गर्मी में ठंडी रही होजरी, अब सर्दी के लिए होने लगी गर्म
लॉकडाउन के दौरान धरातल पर आए होजरी उद्योग में रिकवरी देखने को मिल रही है।
बक्सर : डुमरांव तथा भोजपुर राजवाहा नहर में अंतिम छोर तक पानी हर बार महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बनता है। चुनाव जीत जाने के बाद नेता को न तो अपने वायदे से मतलब रहता है और न ही किसानों की समस्या से। हालांकि, इस वर्ष समय-समय पर हुई अच्छी बारिश के चलते किसानों को सिचाई समस्या का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन धान की फसल की सिचाई का अहम समय आने वाला है। जिसमें पानी की जरूरत बहुत महत्वपूर्ण होगी। तब नहरों की बदहाली का दुष्परिणाम किसानों को भुगतना पड़ सकता है।
डुमरांव के किसानों के लिए बड़ी समस्या नहर के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंचने की है। इस कारण कोरान सराय के बाद कोपवा, मुगांव, खलवा ईनार, राजडीहां, मिश्रबलिया नेनुआ सुरौंधा संभार लाखनडिहरा नंदन ढकाईच अमथुआ पुराना भोजपुर नावाडेरा नोनिया डेरा नया भोजपुर आदि गांव के किसानों के खेतों की सिचाई नहर से नहीं हो पाती है। यहां के किसान खेतों की सिचाई के लिए पूरी तरह से मॉनसून पर आश्रित रहते हैं। ऐसा भी नहीं की नेताओं और जनप्रतिनिधियों को किसानों की समस्या से कोई मतलब नहीं। हर एक बार चुनाव में पानी की समस्या को महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बनाया जाता है लेकिन चुनाव बाद इस समस्या पर किसी की नजर नहीं जाती है।
चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनता है नहर
चुनाव में नहरों में पानी की समस्या प्रमुख चुनावी मुद्दा बनता है। नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने के लिए मलाई बराज का निर्माण पूरा कर पानी ले जाने की बात कही जाती है लेकिन पांच सालों से इस नहर का काम पूरा नहीं हो सका। किसानों की इस समस्या पर न तो कोई पदाधिकारी ध्यान देते हैं और न ही नेता अपना चुनावी वायदा पूरा करते हैं। किसान विशेश्वर सिंह का कहना है कि नहर में पानी के लिए हर बार सिर्फ झूठा आश्वासन देकर अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने की बात कही जाती है। किसान बसंत राय का कहना है कि सबसे बड़ी जरूरत सूखी नहर में पानी पहुंचाने के सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।