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टेस्टिंग कल्चर अपनाने में लुधियाना का होजरी उद्योग अभी पाछे

बदलते लाइफ स्टाइल को लेकर फैशन पसंद लोग ब्रांड को अधिक तवज्जो दे रहे हैं, लेकिन होजरी का गढ़ लुधियाना टेस्टिंग सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 04:22 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 04:22 PM (IST)
टेस्टिंग कल्चर अपनाने में लुधियाना का होजरी उद्योग अभी पाछे
टेस्टिंग कल्चर अपनाने में लुधियाना का होजरी उद्योग अभी पाछे

जागरण संवाददाता, लुधियाना : बदलते लाइफ स्टाइल को लेकर फैशन पसंद लोग ब्रांड को अधिक तवज्जो दे रहे हैं, लेकिन होजरी का गढ़ लुधियाना टेस्टिंग सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। दूसरे यहां पर ज्यादा इकाइयां असंगठित क्षेत्र में स्थित हैं। वे टेस्टिंग को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही हैं, लेकिन उद्योग के जानकारों का मानना है कि टेस्टिंग कल्चर को विकसित कर क्वालिटी उत्पाद बनाकर ही बाजार की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है। इस संबंध में उद्यमियों को जागरूक करने के लिए लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं।

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काबिलेजिक्र है कि होजरी उद्योग में 90 फीसद तक इकाइयां माइक्रो सेक्टर में स्थित हैं और क्वालिटी को लेकर ज्यादा सजग नहीं हैं। हां, निर्यातक एवं कारपोरेट घरानों के लिए जॉब वर्क कर रही इकाइयां खरीदारों की मांग के अनुसार टेस्टिंग करा रही हैं। इसके लिए उनको दिल्ली, नोएडा एवं गुरुग्राम का रुख करना पड़ रहा है। इसमें समय अधिक लग रहा है और खर्च भी ज्यादा आ रहा है। उद्यमियों का तर्क है कि लोकल स्तर पर ही अंतरराष्ट्रीय टेस्टिंग सुविधाओं का होना अनिवार्य है।

निर्यातक एवं कारपोरेट सेक्टर का काम करने वाले उद्यमी गारमेंट में रंगों की मजबूती, यार्न की कंपोजिशन, सिलाई की मजबूती, सिकुड़न, कपड़े की मजबूती समेत कई तरह की टेस्टिंग बायर की मांग पर कराते हैं। माइक्रो स्मॉल एंड मिडियम एंटरप्राइजेज डवलपमेंट इंस्टीट्यूट के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर एवं होजरी एक्सपर्ट एसएस बेदी का कहना है कि यहां पर टेस्टिंग केवल निर्यातक एवं बड़े ब्रांडेड निर्माता ही करवा रहे हैं। पहले यहां पर टेक्सटाइल उद्योग के लिए क्वालिटी मार्किंग सेंटर और पंजाब टेस्ट हाउस थे, लेकिन वे भी बंद हो गए। अब टेक्सटाइल कमेटी की टेस्टिंग लैब लोकल स्तर पर है। निर्यातकों के अलावा केवल सरकारी विभागों में गारमेंट की आपूर्ति करने वाले उद्यमी ही खरीदारों की मांग पर टेस्टिंग कराते हैं। बेदी का कहना है कि लुधियाना का होजरी उद्योग लगातार पिछड़ रहा है। जबकि त्रिपुर का होजरी उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां से होजरी का निर्यात एक हजार करोड़ भी नहीं है। जबकि त्रिपुर का निर्यात 25 हजार करोड़ से अधिक का है। वहां पर कॉटन का उपयोग तेजी से बढ़ा है, जबकि लुधियाना पारंपरिक उत्पादों को लेकर ही आगे बढ़ रहा है। निटवियर एंड अपैरल मेन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रधान सुदर्शन जैन का कहना है कि वे कारपोरेट सेक्टर के लिए काम करते हैं। उनके गारमेंट के मानक पूरे करने के लिए गुरुग्राम, नोएडा एवं दिल्ली से टेस्टिंग कराई जा रही है। यहां पर विश्व स्तरीय सुविधाओं की कमी है। इसमें वक्त भी अधिक लग रहा है। फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन के टेक्सटाइल डिवीजन के हैड अजीत लाकड़ा का कहना है कि यहां पर उद्यमियों का माईड सेट बदल कर टेस्टिंग कल्चर विकसित करने की जरूरत है। ताकि विश्व स्तरीय क्वालिटी उत्पाद बना बाजार की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके।


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