहराया कि कंपनी की तरफ से शिकायतकर्ताओं की धन राशि वापस न करना पूर्णतया गलत था, जिस कारण उनको मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा और पुन: मुकदमेबाजी में उलझना पड़ा। इसलिए शिकायतकर्ताओं को उनकी तरफ से जमा करवाई गई धनराशि के अलावा बतौर मुआवजा 25 हजार रुपये अदा करने का आदेश भी सुनाया गया।

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