पंजाब के लोगों को अपनी चपेट में ले रही पेट से जुड़ी यह बीमारी, जानें क्या हैं लक्षण
Inflammatory bowel disease (IBD) नामक बीमारी जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। सर्वे के मुताबिक Punjab में एक लाख लोगों में से 6 लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं।
जेएनएन, लुधियाना। पेट से जुड़ी Inflammatory bowel disease (IBD) नामक बीमारी जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है। ताजा सर्वे के मुताबिक Punjab में एक लाख लोगों में से 6 लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। इसी कारण 19 मई को पूरी दुनिया में IBD Day मनाया जा रहा है। जिसमें इस बीमारी के कारण, लक्षण व बचाव संबंधी जानकारी दी जाती है।
SPS Hospital के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के मुखी डॉ. निर्मलजीत सिंह मल्ही के मुताबिक दुनिया भर में 10 मिलियन से ज्यादा लोग IBD से पीडि़त हैं। IBD की भौगोलिक, भौतिक या भावनात्मक कोई सीमा नहीं है। यह बीमारी दुनिया भर में शरीर के हर हिस्से और रोगी के जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित कर सकती है। इसका कोई पक्का इलाज नहीं और न ही अभी तक इसका कोई पक्का कारण सामने आया है।उन्होंने बताया कि IBD यानि आंत का सूजन रोग मुख्य तौर पर अल्सरेटिव कोलाइटिस (UC) व क्रोहन डिजीज (CD) दो प्रकार का होता है। दोनों की स्थितियों में आंत के भीतर सूजन होती है। यूसी बड़ी आंत तक सीमित होता है, जबकि सीडी मुंह से गुदा तक किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। जोड़, आंख, स्किन, पेट और गुर्दा को भी इससे प्रभावित हो सकता है। यह 15 से 35 साल की महिलाओं व पुरुषों दोनों में हो सकती है।
एसपीएस अस्पताल के Gastroenterologists डॉ. जसमीत सिंह ढींगरा के मुताबिक अभी तक IBD को पश्चिमी देशों की बीमारी ही माना जाता रहा है, लेकिन भारतीयों की लगातार बदल रही जीवन शैली, खान-पान की आदतों में आ रहे बदलाव भी बीमारी पांव पसार रही है। पंजाब में एक लाख की आबादी पर 6 लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।
यह हैं इस बीमारी के लक्षण
सूजन के अलावा दस्त या खूनी दस्त, लगातार पेट दर्द, थकान रहना, भूख न लगना व वजन कम होना इसके मुख्य लक्षण हैं। इसके इलाज के लिए कोई एक टेस्ट नहीं है। बल्कि खून व स्टूल टेस्ट, सीटी स्कैन (इमेजिंग) के साथ-साथ कोलोनोस्कोपी या इंडोस्कोपी व बायोप्सी के माध्यम से ही इसके बारे में पता लगाया जा सकता है।
क्या है इलाज
डॉ. मल्ही व डॉ. ढींगरा के मुताबिक फिलहाल तक IBD का कोई पक्का इलाज नहीं है। लेकिन आहार में सुधार करके इसकी complication को Control किया जा सकता है। नियमित तौर पर हल्का भोजन, पौष्टिक आहार व ज्यादा प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ की जरूरत होती है। तली हुई चीजें, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ व दूध से जुड़े उत्पाद सीमित मात्रा में लेने चाहिए। इसके इलाज के तौर पर Gastroenterologists की देखरेख में लंबे समय तक दवा खानी पड़ती है।
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