Punjab Budget Expectations: मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और रिफंड पर फोकस करे सरकार, तभी बनेगी बात
उद्यमियों का कहना हे कि यदि बजट मेंसरकार सूबे में औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए फंड बढ़ाए और वैट एवं जीएसटी का रिफंड वक्त पर देने का इंतजाम कर दे तो बात बन सकती है।
लुधियाना, जेएनएन। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल 28 फरवरी को विधानसभा में सूबे का अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करने जा रहे हैं। उद्यमियों को काफी उम्मीदे हैं, लेकिन उनका यह भी मानना है कि खजाना खाली होने के कारण सरकार के पास ज्यादा कुछ देने के लिए नहीं है। यदि सरकार सूबे में औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए फंड बढ़ाए और वैट एवं जीएसटी का रिफंड वक्त पर देने का इंतजाम कर दे तो बात बन सकती है। साथ ही पोर्ट से दूरी की मार झेल रहे उद्योग जगत को फ्रेट इक्वलाइजेशन स्कीम देकर बड़ी राहत दी जा सकती है।
बिजली पर लगे अतिरिक्त करों को खत्म करें
फेडरेशन ऑफ पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रेशर बदीश जिंदल का कहना है कि पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का दावा करने वाली सरकार ने ऐसे इंतजाम किए हैं कि बिजली छोटे उद्यमियों को दस से बारह रुपये प्रति यूनिट तक पड़ रही है। बिजली की बेसिक दर पर तेरह फीसद एक्साइज ड्यूटी, पांच फीसद इंफ्रास्ट्रक्चर सेस, एक फीसद काऊ सेस, एक फीसद काॅरपोरेशन सेस लिया जा रहा है। इन अतिरिक्त करों का जीएसटी में रिफंड तक नहीं मिलता। इससे लागत बढ़ रही है। बिजली पर लगे अतिरिक्त करों को बजट में खत्म करना अनिवार्य है।
फ्रेट इक्वलाइजेशन स्कीम की शुरुआत हो
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष एससी रल्हन का कहना है कि सूबे के निर्यातकों को पोर्ट से दूरी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। खास कर इंजीनियरिंग उद्योग का सारा कच्चा माल दूसरे राज्यों से आ रहा है, जबकि तैयार माल फिर से पोर्ट पर पहुंचाया जा रहा है। इससे माल भाड़ा दोहरा लग रहा है। नतीजतन उत्पादों की लागत में इजाफा हो रहा है और प्रतिस्पर्धा करने में दिक्कत आ रही है। बजट में सूबे के उद्योग के लिए फ्रेट इक्वलाइजेशन स्कीम की शुरुआत की जाए।
औद्योगिक क्षेत्रों की दशा सुधारने को इंतजाम करने होंगे
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल अंडरटेकिंग के प्रेसिडेंट उपकार सिंह आहूजा का कहना है कि फोकल प्वाइंट्स समेत औद्योगिक क्षेत्रों में हालात काफी खस्ता हैं। न सड़कें हैं, न स्ट्रीट लाइट। यहां तक की सीवरेज भी पूरी तरह से बंद हैं। औद्योगिक क्षेत्रों से सरकार को सबसे अधिक राजस्व आता है। कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण कारोबार बुरी तरह से प्रभावित है। बजट में औद्योगिक क्षेत्रों की दशा सुधारने के लिए इंतजाम करने होंगे।
रिफंड की अदायगी के लिए समयबद्ध नीति बनाई जाए
यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट्स मेन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसि डेंट डीएस चावला का कहना है कि देश में जुलाई 2017 में जीएसटी लागू किया गया था, उससे पहले वैट प्रणाली थी। हालत यह है कि अब तक वैट का रिफंड तक नहीं मिल सका है। साथ ही जीएसटी का रिफंड भी फंस रहा है। इससे उद्योग जगत की काफी वर्किंग केपिटल सरकारी विभागों में अटकी हुई है। आर्थिक मंदी के दौर में तरलता की कमी आ रही है और कारोबार करने में दिक्कत आ रही है। बजट में जीएसटी एवं वैट रिफंड देने के लिए ठोस इंतजाम किए जाएं। साथ ही रिफंड की अदायगी के लिए समयबद्ध नीति बनाई जाए।
ग्रांट देने के लिए बजट में ही फंड के प्रावधान किए जाएं
फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल आर्गेइनाजेशन के टेक्सटाइल डिवीजन के हेड अजीत लाकड़ा का कहना है कि सरकार की आर्थिक स्थिति कमजोर नहीं है। हालत यह है कि शहर में डाइंग उद्योग के लिए बन रहे कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए सूबा सरकार अपने हिस्से की ग्रांट तक नहीं दे पा रही है। जिसके चलते सीईटीपी वक्त पर पूरा नहीं हो पा रहे हैं और डाइंग उद्योग को दिक्कत आ रही है। इसके अलावा भी कई केंद्र की स्कीमों में सूबा सरकार मै¨चग ग्रांट नहीं दे रही है। विकास स्कीमों में अपने हिस्से की ग्रांट देने के लिए बजट में ही फंड के प्रावधान किए जाएं।
लुधियाना को निटवियर का कलस्टर घोषित किया जाए
निटवियर एंड टेक्सटाइल क्लब के प्रेसिडेंट विनोद थापर का कहना है कि निटवियर एवं टेक्सटाइल उद्योग के लिए रिसर्च एंड डवपलमेंट की कमी है। लुधियाना होजरी निटवियर का गढ़ है। इंडस्ट्री में कुशल मैनपावर की कमी को दूर करने के लिए निटवियर यूनिवर्सिटी खोलना अनिवार्य है। इस संबंध में बजट में ही प्रावधान किए जाएं। इसके अलावा लुधियाना को निटवियर का कलस्टर घोषित किया जाए। तभी उद्योग में जान आएगी।
पर्यटन को बढ़ाने के लिए बने कमेटी
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिशन ऑफ पंजाब के प्रेसिडेंट अमरवीर सिंह का कहना है कि सूबा सरकार ने वर्ष 1996 में होटल को उद्योग घोषित किया था, लेकिन अभी तक उद्योग की सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। हालत यह है कि होटलों पर औद्योगिक की बजाए बिजली का कामर्शियल टैरिफ लागू है। उद्योग की कोई सुविधा नहीं दी जा रही। बजट में इस संबंध में प्रावधान किए जाएं। साथ ही सूबे में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कमेटी बनाई जाए। जिसमें उद्योग के प्रतिनिधि भी लिए जाएं।
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