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चीन के उत्पादों का बहिष्कार करेंगे औद्योगिक संगठन, लोकल को वोकल करने पर फोकस

पंजाब के औद्योगिक संगठनों ने चीन के उत्‍पादाें का बहिष्‍कार करने का फैसला किया है। वे चीन के उत्‍पादों का विकल्‍प तैयार करेंगे और लोकल को वोकल करने पर फोकस करेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 08:30 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 08:30 AM (IST)
चीन के उत्पादों का बहिष्कार करेंगे औद्योगिक संगठन, लोकल को वोकल करने पर फोकस
चीन के उत्पादों का बहिष्कार करेंगे औद्योगिक संगठन, लोकल को वोकल करने पर फोकस

लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। चीन के उत्पादों के बहिष्कार को लेकर भारतीय उद्योगों में स्वर तेज होने लगे हैं।  चीन से आयातित उत्पादों पर इंडस्ट्री केंद्र सरकार के समक्ष ज्यादा ड्यूटी लगाने सहित कई अहम सुझाव वर्षों से देती रही है, लेकिन केंद्र द्वारा चीन के उत्पादों पर रोक नहीं लगाई गई। अब लुधियाना की इंडस्ट्री में मेड इन इंडिया को लेकर हलचल आरंभ हो गई है। कोरोना वायरस के खतरे के बाद कई औद्योगिक संगठन चीन के उत्पादों के बहिष्कार और लोकल के लिए वोकल पर फोकस करने में जुट गए हैं।

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भारतीय उत्पादों का डाटा बैंक तैयार कर चीन का विकल्प देने की तैयारी में उद्योग

चीन भारतीय उद्योगों में इस तरह शामिल हो चुका है कि उसके उत्पादों को आसानी से बंद करना आसान नहीं है। ऐसे में इंडस्ट्री ने इसके लिए विकल्प तैयार करने की योजना बनाई है। इसमें कई औद्योगिक संगठन अहम भूमिका निभा रहे हैं।

उद्यमियों ने कहा, अब लोकल के लिए वोकल पर होगा फोकस

उद्योगों ने जहां भारतीय उत्पादों का डाटा बैंक बनाने की योजना बनाई है, वहीं मेक इन इंडिया प्रोडक्ट की ब्रांडिंग पर भी जोर देने की तैयारी की है। चीन से आने वाले ज्यादातर उत्पाद भारत में भी उपलब्ध हैं लेकिन कीमत ज्यादा होने से इनकी डिमांड कम है। भारतीय उद्यमी बड़े पैमाने पर उत्पादन करके कीमत नियंत्रित करने की योजना पर काम कर रहे हैैं।

आयात किए जाने वाले उत्पाद

साइकल इंडस्ट्री में चीन से हाईएंड और फैंसी साइकल के पाट्र्स आयात किए जाते हैैं। जैसे- ब्रेक्स, सीट, पैडल, रिफ्लेक्टर, चिमटा इत्यादि। इसके अलावा कंप्लीट साइकिल भी शामिल है। होजरी में मुख्य रूप से एसेसरीज शामिल है। जैसे- बटन, जिप, कपड़ा, डाइज, यार्न, क्रिएटिव स्टिकर इत्यादि।

चीन से होने वाला आयात (करोड़ रुपये में)

साइकिल एंव पाट्र्स --            1600

सिलाई मशीन एवं पाट्स --     2000

इलेक्ट्रिकल एवं मशीनरी --    1,84,789

गारमेंट्स सेक्टर --               16,500

प्लास्टिक पाट्र्स --               15250

लेदर गुड्स एवं फुटवियर --    5255

आयरन एवं स्टील --            19,950

खिलौने --                           3147

आर्गेनिक कैमिकल --           45,691

फर्नीचर --                          7737

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उत्पादों का डिजिटल डाटा बैंक बनाएंगे : जिंदल

ऑल इंडस्ट्री ट्रेड फोरम के प्रधान बदीश जिंदल के मुताबिक चीन से व्यापार को बंद करने के लिए हमें आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। इसको लेकर सभी संगठनों के साथ बैठकें की जाएंगी। फोरम के साथ 123 औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठन हैं। शीघ्र संगठन की ओर से एक ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से प्रोडक्ट डाटा बैंक बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है।

उन्‍होंने कहा कि इसमें देशभर के संगठनों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। सबसे बड़ी समस्या चीन से आयात होने वाले रॉ मैटीरियल, मशीनरी और टूल्स को लेकर रहती है, जबकि इनमें अधिकतर भारत में उपलब्ध है और कई बनाए जा सकते हैं। इस प्लेटफार्म के जरिए संगठनों को एक मंच पर लाकर प्रोडक्ट डाटा बैंक तैयार किया जाएगा ताकि एक क्लिक पर जिसे जिस वस्तु की आवश्यकता है, वह उपलब्ध करवाई जा सके।

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इंडस्ट्री को देंगे टेक्नोलॉजी एवं ट्रेनिंग : चावला

यूनाइटेड साइकिल एंड पाट्र्स मैन्युफैक्चर एसोसिएशन (यूसीपीएमए)के प्रधान डीएस चावला के मुताबिक बात साइकिल इंडस्ट्री की करें, तो हमें सबसे पहले भारत में निर्मित साइकिल कलपुर्जो का उपयोग करना होगा। इंडस्ट्री को टेक्नोलॉजी व ट्रेनिंग दी जाएगी। जो पाट्र्स भारत में नहीं बनते उसे बनाने के लिए कोशिश करनी होगी।

उन्‍होंने कहा कि यूसीपीएमए ऐसा प्लेटफार्म तैयार कर रही है जिसमें हाईएंड साइकिल के कलपुर्जे चीन से आयात करने की बजाए यहीं तैयार किए जाए। यूसीपीएमए शहर के बड़े कारपोरेट घरानों और छोटी इंडस्ट्री को एक प्लेटफार्म पर लाकर मेड इन इंडिया साइकिल का काम अग्रसर करेगी। हम अपनी समस्याओं को चुनौती बनाकर साइकिल इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ इनोवेशन को लेकर अगले माह से काम आरंभ कर देंगे। लोकल मैटीरियल उसी दाम पर उपलब्ध करवाएंगे।

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ड्यूक इन हाउस सैंपलिंग से वेंडर्स को दे रहा ट्रेनिंग : जैन

ड्यूक फैशन इंडिया लिमिटेड के सीएमडी कोमल कुमार जैन के मुताबिक हमारी कंपनी पिछले कई सालों से मेक इंडिया पर फोकस कर रही है। अब कंपनी का फोकस व्यापार के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का है। इसके लिए हम अपने साथ काम कर रहे 300 से अधिक वेंडर्स को मेड इन इंडिया के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और ट्रेनिंग दे रहे हैैं ताकि चीन से आयात न करना पड़े। हमारे सारे उत्पाद मेड इन इंडिया हैं और फैशन के दौर में भी हम लोकल डेवलपमेंट से चीन से कम दामों में अपने वेंडर्स से उत्पाद तैयार करवा रहे हैं।

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