उद्यमी पंकज मुंजाल बोले- E-Cycle की बेहतर नीति न होने से 2026 तक होगा 10 हजार करोड़ का नुकसान
देश के इलेक्ट्रिक साइकिल व्यवसाय में चीन को पीछे छोड़कर ई-साइकिल मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल लीडर बनने की क्षमता है। लेकिन सभी प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात से संबंधित नीतियां प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। ई-साइकिल की बेहतर नीतियों न होने से भारत को अगले पांच सालों में काफी नुकसान होगा।
लुधियाना [मुनीश शर्मा]। देश के इलेक्ट्रिक साइकिल व्यवसाय में चीन को पीछे छोड़कर ई-साइकिल मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल लीडर बनने की क्षमता है। लेकिन सभी प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात से संबंधित नीतियां प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। भारत फेम 2 और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीआईएल) में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और मैन्युफैक्चरिंग सहित प्रचार नीतियां ई-साइकिल को अपने दायरे से बाहर रखे हुए है। इस वजह से भारत पर अगले 5 वर्षों में यूरोपीय देशों को 10 हजार करोड़ रुपये के ई-साइकिल निर्यात ऑर्डर को खोने का खतरा मंडरा रहा है।
एचएमसी ग्रुप के मैंनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन पंकज एम मुंजाल ने कहा कि यूरोपीय संघ चीन से ई-बाइक आयात पर भारी एंटी-डंपिंग टैरिफ लगाता है। जोकि 83% तक जा सकता है। इस वजह से ई-बाइक प्रोडक्शन का री-शोरिंग शुरू हुआ है। 2019 में अनुमानित री-शोर्ड ई-बाइक का उत्पादन 9,30,000 यूनिट था, जिसमें पुर्तगाल, पोलैंड, फ्रांस, बुल्गारिया, इटली और रोमानिया जैसे देशों की 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी थी। हमें डर है कि बेहतर नीतियों के न होने से लगभग 1000 करोड़ रुपये के मैन्यू फैक्चरिंग मूल्य को वित्त वर्ष 2024 में 3000 करोड़ तक यूरोपीय संघ की पुन: स्थापित क्षमता में स्थानांतरित कर दिया है। अगले 5 सालों में भारत के ई-साइकिलों के निर्यात ऑर्डर के 10 हजार करोड़ रुपये के नुकसान होने की संभावना है।
हीरो साइकिल ने ई-साइकिलों के निर्माण के लिए एक नए अत्याधुनिक कारखाने में 300 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात करने के लिए और चीन से यूरोपीय संघ के देशों में ई-साइकिल निर्माण के बड़े हिस्से को हथियाने के लिए कम्पनी ने अपने वेंडर बेस के माध्यम से 400 करोड़ रुपये और अन्य में 300 करोड़ रुपये का निवेश किया है। हीरो मोटर्स कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज एम मुंजाल ने लंदन और बर्लिन में खुद की पकड़ मजबूत की, उन्होंने वैश्विक साइकिल ब्रांडों से बातचीत की और उन्हें चीन, ताइवान, कंबोडिया और पूर्वी यूरोप से ई-साइकिल आयात करने के बजाय भारत से करने का आग्रह किया और इस तरह उन्होंने देश में निर्मित होने वाले 150,000 ई-साइकिलों का ऑर्डर हासिल किया।
मुंजाल ने इस पर विस्तार करते हुए कहा, 'यूरोपीय संघ में ई-बाइक बाजार की कीमत €5 बिलियन का है, यह कीमत भारतीय बाजार से 50 गुना ज्यादा है। यूरोप में ई-बाइक की बिक्री अगले दशक में 16 फीसदी की सीएजीआर से 5 गुना बढ़ने की उम्मीद है। भारत के पास दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी साइकिल बनाने की क्षमता है और आयात शुल्क कम होने से यूके में निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यूके में कई भारतीय उत्पादों को वरीयता की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) लाभ दिया जाता है, लेकिन उन साइकिलों को नहीं, जिन पर 14 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है। इसलिए शून्य आयात शुल्क का लाभ उठाने वाले सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और जीएसपी देशों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए, भारत को साइकिल पर लगने वाले आयात शुल्क को 14% से घटाकर 0 प्रतिशत करने की जरुरत है।