विश्व बाजार में रेट स्थिर, घरेलू स्क्रैप की ओर उद्योगपतियों ने किया रुख
घरेलू बाजार में उठा-पठक के चलते इंडक्शन फर्नेस उद्योग ने पिछले बीस दिन में आयातित स्क्रैप से हाथ खींचे रखा।
राजीव शर्मा, लुधियाना : घरेलू बाजार में उठा-पठक के चलते इंडक्शन फर्नेस उद्योग ने पिछले बीस दिन में आयातित स्क्रैप से हाथ खींचे रखा। नतीजतन उद्यमियों ने तकरीबन तीन लाख टन स्क्रैप आयात के आर्डर नहीं दिए, लेकिन अब फिर से घरेलू बाजार और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रेट बराबर आ गए हैं। ऐसे में उद्यमियों ने फिर से स्क्रैप आयात की ओर रुख किया है। उद्यमियों का तर्क है कि यदि इंटरनेशनल बाजार में तेजी न आई तो आयात फिर से बढ़ सकता है। काबिलेजिक्र है कि इंडक्शन फर्नेस उद्योग की कुल खपत का तकरीबन साठ फीसद विदेशों से आयात किया जाता है। देश में सालाना तकरीबन सत्तर लाख टन स्क्रैप का आयात किया जाता है। इन मुख्य देशों से होता है आयात
मिडल ईस्ट
दक्षिण अफ्रीका
जार्डन
अमेरिका
ब्राजील 27 हजार रुपये प्रति टन था स्क्रैप का दाम
बीस दिन पहले घरेलू बाजार में स्क्रैप का दाम करीब 27 हजार रुपये प्रति टन था, जबकि आयातित स्क्रैप तीस से 31 हजार रुपये प्रति टन में आ रही थी। उद्यमियों ने आयात से हाथ खींचे और घरेलू स्क्रैप के आयात पर फोकस किया। माग बढऩे के चलते अब फिर से घरेलू स्क्रैप के दाम उछलकर 30500 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए हैं, जबकि आयातित स्क्रैप भी भारत में इतने ही रुपये में पहुंच रहे हैं। रेट न बढ़े तो फिर से बढ़ सकता है स्क्रैप का आयात
ऑल इंडिया इंडक्शन फर्नेस एसोसिएशन के प्रेसिडेंट संदीप जैन का कहना है कि विश्व बाजार में स्क्रैप का रेट 370 डॉलर प्रति टन है। यह भारतीय पोर्ट पर 30500 रुपये में आ रहे हैं। जैन ने कहा कि फिलहाल विश्व बाजार में रेट स्थिर हैं। यदि रेट न बढ़े तो स्क्रैप का आयात फिर से बढ़ सकता है। घरेलू स्तर पर स्क्रैप की उपलब्धता ज्यादा नहीं है। ऐसे में उद्यमियों को मजबूरन विदेशों से आयात करना पड़ता है। बीस दिन के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रेट का गैप काफी बढ़ गया, इस वजह से ही उद्यमियों ने आयात से हाथ खींचे। उनका कहना है कि इंडस्ट्री में बेहतर कामकाज के लिए बाजार का स्थिर होना अनिवार्य है। इस दिशा में सरकार को ठोस उपाय करने होंगे। स्क्रैप की उपलब्धता फिर से बढ़ने की उम्मीद
इंडक्शन फर्नेस ऑफ नॉर्दर्न इंडिया के प्रधान केके गर्ग ने कहा कि बीस दिन के दौरान स्पाज आयरन के दाम लगभग 24500 रुपये प्रति टन के आसपास ही रहे। ऐसे में इंडस्ट्री ने स्क्रैप की बजाय स्पाज आयरन का उपयोग अस्थाई तौर पर बढ़ा दिया। उनका कहना है कि अब फिर से स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद है।