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पीएयू की इनिंग समाप्‍त, अब फिल्मों में फुल पारी खेलेंगे कामेडियन जसविंदर भल्ला

पंजाबरी फिल्‍मों के मशहूर कलाकार जसविंदर भल्‍ला पंजाब कृषि विश्‍वविद्यालय से रिटायर हो गए। अब वह पंजाबी फिल्‍मों में फुल पारी खेलेंगे। उनको पीएयू की तरफ से ऑनलाइन विदाई दी गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 12:27 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 12:27 AM (IST)
पीएयू की इनिंग समाप्‍त, अब फिल्मों में फुल पारी खेलेंगे कामेडियन जसविंदर भल्ला
पीएयू की इनिंग समाप्‍त, अब फिल्मों में फुल पारी खेलेंगे कामेडियन जसविंदर भल्ला

लुधियाना, जेएनएन। पंजाब में कॉमेडी की अगर बात करें तो जसविंदर भल्ला का नाम सबसे पहले आता है। अपनी बातों व जोक्स से हर किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने वाले कॉमेडी किंग भल्ला रविवार को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) से 60 साल की उम्र में रिटायर हो गए। वह प्रोफेसर-कम- हेड ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ एक्सटेंशन एजूकेशन के पद पर थे। कोरोना की वजह से प्रशंसकों ने उनके लिए वेबिनार के जरिए दो घंटे की ऑनलाइन फेयरवेल पार्टी रखी। इसमें पीएयू के कुलपति (वीसी) से लेकर बड़े अधिकारियों के अलावा उनके दोस्त, सहकर्मी शामिल हुए।

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ऑनलाइन विदाई पार्टी में पीएयू के अधिकारियों ने दी बधाई, कहा- भल्ला जी रिटायरमेंट मुबारक 

इस ऑनलाइन पार्टी का हिस्सा दुनिया भर में उनके प्रशंसक भी बने। सभी ने अकेडमिक करियर से लेकर कल्चर के क्षेत्र में भल्ला के योगदान को सराहा। साथ ही रिटायरमेंट के बाद जिंदगी के नए पड़ाव में सफलता का शिखर को छूने की दुआएं दी। भल्ला इस दौरान काफी भावुक भी दिखे। उन्होंने कहा है कि वह अब अपनी आने वाली फिल्मों पर पूरी एनर्जी लगाते हुए फोकस करेंगे। यानी अब वह लोगों को और लोटपोट करते हुए उनसे जुड़ेंगे।

भल्ला को नहीं भूलेगी पीएयू: वीसी

'' डॉ. जसविंदर भल्ला पीएयू के विद्यार्थी रहे हैं। अपना अकेडमिक करियर उन्होंने पीएयू से शुरू किया था। भल्ला ने अपनी मेहनत से एक प्रसार माहिर व एक अदाकार के तौर पर सफलता हासिल की। वह मेलों में रौनक लगाकर रखते थे। पीएयू भल्ला को नहीं भूलेगी। उनकी हमें हमेशा जरूरत होगी। वह अब जिंदगी के एक नए पड़ाव में दाखिल होने जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें ढेरों शुभकामनाएं।

                                                                                              - डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लो, वीसी, पीएयू।

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प्रसिद्धि मिलने के बाद भी वह नम्र और जमीन से जुड़े रहे : माहल

'' भल्ला किसी पहचान के मोहताज नहीं है। पंजाबी सिनेमा में कॉमेडी का जो रूप है, अगर उसमें भल्ला न होते तो पंजाबी कॉमेडी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न होती। प्रसिद्धि मिलने के बाद भी वह नम्र और जमीन से जुड़े रहे। भल्ला मेलों की रौनक रहे हैं। मेलों में हमें अब उनकी कमी बहुत खलेगी।

                                                                                   - जसकरण माहल, डायरेक्टर, रिसर्च, पीएयू।

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जसविंदर भल्ला तो मल्टी टैलेंटेड हैं: डॉ. बैंस

'' जसविंदर भल्ला तो मल्टीटैलेंटेड और पॉजिटिव इंसान है। वह पेशे के प्रति समर्पित हैं। अपनी बातों से वह मेलों में लोगों को बांधकर रखते थे। मजाल है कि स्टेज पर भल्ला हो और कोई उठकर चला जाए। पीएयू को रिटायरमेंट के बाद भी भल्ला की जरूरत होगी।

                                                                                        - डॉ. नवतेज बैंस, डायरेक्टर, रिसर्च, पीएयू।

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बुलंदी पर पहुंच नम्र रहना कोई इनसे सीखे: डॉ. सिद्धू

'' कामयाबी, ख्याति की ऊंचाइयों पर भी पहुंचकर नम्र और साधारण रहने का हुनर कोई जसविंदर भल्ला से सीखे। यूनिवर्सिटी में सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने वाले भल्ला ने पंजाबी कल्चर को भी बुलंदी पर पहुंचाया। हमारी यही दुआ है कि अब कला के क्षेत्र में और शिखर को छुएं।

                                                                                            - डॉ. आरएस सिद्धू, रजिस्ट्रार, पीएयू।

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भल्ला ने कभी यूनिवर्सिटी में रुतबा नहीं दिखाया: डॉ. कुक्कल

'' जसविंदर भल्ला ने प्रोफेशनल व कल्चरल लाइफ को कभी मिक्स नहीं होने दिया। कल्चरल लाइफ में जो रुतबा था, उसे कभी यूनिवर्सिटी में नहीं दिखाया। वह अपना स्टारडम यूनिवर्सिटी में कभी लेकर नहीं आए। कई बार जब काउंसलिंग होती थी, तो स्टूडेंट्स इनसे आटोग्राफ व सेल्फी लेने की जिद करते थे। मैं पास बैठा होता था, लेकिन मुझे पूछते तक नहीं थे। इससे ईर्ष्‍या होती थी। ईश्वर से अब यही प्रार्थना होगी कि रिटायरमेंट के बाद की लाइफ में भल्ला और तरक्की करें।

                                                             - डॉ. एसएस कुक्कल, डीन, एग्रीकल्चर कॉलेज, पीएयू।

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'भल्ला ने शरारत कर लिखा पत्र तो शिकायत करने के डर से पांच साल खिलाए पकौड़े'

मैं और भल्ला सहपाठी रहे हैं। हम दोनों ने वर्ष 1977 में एडमिशन लिया। जब पहला सेमेस्टर खत्म हो गया और समर वेकेशन शुरू हुआ तो मैं अपने घर लौट गया। इसी बीच सुपरिंटेंडेंट की एक चिट्ठी मिली। इसमें लिखा था कि मेरा कोर्स रह गया है, मैं जल्द यूनिवर्सिटी आऊं। चिट्ठी पढ़कर जब मैं सुपरिंटेंडेंट के ऑफिस में जाने के लिए ऑडिटोरियम पहुंचा, तो दरवाजे पर जसविंदर भल्ला मिल गए। मैं घबराया था। चिट्ठी की बात मैंने भल्ला को नहीं बताई और दफ्तर में जाने लगा। तभी भल्ला ने रोक लिया। फिर सारा सच बताया कि सुपरिंटेंडेंट बनकर उन्‍होंने चिट्ठी लिखी और जोर-जोर से हंसते हुए कहा कि हमारा दिल नहीं लग रहा था, इसलिए घर से बुलाने के लिए झूठ का सहारा लिया। यह बात सुनकर मैं गुस्से में आ गया और शिकायत करने की सोची, लेकिन भल्ला ने मिन्नतें करके मुझे रोक लिया। तब से लेकर लगातार पांच साल तक मैं भल्ला की शरारत की शिकायत करने का डरावा देकर पकौड़े खाता रहा। भल्ला बेहद शानदार इंसान हैं। जहां होते हैं, वहां खुशियों की महफिल लगा देते हैं।

                                                                                        - गुरप्रीत सिंह तूर, डीआइ, एडमिनिस्ट्रेशन।


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