रेलवे की आर्थिकता के पहिए को उद्यमी गति देने को तैयार
भारतीय रेलवे सालाना लाखों करोड़ रुपये के माल की खरीदारी अपने रजिस्टर्ड वेंडर्स के जरिए करता है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : सरकारी क्षेत्र के उपक्रम भारतीय रेलवे सालाना लाखों करोड़ रुपये के माल की खरीदारी अपने रजिस्टर्ड वेंडर्स के जरिए करता है। रेलवे ने वेंडर बेस बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे रेलवे को राजस्व भी मिलेगा और इसी के तहत रेलवे की आर्थिकता के पहिए को गति देने के लिए उद्यमी तैयार हैं। हालांकि उनका तर्क है कि रेलवे अपनी खरीद प्रक्रिया को आसान बनाए। इसके साथ ही माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के लिए केंद्र सरकार की ओर से सरकारी खरीद में 20 फीसद की अनिवार्यता को सख्ती से लागू किया जाए। इससे छोटे उद्यमियों को भी अच्छे आर्डर मिलेंगे और उनके कारोबार में इजाफा होगा।
उद्यमियों के अनुसार लुधियाना में 50 से अधिक औद्योगिक इकाइयां रेलवे को माल की आपूर्ति करती हैं। यहां से ज्यादातर नट बोल्ट, हैंड टूल्स, फोर्जिग उत्पाद, मशीन पार्ट्स, शीट मेटल पार्ट्स समेत कई तरह के इंजीनियरिग उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। रेलवे ने हाल ही में अपने वेंडर बेस को बढ़ाने की कवायद शुरू की है। इसके लिए नए उद्यमियों को वेंडर बनने के लिए ऑनलाइन मंजूरी देने की प्रक्रिया से अपडेट किया गया। साथ ही रजिस्ट्रेशन की रकम को भी कम किया गया है। माइक्रो स्मॉल एंटरप्राइजेज के लिए रजिस्ट्रेशन फीस ढाई लाख रुपये से कम करके 50 हजार की गई है। रेलवे आत्मनिर्भर भारत एवं मेक इन इंडिया नीति के तहत घरेलू निर्माताओं को तवज्जो दे रहा है। रेलवे को खरीद नीति सरल करनी चाहिए: उपकार आहुजा
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल अंडरटेकिग्स के प्रधान उपकार सिंह आहुजा का तर्क है कि रेलवे को अपनी खरीद नीति को स्पष्ट एवं सरल करना होगा। माइक्रो सेक्टर को रजिस्ट्रेशन फीस माफी करनी चाहिए। इससे छोटे उद्यमियों को उत्साह मिलेगा और वे रेलवे में अपने माल की आपूर्ति कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि उद्यमी रेलवे में माल देने को तत्पर हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया को सरल एवं इंडस्ट्री फ्रेंडली बनाने की जरूरत है। रेलवे बीस फीसद खरीद एमएसएमई से करे: नरेंद्र भमरा
फास्टनर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रधान नरेंद्र भमरा का कहना है कि लुधियाना से रेलवे में बड़ी संख्या में नट बोल्ट की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा लोहे के ढांचे भी सप्लाई किए जा रहे हैं। उनका तर्क है कि रेलवे कानून के तहत अपनी खरीद का बीस फीसद एमएसएमई से सुनिश्चत करे, इससे छोटे उद्यमी भी आसानी से माल की आपूर्ति कर सकेंगे। साथ ही टेंडर नीति को जरूरत के हिसाब से मजबूत किया जाए।