होली की उमंग इस बार स्वदेशी पिचकारी के संग
भारत के त्योहारों पर चीन के उत्पादों का कब्जा रहा है।
जासं, लुधियाना : भारत के त्योहारों पर चीन के उत्पादों का कब्जा रहा है। हर बार स्वदेशी उत्पाद बेचने वालों पर इसकी मार पड़ती रही है। हालांकि इस बार चीन में फैले कोरोना वायरस के कारण वहां की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। होली पर इस बार चाइनीज पिचकारी या रंग नहीं आएंगे। कोरोना वायरस के असर से अब स्वदेशी पिचकारी से स्वदेशी रंग बरसेगा। चाइनीज माल की सप्लाई बाधित होने से स्वदेशी माल की बिक्री होगी।
इस बार जयपुर के रंग होली की रंगत को बढ़ाएंगे। भले ही चीन का पिछले साल का कुछ स्टॉक बाजार में हैं, लेकिन कोरोना के चलते इस साल नया स्टॉक भारतीय बाजार में नहीं आ सका। इस सबके बावजूद मार्केट को कोरोना का डर और लगातार हो रही बरसात चिता में डाल रही है और होली की खरीदारी इस बार अभी ठंडी है। जयपुर, करनाल, दिल्ली के रंग बढ़ाएंगे शोभा: गुलशन
गुल्ली दी हट्टी फील्डगंज के गुलशन कुमार के मुताबिक भारतीय होली बाजार में चीन का दबदबा खत्म होता जा रहा है। इस बार मार्केट में चीन के रंग, गुब्बारे व पिचाकारियां उपलब्ध नहीं है। स्वदेशी रंगों का ही बोलबाला है। इसमें जयपुर, करनाल, दिल्ली, हाथरस सहित कई प्रमुख शहरों से रंग पहुंचे हैं। लोग सेहत और स्किन को लेकर गंभीर हैं। ऐसे में कई ब्रांडेड कंपनियों ने फ्लोरसेंट और हर्बल रंग पेश किए है। अभी खरीदार नहीं दिखा रहे रुचि: चिंटू कुमार
चिटू पतंग एवं जनरल स्टोर के चिटू कुमार के मुताबिक इस बार स्वदेशी रंगों का बोलबाला है। हालांकि इस बार बरसात और कोरोना के चलते मार्केट में अभी खरीदार इतना रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस बार हर्बल रंगों का भी बोलबाला है, जबकि चीन का स्टॉक भी न के बराबर है। इससे भारतीय रंगों की एक बार फिर से पूरी तरह कई सालों बाद वापसी की है। पिचकारी का दाम 50 रुपये से एक हजार रुपये तक
दूसरी तरफ दुकानदारों का कहना है कि होली पर अच्छी कमाई की उम्मीद थी परंतु कोरोना वायरस के डर ने चाइनीज उत्पादों पर तो ग्रहण लगा दिया। हालांकि चाइनीज के मुकाबले स्वदेशी पिचकारियों के रेट में इतनी खास वृद्धि नहीं हुई है। पिचकारी के रेट 50 रुपये से एक हजार रुपये तक हैं।