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उद्यमियों को बजट से आस, आर्थिक मंदी से निपटने को सरकार से मिलेगी राहत Ludhiana News

उद्यमियों को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष के बजट में उद्योग जगत को आर्थिक मंदी से निपटने में राहत मिलेगी। आयकर में छूट दी जाएगी जीएसटी को तर्क संगत बनाया जाएगा।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 01:54 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 08:39 AM (IST)
उद्यमियों को बजट से आस, आर्थिक मंदी से निपटने को सरकार से मिलेगी राहत Ludhiana News
उद्यमियों को बजट से आस, आर्थिक मंदी से निपटने को सरकार से मिलेगी राहत Ludhiana News

लुधियाना, जेएनएन। केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष के आम बजट की तैयारियों में जुट गई है। इसे लेकर उद्योग जगत की राय मांगी जा रही है। उद्यमियों को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष के बजट में उद्योग जगत को आर्थिक मंदी से निपटने में राहत मिलेगी। आयकर में छूट दी जाएगी, जीएसटी को तर्क संगत बनाया जाएगा। इसके अलावा ट्रांजेक्शन लागत को कम करने की दिशा में ठोस उपाय किए जाएंगे, ताकि इंडस्ट्री विश्व बाजार में बेहतर ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सके। इसके लिए औद्योगिक संगठनों ने सरकार को सुझाव भी भेजे हैं।

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आयकर विसंगति नहीं झेल पा रहे हैं उद्यमी

ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदीश जिंदल का कहना है कि पिछले बजट में सरकार ने नई कारपोरेट इकाइयों के लिए आयकर पंद्रह फीसद किया था। जबकि, पुरानी कंपनियों को यह 23 फीसद पड़ रहा है। 2003 आर्थिक सुस्ती के दौर में आयकर की विसंगति को उद्यमी झेल नहीं पा रहे हैं। बदीश ने सुझाव किया है कि सभी कंपनियों के लिए आयकर की दर को 15 फीसद किया जाए। इससे इंडस्ट्री के पास तरलता आएगी और मंदी का मुकाबला हो सकेगा। इसके अलावा आर्थिक सुस्ती का सबसे अधिक असर माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज को पड़ रहा है। सरकार ने पिछले कई साल से एमएसएमई का बजट पांच हजार करोड़ रखा है, जोकि पर्याप्त नहीं है। इसे बढ़ा कर बीस हजार करोड़ किया जाए।

बड़े किसानों को आयकर के दायरे में लाया जाए

जिंदल ने सुझाव दिया कि बड़े किसानों को आयकर के दायरे में लाया जाए, इससे इंडस्ट्री पर बोझ कम होगा। साथ ही उन्होंने यह मांग की कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर मसलन मशीनरी आयात को ड्यूटी मुक्त किया जाए। इससे देश में आधुनिक तकनीक तेजी से आएगी और उद्यमी विश्व प्रतिस्पर्धा का मुकाबला कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश में रेलवे के फ्रेट काफी अधिक हैं। इनको बजट में तर्क संगत बनाने की जरूरत है। इससे इंडस्ट्री का ढुलाई खर्च भी कम होगा।

ऑटो इंडस्ट्री पर कम किया जाए जीएसटी दर

चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल अंडरटेकिंग्स के प्रधान उपकार सिंह आहूजा ने कहा कि आयकर की दरों को कम करना अनिवार्य हो गया है। इसके अलावा ऑटो इंडस्ट्री पर 28 फीसद जीएसटी है। इसके कम करके 18 फीसद किया जाए। साथ ही एक सेगमेंट की इंडस्ट्री के लिए जीएसटी की दर एक समान की जाए। साथ ही पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। आहूजा ने कहा कि माल ढुलाई खर्च के करण महंगा साबित हो रहा है, उनको फ्रेट सब्सिडी दी जाए।

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