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पंजाब में 11 दिनों में 14 गुणा बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं, कोरोना संक्रमितों के लिए खतरे की घंटी, बढ़ेगी परेशानी

पंजाब में पराली जलाने (Stubble burning) की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। यदि इस पर कंट्रोल नहीं किया गया तो खतरनाक स्थिति पैदा हो जाएगी। कोरोना संक्रमितों के लिए तो पराली का धुंआ खतरनाक साबित हो सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 10:23 AM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 10:23 AM (IST)
पंजाब में 11 दिनों में 14 गुणा बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं, कोरोना संक्रमितों के लिए खतरे की घंटी, बढ़ेगी परेशानी
पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी। (फाइल फोटो)

जेएनएन, पटियाला/लुधियाना। पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं अचानक बढ़ने लगी हैं। राज्य के माझा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पराली जलाई जा रही है। मात्र ग्यारह दिनों में ही पराली जलाने की घटनाएं 14 गुणा बढ़ गईं हैं। एक अक्टूबर को राज्य में इस धान सीजन की सबसे ज्यादा 195 घटनाएं हुईं। 21 सितंबर को राज्य में 14 घटनाएं सामने आई थीं, जो पहली अक्टूबर तक 195 पहुंच गई हैं।

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अमृतसर में पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा हैं। यहां के डिप्टी कमिश्नर गुरप्रीत सिंह खैहरा ने कहा कि 778 गांवों में 776 कमेटियों का गठन किया गया है, जो प्रशासन को सूचना दे रही हैं। इन कमेटियों के सहारे घटनाओं पर काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है।

गौरतलब है कि पंजाब सरकार लगातार दावे कर रही है कि पिछले वर्षों के मुकाबले कम किसान पराली जला रहे हैं। पिछले साथ भी ऐसे ही दावे किए जा रहे थे, लेकिन 2019 में पराली जलाने के सबसे ज्यादा 55,210 मामले सामने आए थे। 2018 में 50,590 और 2017 में 45,384 पराली जलाने की घटनाएं हुई थीं।

किस दिन कितनी घटनाएं

21 सितंबर-14

22 सितंबर- 29

23 सितंबर- 18

24 सितंबर- 77

25 सितंबर- 159

26 सितंबर- 88

27 सितंबर- 74

28 सितंबर- 61

29 सितंबर- 59

30 सितंबर-112

1 अक्टूबर- 195

अमृतसर में सबसे ज्यादा जली पराली

अमृतसर- 509

बरनाला- 02

फरीदकोट-01

फतेहगढ़ साहिब- 06

गुरदासपुर- 39

होशियारपुर- 01

जालंधर- 10

कपूरथला- 09

लुधियाना- 21

मोगा-01

मुक्तसर- 01

पटियाला- 34

रोपड़- 02

संगरूर- 09

मोहाली- 11

नवांशहर- 02

तरनतारन-156

कुल- 814 

पराली जलने से नहीं रोकी तो कोरोना संक्रमितों की जान के लिए पैदा होगा खतरा

पिछले नौ दिनों में पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर ने जिले में पराली जलाने के 12 मामले सैटेलाइट तस्वीरों में कैद किए हैं। हालांकि, अभी लुधियाना में पराली जलने के रोजाना एक दो मामले ही सामने आ रहे हैं, लेकिन अगर सख्ती नहीं हुई तो आने वाले दिनों में मामले बढ़ सकते हैंं। 

पिछले साल भी जिले में पराली जलाने के काफी मामले सामने आए थे। इस समय कोरोना के मामले भी आ रहे हैं और रोज मरीजों की मौत हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर किसानों को पराली जलाने से नहीं रोका गया तो इसके धुएं से निकलने वाली जहरीली गैसों से श्वास रोगियों के साथ-साथ संक्रमितों की जान के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

पिछले साल के मुकाबले इस बार हवा अधिक प्रदूषित

पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) पीएम-10 मानकों के तहत पिछले साल इसी अवधि की तुलना में अधिक है। आंकड़ों से साफ है कि वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2020 के अक्टूबर के पहले दो दिनों में एक्यूआइ अधिक रहा है। पिछले साल दो अक्टूबर को औसत एक्यूआइ 75 था, जो इस बार बढ़कर 86 हो गया है। यानि हवा और प्रदूषित हो रही है।

माह एवं तारीख वर्ष 2019 (औसत एक्यूआइ)

वर्ष 2020 (औसत एक्यूआइ)

26 सितंबर 85 84

27 सितंबर 49 71

28 सितंबर 64 88

29 सितंबर 35 107

30 सितंबर 40 95

1 अक्टूबर 82 89

2 अक्टूबर 75 86

पराली जली तो संक्रमितों की हालत बिगड़ेगी: डॉ. प्रदीप

मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के डॉ. प्रदीप कपूर ने कहा कि हर साल धान की कटाई के सीजन में उनके अस्पताल में श्वास व फेफड़ों के रोगों के मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है। दमा, सीओपीडी, हार्ट व किडनी रोग से पीडि़त मरीजों के लिए पराली का धुआं बेहद खतरनाक है। यदि मरीज इस धुएं के संपर्क में लंबे समय तक रहे तो उनके लंग डैमेज हो सकते हैं। हार्ट पर स्ट्रेस बढऩे से अटैक की संभावना काफी हो जाती है। इस बार कोरोना महामारी के चलते अगर पिछले सालों की तरह पराली जली, तो अच्छा नहीं होगा। खासकर कोरोना संक्रमितों की हालत बिगड़ सकती है।

पराली जली तो हाई रिस्क पेशेंट बढ़ेंगे: डॉ. मनीत

दीपक अस्पताल की मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. मनीत का कहना है कि बड़ी मुश्किल से शहर में कोरोना संक्रमण थोड़ा कम हुआ है। अब अगर जिले में पराली जली और उससे शहर की हवा प्रदूषित हुई, तो कोरोना संक्रमितों के लिए जान जाने का खतरा पैदा हो सकता है। कोरोना के हमले की वजह से बहुत से मरीजों के फेफड़े काफी कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में पराली जलने से पैदा हुआ धुआं संक्रमितों के श्वसन तंत्र को बहुत नुकसान पहुंचेगा। आइसीयू लोड बढ़ जाएगा और हाई रिस्क पेशेंट बढ़ जाएंगे।

फेफड़े और दिल को पहुंचेगा नुकसान: डॉ. सिंह

पंचम अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि पराली का धुआं फेफड़ों व दिल को काफी नुकसान पहुंचाता है। एक सप्ताह तक यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति पराली के धुएं को अनजाने में श्वास के जरिए शरीर में खींचता है तो इससे फेफड़ों में इंफेक्शन व दमा हो सकता है। यहीं नहीं, धुएं से खतरनाक गैसों के कण खून की नाडिय़ों में जम जाते हैं। इससे नाड़ी की लाइजिंग डैमेज हो जाती है। ऐसे में हार्ट अटैक की संभावना काफी संभावना रहती है। ऐसे में वक्त रहते ही पराली को जलाने से रोका जाना चाहिए।


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