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फेस्टिवल सीजन व सर्दी की दस्तक से हौजरी का सीजन पीक पर, ट्रांसपोर्टेशन कम होने से इंडस्ट्री परेशान

लुधियाना में पीक सीजन में हौजरी के उद्यमी डिस्पैचिंग प्रभावित होने से परेशान हैं। लुधियाना ड्राइपोर्ट से कंटेनर भी नहीं जा पा रहे। जिससे निर्यातकों को भी मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है। उद्योगपति सरकार से इस मसले का तत्काल हल करने की मांग कर रहे हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 04:01 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 04:01 PM (IST)
फेस्टिवल सीजन व सर्दी की दस्तक से हौजरी का सीजन पीक पर, ट्रांसपोर्टेशन कम होने से इंडस्ट्री परेशान
राज्य में किसान आंदोलन के कारण जहां माल गाड़ियां नहीं चल पा रही हैं।

लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। फेस्टिवल सीजन व सर्दी की आहट आते ही लुधियाना से सामान दूसरे राज्यों व विदेशों में भेजने के लिए डिस्पैच शुरू कर दिया जाता है। कोविड संकट के बाद स्टाक खत्म होने के बाद मार्केट में बढ़ी डिमांड के बाद लुधियाना के उद्योगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन किसान आंदोलन के कारण जहां माल गाड़ियां नहीं चल पा रही हैं।

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वहीं अब ट्रक ऑपरेटर भी आंदोलन के कारण डिलीवरी के लिए ज्यादा समय ले रहे हैं। इस पीक सीजन में हौजरी के उद्यमी डिस्पैचिंग प्रभावित होने से परेशान हैं और सरकार से इस मसले का तत्काल हल करने की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि लुधियाना ड्राइपोर्ट से कंटेनर भी नहीं जा पा रहे। जिससे निर्यातकों को भी मुश्किलों का सामना कर पड़ रहा है। ऐसे में इंडस्ट्री के पास स्टाक करने को लेकर भी समस्या खड़ी हो रही है। अगर यही हालात रहे, तो भारी संख्या में उद्योगों को दस दिन बाद अपनी प्रोडक्शन को भी रिवाइज कर कम करना होगा।

80 प्रतिशत हौजरी की डिस्पैचिंग अभी केवल तीस प्रतिशत
नियवियर एवं टैक्सटाइल एसोसिएशन के प्रधान विनोद थापर ने कहा कि यह समय हौजरी के लिए सबसे बड़ा है। लुधियाना उद्योग को हर साल इस सीजन के बदौलत ही उत्साह मिलता है। नवंबर माह में फेस्टीवल सीजन है और मार्केट में डिमांड तेजी से क्रिएट होगी। लेकिन किसानों के आंदोलन के चलते जहां माल गाड़ी नहीं चल पा रही, वहीं ट्रक ट्रांसपोर्ट भी डिलिवरी देने में ज्यादा समय लगा रहे हैं। हर साल अक्टूबर माह तक 80 प्रतिशत मैटीरियल की डिस्पैचिंग हो जाती है। क्योंकि नवंबर से सर्दी पड़ने और फेस्टीवल सीजन होने से खरीददारी जोर पकड़ती है। लेकिन इस साल केवल तीस प्रतिशत तक ही डिस्पैचिंग हो पाई है। जोकि गारमेंट्स इंडस्ट्री के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

न तेज हुई डिस्पैचिंग तो स्टाक बढ़ने से कम करनी होगी प्रोडक्शन

यूनाइटेड साइकिल एवं पार्टस मैन्यू्फेक्चरर एसोसिएशन के प्रधान डीएस चावला ने कहा कि साइकिल इंडस्ट्री में इस समय डिमांड बेहद तेज हुई है। इसके लिए वेटिंग का दौर है। बावजूद इसके इंडस्ट्री की ओर से प्रोडक्शन फुल स्विंग पर की जा रही है। लेकिन किसान आंदोलन और रेलवे की माल गाड़ियां न चलने के चलते डिस्पैचिंग बहुत प्रभावित हुई है। हर इंडस्ट्री के पास स्टाक करने के लिए एक सीमित स्थान रहता है। क्योंकि रॉ मैटीरियल से लेकर इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन प्रोसेस में प्लांट को डिजाइन किया जाता है। अगर इसी तरह डिस्पैचिंग रूकती रही, तो आने वाले दस दिनों के बाद प्रोडक्शन की रफतार को धीमा करना पड़ेगा।

एक्सपोर्ट के 15 सौ और इंपोर्ट के 25 सौ कंटेनर रूके
कस्टम कमिश्नर एएस रंगा के मुताबिक लुधियाना में पांच इनलैंड कंटेनर डिपो (आइसीडी) काम कर रहे हैं। इस समय लुधियाना से कंटेनर आने और जाने में ट्रांसपोर्टेशन एक अहम भूमिका अदा कर रहा है। एक्सपोर्ट की मांग बढ़ने के साथ साथ रॉ मैटीरियल के लिए भी रोजाना सैंकड़ों कंटेनर आते जाते है। किसान आंदोलन के चलते इस समय 1500 से अधिक कंटेनर एक्सपोर्ट के लिए और 2500 से अधिक कंटेनर इंपोर्ट वाले अटके पड़े हैं। इसका मुख्य कारण रेलवे की डिस्पैचिंग गाड़ियां कम होने के कारण कम होना और अब रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क का प्रभावित होना है।

सरकार हल के लिए तत्काल करे प्रयास
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के प्रदेश चेयरमैन राहुल आहुजा ने कहा कि इंडस्ट्री के लिए यह साल बेहद कठिन है। कोविड के चलते पहले तीन माह तक व्यापार बुरी तरह प्रभावित रहा और अब ट्रांसपोर्टेशन की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। एक्सपोर्ट से आने वाले आर्डरों में इस तरह की परेशानी से ग्राहकों का रूख दूसरे देशों की ओर हो सकता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि ट्रांसपोर्टेशन को बेहतर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।


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